
दुनिया में अनेक स्थानों पर चल रहे संघर्ष से, ख़ासतौर पर कमज़ोर आबादी पर ज़्यादा असर पड़ता है. उदाहरण के लिये संघर्षरत यमन में 2 करोड़ 20 लाख लोग किसी न किसी तरह की बाहरी मानवीय सहायता पर निर्भर हैं. संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि संघर्षों को रोकना और हल करना अधिक अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के ज़रिये ही मुमकिन होगा.

संयुक्त राष्ट्र ने असमानता को एक ऐसा मुद्दा माना है “जो हमारे समय को परिभाषित करेगा." उम्मीद की जा रही है कि 2015 में दुनिया भर के देशों द्वारा सहमति प्राप्त, 2030 का टिकाऊ विकास एजेण्डा ग़रीबी उन्मूलन, शान्ति स्थापना और समानता पर आधारित समृद्धि, व पृथ्वी की सुरक्षा करने में सफल होगा.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व का कोई भी कोना जलवायु परिवर्तन के "विनाशकारी परिणामों" से सुरक्षित नहीं है. लेकिन इनसान बहुत समर्थ है और बड़े व छोटे उपायों से इससे निपटा जा सकता है. उदाहरण के लिये, वैश्विक तापमान वृद्धि को पलटने के लिये नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके, पर्यावरणीय क्षरण, प्राकृतिक आपदाओं, मौसम की चरम घटनाओं, खाद्य और जल असुरक्षा, आर्थिक संकट, संघर्ष और आतंकवाद जैसे संकटों का समाधान सम्भव है.

विश्व की आबादी में 2 अरब की वृद्धि होने का अनुमान है – मतलब ये कि फ़िलहाल शहरों में रहने वाली 7 अरब 70 करोड़ की आबादी, 2050 तक बढ़कर 9 अरब 70 करोड़ हो जाएगी. इस जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव को कम करने की ख़ातिर उन सभी लोगों के लिये सभ्य कार्य सुनिश्चित करना ज़रूरी होगा ताकि वो भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और बच्चों की शिक्षा का ख़र्च उठा सकें.

अच्छा स्वास्थ्य एक मौलिक मानव अधिकार है. हालाँकि यौन, प्रजनन और बाल स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक पहुँच में सुधार हो रहा है व मातृत्व मृत्यु दर घट रही है, लेकिन वैश्विक समुदाय अब भी सबसे कमज़ोर लोगों तक पहुँचने के लिये संघर्ष कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि खासतौर पर महिलाओं और लड़कियों को उचित स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हों.

पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता संयुक्त राष्ट्र का एक मूलभूत सिद्धान्त है जो 75 वर्ष पहले, 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निहित किया गया था. असमानता को कम कर लैंगिक अंन्तर को पाटना, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की प्रमुख प्राथमिकता है. महासचिव ने चेतावनी दी है कि, “बदलाव ऐसी गति से हो रहा है जो उन महिलाओं और लड़कियों के लिए बहुत धीमी है जिनका जीवन इस पर निर्भर है.”