वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

दूसरी कमेटीः दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाने की ज़िम्मेदारी

टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय की इमारत पर जानकारी.
UN Photo/Cia Pak
टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय की इमारत पर जानकारी.

दूसरी कमेटीः दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाने की ज़िम्मेदारी

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र अपने सबसे महत्वाकांक्षी और दूरगामी परिणामों वाले प्रोजेक्टः 2030 एजेंडा को किस तरह आगे बढ़ा रहा है जिसका उद्देश्य विश्व को बदलना है? ये विशालकाय ज़िम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र महासभा की दूसरी कमेटी के कंधों पर है. ये कमेटी दुनिया भर में आर्थिक और वित्तीय मामलों के बारे में महत्वपूर्ण नीति बनाती है और फ़ैसले लेती है.

सितंबर में महासभा के वार्षिक सत्र में भाग लेने के लिए दुनिया भर से आने वाले नेता जब भाषण देकर स्वदेश वापिस लौट जाते हैं तो महासभा में क्या होता है, इस श्रृंखला की दूसरी कड़ी में कुछ जायज़ा दूसरी कमेटी की गतिविधियों का...

संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी और विश्व नेताओं के शब्द दुनिया भर में ख़बरों की सुर्ख़ियाँ बनते हैं मगर इन शब्दों को हक़ीक़त में बदलने का काम ये कमेटी करती है.

इस कमेटी के सत्र में जिन विषयों पर चर्चा होती है, उनमें से ज़्यादातर 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिए प्रासंगिक होते हैं. इनमें टिकाऊ विकास, बहुत निचले स्तर पर आर्थिक नीति, मानव बसावट, ग़रीबी का उन्मूलन, और विकास के लिए संचार टैक्नोलॉजी का सबसे बेहतर इस्तेमाल जैसे विषय शामिल हैं.

हाल के वर्षों में इस कमेटी का कामकाज होमी ख़ारस के उदघाटन भाषण के साथ शुरू होता है जो ब्रुकिंग्स संस्थान में वैश्विक अर्थव्यवस्था और विकास कार्यक्रम के निदेशक हैं.

होमी ख़ारस को 2030 के टिकाऊ विकास एजेंडा की बहुत बारीक और विस्तृत जानकारी है. उन्होंने 2015 में उच्च स्तरीय पैनल का भी नेतृत्व किया था जिसने मिलेनियम विकास लक्ष्यों की जगह लेने वाले कार्यक्रम के बारे में फ़ैसला लिया था.

ये पहला उदाहरण था जिसमें संयुक्त राष्ट्र ने विश्व को सभी के लिए एक बेहतर स्थान बनाने के लिए कुछ विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित किए थे.

उस पहेली का जवाब था – टिकाऊ विकास लक्ष्य यानी एसडीजी का वजूद में आना. ये लक्ष्य पाँच मुख्य दायरों में परिभाषित किए गए हैं: लोग, पृथ्वी, ख़ुशहाली, शांति और साझीदारी, जो सभी लक्ष्य हासिल करने के लिए बहुत ज़रूरी है.

यूएन न्यूज़ के साथ बातचीत में होमी ख़ारस ने बताया कि बहुत जल्दी ही ये स्पष्ट हो गया था कि आर्थिक एजेंडा के विभिन्न पहलू किस तरह से आपस में जुड़े हुए हैं.

"चाहे वो ग़रीबी का ख़ात्मा करके भुखमरी को ख़त्म करना हो, लड़कियों की शिक्षा का मामला हो, पर्यावरण मुद्दे... हमने बहुत जल्द ही ये समझ लिया था कि इन सभी मुद्दों पर एक साथ बहुत व्यापक नज़रिए के साथ काम करना होगा, इसीलिए दूसरी कमेटी का कामकाज इन सभी मुद्दों पर केंद्रित होता है."

अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साथ लेकर चलना

संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को एक मुक़ाम पर लाकर खड़ा करना और उनमें सामान्य सहमति बनाना, सचमुच बहुत मुश्किल काम है, तो सवाल ये ही ही कि कमेटी ये काम किस तरह करती है?

टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिए सर्कुलर इकोनॉमी विषय पर इकोसॉक और दूसरी कमेटी की संयुक्त मीटिंग - संकल्पना से लेकर क्रियान्वयन तक (अक्टूबर 2018)

कमेटी के सदस्य देशों में तालमेल बिठाने की ज़िम्मेदारी 2018 में होर्गे स्किनर क्ली को सौंपी गई जो संयुक्त राष्ट्र में ग्वाटेमाला के स्थाई प्रतिनिधि व दूसरी समिति के अध्यक्ष थे.

