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साक्षात्कार: आतंकवाद निरोधक समिति की भारत में विशेष बैठक, समिति अध्यक्ष के साथ बातचीत

आतंकवादी गुटों द्वारा डिजिटल टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल करने के प्रति चिन्ता बढ़ रही है.
© Unsplash/Philipp Katzenberger
आतंकवादी गुटों द्वारा डिजिटल टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल करने के प्रति चिन्ता बढ़ रही है.

साक्षात्कार: आतंकवाद निरोधक समिति की भारत में विशेष बैठक, समिति अध्यक्ष के साथ बातचीत

क़ानून और अपराध रोकथाम

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति की दो दिवसीय विशेष बैठक, शुक्रवार को भारत के मुम्बई शहर में शुरू हो रही है, जिसमें वैश्विक सुरक्षा के लिये, नवीन और उभरती प्रौद्योगिकियों से दरपेश बढ़ते ख़तरों का मुक़ाबला किये जाने के उपाय, चर्चा के मुख्य मुद्दे होंगे. समिति की प्रमुख और भारतीय राजदूत रुचिरा काम्बोज ने यूएन न्यूज़ के साथ एक बातचीत में बताया कि आतंकवादी तत्व, किस तरह नई व सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली प्रौद्योगिकी - सोशल मीडिया, का फ़ायदा उठा रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा काम्बोज ने बताया कि आतंकवादी उद्देश्यों और आतंकी दुष्प्रचार के लिये सोशल मीडिया के अनियंत्रित इस्तेमाल को देखा जा सकता है, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान.

उन्होंने सचेत किया कि किसी भी प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग किये जाने की सम्भावना होती है, और इसके मद्देनज़र, सुरक्षा परिषद व उसकी आतंकवाद निरोधक समिति का हर एक सदस्य देश, आतंकवाद का मुक़ाबला करने के इरादे से उन समाधानों के लिये प्रतिबद्ध है, जिनमें अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत तयशुदा दायित्वों के अनुरूप क़ानून के राज का सम्मान किया जाए.

यह इंटरव्यू प्रकाशन ज़रूरतों के लिये सम्पादित किया गया है.

यूएन न्यूज़: इस बैठक के लिये विषय को किस तरह तय किया गया: आतंकवादी उद्देश्यों के लिये नई और उभरती प्रौद्योगिकियों का प्रयोग? क्या कुछ ऐसे आँकड़े सामने आए हैं, जो कुछ समूहों द्वारा नई तकनीकों के बढ़ते उपयोग को दर्शाते हैं, या क्या कोई ऐसी विशिष्ट घटनाएँ थीं, जिनसे इन तौर-तरीक़ों की प्रासंगिकता व ख़तरों के सम्बन्ध में चेतावनी मिली हो?

राजदूत रुचिरा काम्बोज: आतंकवादी उद्देश्यों के लिये नई और उभरती प्रौद्योगिकियों का प्रयोग चिन्ता का विषय है. सदस्य देश पहले से ही आतंकवादी गतिविधियों के लिये इंटरनेट और सोशल मीडिया मंचों का फ़ायदा उठाए जाने के एक गम्भीर और बढ़ते ख़तरे का सामना कर रहे हैं.

आतंकवादी अपना नैटवर्क बनाने, हथियार ख़रीदने और इंटरनेट द्वारा धन के लेनदेन के लिये अपनाए जा रहे नवाचारी उपायों का फ़ायदा उठा रहे हैं.

इनके अलावा, आतंकवादी उद्देश्यों के लिये उभरती भुगतान विधियों (payment methods), जैसेकि प्रीपेड कार्ड और मोबाइल भुगतान, वर्चुअल सम्पत्ति व ऑनलाइन माध्यमों पर धन जुटाए जाने के मंचों (crowdfunding), का इस्तेमाल चिन्ता के अन्य मुद्दे हैं.

आतंकवादी मक़सद से उभरती टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल की सम्भावना में मानवरहित विमान प्रणाली (unmanned aircraft systems), कृत्रिम बुद्धिमता (AI), रोबोटिक्स, सिंथेटिक बायोलॉजी, स्वचालित कार, 3डी प्रिंटिंग भी है.

