वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

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रफ़ाह में एक आठ वर्षीय बच्ची भोजन के लिए अपनी बारी आने की प्रतीक्षा कर रही है.
Zagout

ग़ाज़ा: अकाल की बढ़ती आशंका के बीच, 'भूख-प्यास से 10वें बच्चे की मौत'

ग़ाज़ा पट्टी में भीषण लड़ाई के कारण बिगड़ती खाद्य असुरक्षा और अकाल के बढ़ते जोखिम के बीच ख़बर है कि कुपोषण और भूख-प्यास की वजह से एक और बच्चे की मौत हो गई है, जिसके बाद ऐसे मामलों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है. यूएन मानवीय सहायताकर्मियों ने बद से बदतर होते हालात में जल्द से जल्द मानवीय सहायता का स्तर बढ़ाने और युद्धविराम लागू किए जाने का आग्रह किया है.

ग़ाज़ा युद्ध के कारण बेघर हुए लाखों लोगों ने, UNRWA द्वारा संचालित स्कूलों में पनाह ली है.
© UNRWA/Ashraf Amra

UNRWA के लिए धन दान, बहाल करने के लिए संयुक्त अपील

योरोपीय संघ क्षेत्र में स्थित 17 ग़ैर-सरकारी संगठनों (NGOs) ने, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसी, UNRWA के लिए धन सहायता बहाल करने के लिए एक संयुक्त अपील जारी की है.

ग़ाज़ा पट्टी का बहुत बड़ा इलाक़ा, युद्ध में इस तरह तबाह हो गया है.
© UNRWA/Ashraf Amra

ग़ाज़ा युद्ध में इनसानी ज़िन्दगियों के इतने बड़े नुक़सान पर 'कष्टपूर्ण हैरानी'

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने "ग़ाज़ा युद्ध में इनसानी ज़िन्दगियों के इतने बड़े नुक़सान पर हैरानी” व्यक्त की है, जिसमें अब तक 30 हज़ार से अधिक लोग मारे गए हैं और 70 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं.

 दुनिया भर में देशों से जैवविविधता को पहुँचे नुक़सान की भरपाई करने का आग्रह किया गया है.
© Unsplash/Zdeněk Macháček

UNEA: पर्यावरणीय संकटों से मुक़ाबले के लिए, कार्रवाई व समाधानों की पुकार

पृथ्वी पर गम्भीर जोखिम मंडरा रहा है, पारिस्थितिकी तंत्र ध्वस्त हो रहे हैं, जलवायु में बड़े बदलाव आ रहे हैं, और इन सभी चुनौतियों के लिए मानवता ज़िम्मेदार है. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने केनया की राजधानी नैरोबी में यूएन पर्यावरण सभा (UNEA) के छठे संस्करण को सम्बोधित करते हुए विश्व नेताओं से जलवायु समाधानों को आगे बढ़ाने की पुकार लगाई है.

अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान के शासन के दौरान, महिलाओं व लड़कियों को, व्यापक पाबन्दियों का निशाना बनाया गया है.
© WFP/Mohammad Hasib Hazinyar

अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान के कृत्यों से लोगों को गहन पीड़ा

अफग़ानिस्तान में ढाई साल से, मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति ऐसी पीड़ा का कारण बन रही है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है. इस गिरावट को रोकने और अफ़गान लोगों में उम्मीद जगाने के लिए, तालेबान और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल कार्रवाई किए जाने की पुकार लगाई गई है.

सूडान में हिंसक टकराव की वजह से लाखों लोगों को अपना घर छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
© UNICEF/Proscovia Nakibuuka

सूडान: यूएन मिशन की अवधि समाप्त, महासचिव ने जताई देश के साथ एकजुटता

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सूडान में यूएन सहायता मिशन (UNITAMS) की अवधि समाप्त होने के अवसर पर, देश की जनता के लिए अपने मज़बूत संकल्प को व्यक्त किया है.

पहचान पत्र पाने से, जहाँआरा का हवाई जहाज़ में बैठने का सपना पूरा हुआ.
UNDP India

भारत: आसमान छूने के सपने में, 'उत्थान' से मदद

जहाँ आरा बेगम को, आसमान छूने का अपना सपना पूरा करने में उत्थान परियोजना से मदद मिली है. भारत में यूएनडीपी की उत्थान परियोजना, सफ़ाई कर्मियों को सामाजिक सुरक्षा हासिल करने में मदद करके, उनके अधूरे सपने पूरे करने में एक अहम भूमिका निभा रही है.

मध्य ग़ाज़ा में, बेरोज़गार युवक, गुज़र-बसर के लिए, बाज़ारों में जंगली पौधे बेचने को मजबूर हो गए हैं.
UN News / Ziad Taleb

ग़ाज़ा: युद्ध से त्रस्त लोग जंगली पौधे खाने को मजबूर

ग़ाज़ा में युद्ध से हुई भीषण तबाही के बीचबहुत से बेरोज़गार युवकगुज़र-बसर के लिएबाज़ारों में जंगली पौधे बेचने को मजबूर हो गए हैं. ये युवकहर सुबहखुले मैदानों में ऐसे जंगली पौधे बीनते हैंजिन्हें मध्य पूर्व में पीढ़ियों से मध्य पूर्व में पूरक भोजन के रूप में खाया जाता रहा है. ये जंगली पौधे अब, ग़ाज़ा पट्टी के निवासियों के लिए भोजन का प्रमुख स्रोत बन गए हैं. (वीडियो).

 

 

ग़ाज़ा में युद्ध की शुरुआत से ही स्कूल भी बमबारी की जद में आए हैं.
© UNRWA

ग़ाज़ा में संहार को तत्काल रोके जाने की पुकार, मृतक संख्या हुई 30 हज़ार

ग़ाज़ा में हो रहे संहार से अब तक 30 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और इसे तुरन्त रोका जाना होगा. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) वोल्कर टर्क ने गुरूवार को मानवाधिकार परिषद को सम्बोधित करते हुए यह पुकार लगाई है.

ग़ाज़ा के ख़ान यूनिस में स्थित अल-अमाल अस्पताल का कुछ हिस्सा, बमबारी में क्षतिग्रस्त हुआ है.
UN News

ना दवा, ना कोई उम्मीद: ग़ाज़ा में इसराइली हमलों में बेबस ज़िन्दगी

संचार व्यवस्था नहीं, दवा नहीं, और कोई उम्मीद भी नहीं. भीषण लड़ाई की मार झेल रहे ग़ाज़ा के एक अस्पताल में ऐसी परिस्थितियों में काम हो रहा है. ख़ान यूनिस के अल अमाल अस्पताल की घेराबन्दी के बीच वहाँ चिकित्सकों का एक समूह पिछले कई हफ़्तों से फँसा है, जिन्होंने यूएन न्यूज़ को बताया कि यहाँ जीवन कितना कठिन हो गया है.