भारत की युवा जलवायु कार्यकर्ता अर्चना सोरेंग ने सचेत किया है कि जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला करने में, प्रकृति-आधारित समाधान अपनाए जाते समय आदिवासी समुदायों और युवाओं के हितों का ध्यान रखा जाना होगा, और प्रकृति व आमजन के लिये, न्याय व कल्याण को प्राथमिकता देनी होगी. पर्यावरण पर यूएन महासचिव के युवा सलाहकारों के समूह में शामिल अर्चना सोरेंग ने, गुरुवार को आयोजित जलवायु शिखर बैठक के दौरान एक सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि आदिवासी जन, केवल प्रकृति का हिस्सा भर नहीं हैं, बल्कि प्रकृति ही हैं.