"संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता व्यवस्था के पैरोकारों के रूप में हम सभी ने शून्य में ताकती आँखों को देखा है, आँखें एक ऐसे बच्चे की जिसका शरीर कुपोषण की वजह से हड्डियों ढाँचा भर रह गया है जिसमें जीवन जैसे अंतिम साँसें गिन रहा हो, उसकी धीमी गति से आती-जाती साँसों से ही बस उसके जीवित होने का पता चलता है." ये शब्द हैं संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता के कार्यों में सक्रिय एजेंसियों के जो दुनिया भर में कुपोषण के शिकार बच्चों का हालत बयान करने के लिए व्यक्त किए हैं.