संयुक्त राष्ट्र के पिछले जलवायु सम्मेलन - COP26 में जलवायु सम्बन्धी प्रतिबद्धताओं और जलवायु वित्त पर चर्चा के मूल में - अस्थिर विकास का स्वरूप बदलने की मूलभूत आवश्यकता ही थी. जबकि सरकारें वर्ष 2050 और 2070 के लिये लक्ष्य निर्धारित कर रही हैं, बाढ़, भूस्खलन, चट्टानें ख़िसकने, या तूफ़ान की घटनाओं जैसे प्राकृतिक ख़तरों की गम्भीरता बढ़ती जा रही है. ऐसे में, स्थानीय ज्ञान के ज़रिये, सहनसक्षम एवं टिकाऊ पुनर्निर्माण सम्भव हो सकता है. विश्व बैंक में दक्षिण एशिया के लिये, जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम प्रबन्धन सलाहकार, मिशेल विंगली का ब्लॉग...