हमें यह भी याद रखना होगा कि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हमारी भलाई के लिये किया जाना चाहिये. मैंने अभी जिन प्रौद्योगिकियों के बारे में बात की है उनमें से अनेक अविश्वसनीय रूप से उपयोगी उपकरण और संचार सेवाएँ हैं जिनका प्रयोग, वैश्विक स्तर पर एक बड़ी आबादी करती है.

सुरक्षा परिषद ने क़ानून प्रवर्तन और सीमा नियंत्रण, हवाई सुरक्षा, महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे और संवेदनशील स्थलों की सुरक्षा पर लक्षित कई आतंकवाद निरोधक प्रस्तावों में नई टैक्नॉलॉजी से उभरी चुनौतियों पर ध्यान केन्द्रित किया है.

सुरक्षा परिषद द्वारा दिसम्बर 2021 में पारित नवीनतम आतंकवाद निरोधक प्रस्ताव 2617 में, अन्य उभरती टैक्नॉलॉजी का उल्लेख किया गया है, जिसमें उनके आतंकी उद्देश्यों के लिये इस्तेमाल से बढ़ते ख़तरों के प्रति सचेत किया गया है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन की प्रमुख राजदूत रुचिरा काम्बोज, यूएन मुख्यालय में एक प्रैस वार्ता को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन की प्रमुख राजदूत रुचिरा काम्बोज, यूएन मुख्यालय में एक प्रैस वार्ता को सम्बोधित करते हुए.

इस प्रस्ताव में, सुरक्षा परिषद ने चिन्ता जताई है कि आतंकियों द्वारा हमलों में मानवरहित विमान प्रणाली का वैश्विक स्तर पर ग़लत इस्तेमाल बढ़ रहा है. इससे निपटने के लिये नवाचार को प्रोत्साहन देने और ऐसे उपायों के विस्तार के साथ, उनके ग़लत इस्तेमाल को टालने में सन्तुलन साधने पर बल दिया गया है.

इसलिये, आतंकवाद निरोधक समिति सदस्य देशों को समर्थन देने के लिये प्रतिबद्ध है, ताकि नई व उभरती टैक्नॉलॉजी को भलाई के लिये उपयोग किये जाने की उनकी अपार सम्भावना को निखारने में मदद की जा सके.

सदस्य देश, संयुक्त राष्ट्र संस्थाएँ, अन्तरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय संगठन, नागरिक समाज संगठन और प्रासंगिक पक्ष, एआई, अत्याधुनिक वैश्लेषक, चेहरे की शिनाख़्त, और मानवरहित विमान प्रणाली जैसी अनेक नवाचार टैक्नॉलॉजी का द्वारा प्रयोग करते हैं.

इसके ज़रिये, आतंकवादी कृत्यों की रोकथाम करने, सूचना जुटाने व उसे साझा करने, दोषियों की जवाबदेही तय किये जाने और आतंकवाद के पीड़ितों को समर्थन देने का प्रयास किया जाता है.

यूएन न्यूज़: इस बैठक में कौन से मुख्य नतीजे सामने आने की आशा है?

राजदूत रुचिरा काम्बोज: यह विशेष बैठक इस विषय में विचार-विमर्श का एक अवसर प्रदान करेगी कि किस तरह टैक्नॉलॉजी का आतंकी उद्देश्यों के लिये फ़ायदा उठाया जा रहा है.

इस तरह फ़ायदा उठाए जाने से आतंकवादी ख़तरे किस तरह उभरने की आशंका है, और नई टैक्नॉलॉजी का विका होने पर उनमें किस तरह से बदलाव आ सकते हैं, चूँकि उनका इस्तेमाल हर तरह के उपयोगकर्ता (users) करते हैं.

इसके अलावा, चर्चा के दौरान इस बात पर भी ध्यान केन्द्रित किया जाएगा कि सदस्य देश और अन्य प्रासंगिक पक्ष किस प्रकार एक दूसरे के साथ अपने सम्बन्धों व सहयोग को मज़बूती दे सकते हैं, ताकि इन नई व उभरती टैक्नॉलॉजी के आतंकवादी उद्देश्यों में इस्तेमाल को रोका जा सके, जिनमें आतंकवाद का वित्त पोषण भी है.

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हमेशा की तरह, आतंकवाद और आतंकवाद निरोधक जवाबी कार्रवाई की समीक्षा करते समय, मानवाधिकार और लैंगिक आयाम, बातचीत का अहम हिस्सा हैं. एक मुख्य बात यह समझना है कि सदस्य देश इन उभरते ख़तरों का किस प्रकार ऐसे उपायों के ज़रिये सामना कर रहे हैं, जोकि उनके लिये तयशुदा मानवाधिकार दायित्वों के अनुरूप भी हों.

