फ़ारुक़ मोहम्मद एक रोहिंज्या शरणार्थी हैं, और बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में ‘उमर फ़िल्म स्कूल’ के सह-संस्थापक हैं. यह स्कूल, अनौपचारिक रूप से युवा रोहिंज्या शरणार्थियों को फ़ोटोग्राफी और वीडियोग्राफ़ी में प्रशिक्षित करता है, ताकि वे अपनी कहानियों को ख़ुद बयाँ करने में सक्षम हो सकें. कोविड-19 महामारी की शुरूआत से ही, यह फ़िल्म स्कूल, शरणार्थी समुदाय में वायरस के प्रति जागरूकता फैलाने की कोशिशों में जुटा है. 33-वर्षीय फ़ारुक़ मोहम्मद ने यूएन शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के साथ अपने सफ़र और भविष्य के लिये उम्मीदों को साझा किया है...