होर्गे स्किनर एक अनुभवी राजनयिक है जिन्हें 30 से भी ज़्यादा वर्षों का अनुभव है.

वो ख़ुद को हरफ़नमौला के रूप में परिभाषित करते हैं जिन्हें हर विषय की जानकारी है यानी समुद्र की गहराइयों से लेकर आकाश की ऊँचाइयों तक, और उनके बीच में मौजूद चीज़ों की भी.

उन्होंने यूएन न्यूज़ को बताया कि लगभग 70 वर्ष पहले वजूद में आई कमेटियों की विरासत की एक सबसे बड़ी चुनौती अतीत में उलझे रहना है जिसका सामना कमेटी के सभी अध्यक्षों को करना पड़ता है.

इस प्रवृत्ति ने कमेटी के एजेंडा को बहुत गहराई से प्रभावित किया है, इसलिए बहुत से प्रस्ताव और रफ़्तार अतीत से ही निकलते हैं, और हमें देखना होता है कि सबसे बेहतर और कारगर प्रस्ताव किस तरह पारित किए जाएँ जो लागू होने पर टिकाऊ विकास एजेंडा में ठोस योगदान करें.  

जहाँ तक सभी 193 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर इकट्ठा करने का सवाल है तो इस बारे में होर्गो स्किनर क्ली का कहना था कि सिर्फ़ अध्यक्ष का अनुभव और हुनर काफ़ी नहीं होता.

इसके लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति की भी ज़रूरत होती है. इसका मतलब है कि इस हाथ दे - इस हाथ ले की नीति पर काम करना.

ऐसे बहुत से सदस्य या देश हैं जिनके निहित हित होते हैं... साथ ही कमेटी का मुख्य काम विश्व के विभिन्न गुटों के बीच भी तालमेल बनाए रखना होता है.

इनमें एक तरफ़ 134 देशों व चीन की सदस्यता वाला जी-77 संगठन तो दूसरी तरफ़ यूरोपीय संघ जैसे समूह शामिल हैं.

भविष्य के लिए आशाएँ और भय

होर्गे स्किनर क्ली का कहना था कि वो पिछले तीन वर्षों के दौरान 2030 के टिकाऊ विकास एजेंडा के लिए वैश्विक समुदाय की प्रतिबद्धता देखकर काफ़ी उत्साहित हैं, लेकिन साथ ही मौजूदा भू-राजनैतिक माहौल पर बहुत चिंतित भी हैं.

जो कमेटी के एजेंडा पर निर्धारित विषयों और मुद्दों पर प्रगति हासिल करने की उनकी क्षमता को प्रभावित करेगा. उन्होंने मौजूदा हालात को टकराव और गुटबंदी वाला क़रार दिया.

होमी ख़ारस का भी कहना है कि विश्व के पास 2030 का एजेंडा हासिल करने के लिए सभी ज़रूरी घटक मौजूद हैं, लेकिन बहुत कारणों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय बहुत धीमी रफ़्तार से इस दिशा में आगे बढ़ रहा है.

“मेरा ख़याल है कि जितना कुछ अभी किया जा रहा है, उससे ज़्यादा करने के लिए हमारे पास समझ है, संसाधन हैं और टैक्नोलॉजी भी है. लेकिन हम भी बहुत से कारकों की वजह से भ्रमित व भटके हुए हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब हमारे पास अंतरराष्ट्रीय सहयोग बहुत निचले स्तर पर है, इसमें वैज्ञानिक आदान-प्रदान भी शामिल है, जबकि अब से पहले ये सहयोग इससे कहीं ज़्यादा होता था.”

इसी तरह की आशंकाएँ संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश भी ज़ाहिर कर चुके हैं. यूएन प्रमुख आगाह कर चुके हैं कि जलवायु परिवर्तन हमारी रफ़्तार से कहीं ज़्यादा तेज़ रफ़्तार से हो रहा है – और हमारे पास समय नहीं बचा है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव का संदेश बहुत स्पष्ट हैः अगर दूसरी कमेटी का कामकाज और 2030 एजेंडा कामयाब होना है तो विश्व नेताओं को ज़्यादा बेहतर और ठोस नेतृत्व व महत्वाकांक्षाएं दिखानी होंगी, और एक ऐसे भाग्य या मुक़ाम से बचना होगा जो हममें से कोई भी नहीं देखना चाहता.

ये एक ऐसा भाग्य या मुक़ाम होगा जहाँ मानवता और पृथ्वी पर जीवन को हो चुका नुक़सान कई पीढ़ियों तक भुगता जाएगा.

महासभा की अन्य प्रमुख समितियाँ:

दूसरी कमेटी

तीसरी कमेटी

चौथी कमेटी