और हमारे सभी साझीदारों को इस बात के लिये भी प्रोत्साहित करना है कि हमेशा बदलाव की ओर अग्रसर टैक्नॉलॉजी के साथ क़दमताल करते हुए मानवाधिकारों का भी सम्मान सुनिश्चित किया जाए.

यूएन न्यूज़: नई प्रौद्योगिकी और आतंकवाद के मुद्दे के आकलन के लिये, समिति की ओर से सदस्य देशों के लिये कौन सी मुख्य अनुशंसाएँ हैं?

राजदूत रुचिरा काम्बोज: आतंकवादी गतिविधियों की रोकथाम करने और उनसे निपटने के लिये, नई और उभरती टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल एक बेहद कारगर व शक्तिशाली औज़ार हो सकता है, यदि उन्हें अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून का पूर्ण सम्मान करते हुए लागू किया जाए.

इस बैठक का उद्देश्य सदस्य देशों के अनुभव से यह सीखना है कि इस विषय में सन्तुलन किस तरह से साधा जाए.

यूएन न्यूज़: बैठक के दौरान क्या इस बात पर भी चर्चा होगी कि वित्तीय बाज़ार और निजी कम्पनियों समेत अन्य सैक्टर, इस मुद्दे पर किस तरह से क़दम उठा सकते हैं?

राजदूत रुचिरा काम्बोज: इसका उत्तर है, ‘हाँ’.

यह विशेष बैठक प्रतिभागियों के लिये एक अवसर प्रदान करेगी कि सार्वजनिक-निजी साझेदारियों को विकसित और उनका उपयोग करने, श्रेष्ठ तौर-तरीक़ों के ज़रिये बचाव उपायों के लिये समझ बढ़ाने, और निरीक्षण, पारदर्शिता व जवाबदेही तंत्र सृजित करने के लिये कौन से क़दम उठाए जा सकते हैं.

हम विशेष रूप से निजी सैक्टर, शिक्षा जगत और नागरिक समाज साझेदारों से ये जानना चाहेंगे कि वे इस क्षेत्र में किस तरह से आगे बढ़ रहे हैं.

निजी सैक्टर के साथ-साथ सदस्य देशों ने भी ऑनलाइन माध्यमों पर आतंकवाद के वित्त पोषण की शिनाख़्त व रोकथाम करने और उस पर विराम लगाने के लिये, डिजिटल टैक्नॉलॉजी के प्रयोग को बढ़ाया है.

जब इन टैक्नॉलॉजी को ज़िम्मेदारी के साथ और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अनुरूप प्रयोग किया जाता है, तो इनसे डेटा एकत्रिकरण व उसका विश्लेषण करने के साथ-साथ, आतंकवादियों के वित्त पोषण के जोखिम को वास्तविक समय में कारगर ढंग से पहचानने और उससे निपटने में मदद मिलती है.

डेटा को सामूहिक रूप से एकत्र व साझा किये जाने और फिर रचनात्मक सहयोग के ज़रिये वैश्लेषिकी से, वित्तीय संस्थानों को, हवाला लेनदेन और आतकंवाद के वित पोषण को बेहतर ढंग से समझने और उससे निपटने में मदद मिल सकती है.

मानवरहित विमान प्रणाली का भी अनेक तरीक़ों से सकारात्मक उपयोग किया जा सकता है: सीमाओं के आर-पार आतंकवादियों की आवाजाही रोकने, आतंकी अभियानों को विफल करने, सार्वजनिक स्थलों व बड़े कार्यक्रमों के दौरान सुरक्षा मज़बूत बनाने में.

मानवरहित विमान प्रणाली का आतंकी उद्देश्यों के लिये इस्तेमाल रोकने के इरादे से, अनेक प्रकार की प्रौद्योगिकियाँ तैनात की जा रही हैं.  

यूएन न्यूज़: समिति द्वारा की गई समीक्षा को ध्यान में रखते हुए, इन नए तौर-तरीक़ों के इस्तेमाल से आम नागरिकों पर कौन से सर्वाधिक हानिकारक असर हुए हैं, विशेष रूप से सोशल मीडिया के सन्दर्भ में?

राजदूत रुचिरा काम्बोज: एक ओर नई, उभरती टैक्नॉलॉजी की सरल पहुँच (accessibility), उनका लोगों की सामर्थ्य के भीतर होने और उनकी सार्वभौमिक उपलब्धता ने, मानवता के लिये अपार अवसरों के द्वार खोल दिये हैं.

वहीं दूसरी ओर ये एक ऐसा माहौल भी तैयार हुआ है, जिससे संवेदनशील हालात में रह रहे प्रयोगकर्ताओं के कुटिल एजेंडा वाले तत्वों के सम्पर्क में आने का जोखिम बढ़ा है.

उदाहरण के तौर पर, वैश्विक महामारी के दौरान, आतंकवादी गुटों ने ऑनलाइन माध्यमों पर युवजन की मौजूदगी बढ़ने का फ़ायदा उठाते हुए अपना दुष्प्रचार किया, उनकी भर्ती के लिये तोड़-मरोड़ कर वृतान्त पेश किये गए, और आतंकवादी उद्देश्यों के लिये रक़म जुटाई गई.

हमने आतंकवादी उद्देश्यों और आतंकवादी दुष्प्रचार फैलाने के लिये सोशल मीडिया के बेरोकटोक इस्तेमाल को देखा है. इसलिये, उनकी सरल सुलभता, उपलब्धता, पहुँच के भीतर होना, और नई व उभरती प्रौद्योगिकियों की सार्वभौमिकता ने समाज के हर वर्ग को प्रभावित किया है.

वहीं दूसरी ओर, आतंकवाद निरोधक उपाय गहनतापूर्वक लागू किये जाने से भी गम्भीर चिन्ताएँ उभरी हैं.

अनुभव दर्शाता है कि आतंकवाद से निपटने के लिये इन प्रौद्योगिकियों का ताबड़तोड़ इस्तेमाल किये जाने से आबादी अलग-थलग पड़ सकती है, और हिंसक चरमपंथ व आतंकवाद निरोधक प्रयासों पर नकारात्मक असर हो सकता है.

संयुक्त राष्ट्र ने सदैव एक समग्र, सम्पूर्ण-समाज पर केन्द्रित और व्यापक तौर-तरीक़ अपनाए जाने पर बल दिया है ताकि उन अनेक चुनौतियों का सामना किया जा सके, जोकि आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ का मुक़ाबला करने के इर्दगिर्द उभरती हैं. नागरिक समाज संगठन, शिक्षा जगत और निजी सैक्टर संस्थाओं की इसमें एक अहम भूमिका है.  

यूएन न्यूज़: मौजूदा परिदृश्य की पृष्ठभूमि में, क्या समिति को सुरक्षा परिषद में एक अन्तिम सहमति बनने की आशा है?

राजदूत रुचिरा काम्बोज: जब बात आतंकवादी उद्देश्यों के लिये नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के प्रयोग की रोकथाम करने की हो, तो यह ज़रूरी नहीं है कि किसी अन्तिम समझौते पर पहुँचा ही जाए.

विज्ञान, जिज्ञासा, मुनाफ़े और उपयोगकर्ताओं, इन सभी से प्रौद्योगिकी विकास की जो दिशा रही है, उससे जो कुछ भी सृजित किया जा सकता है, उसका कोई स्पष्ट अन्त नहीं है.

और इसका अर्थ है कि ऐसा कोई पूर्वानुमेय (predictable) अन्तिम पड़ाव नहीं है कि निरन्तर बदल रहे आतंकवादी भूदृश्य में हम क्या करें, चूँकि हर टैक्नॉलॉजी का ग़लत इस्तेमाल किया जा सकता है.

सुरक्षा परिषद और उसकी आतंकवाद निरोधक समिति का हर एक सदस्य, आतंकवाद का मुक़ाबला करने के इरादे से उन समाधानों के लिये प्रतिबद्ध है, जिनमें अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत तयशुदा दायित्वों के अनुरूप क़ानून के शासन का सम्मान किया जाए.

और इस क्रम में, समिति और परिषद का ध्यान इस मुद्दे पर केन्द्रित है और, सुरक्षा परिषद के विभिन्न आतंकवाद-रोधी प्रस्तावों के अन्तर्गत तय शासनादेश (mandate) को पूरा करने के लिये प्रयास जारी रखे जाएंगे.