
आपातकालीन चिकित्सा की शोधकर्ता डेबरिना डैवी लुमानाऊ इंडोनेशिया के जकार्ता शहर के आपातकालीन कोविड-19 अस्पताल में तैनात होने वाली पहली चिकित्सा टीमों में शामिल थीं. हर दिन वह मरीज़ों के इलाज के लिए रेड ज़ोन में जाती थीं. वो बताती हैं कि ये आपदा पहले की आपदाओं से बिल्कुल अलग है और उन्होंने पहले कभी इस तरह के हालात नहीं देखे हैं.

फ़िल्म निर्माता और मानवीय कार्यकर्ता हसन अक्कड़ (बाएँ ) चार साल पहले संघर्ष से बचने के लिये सीरिया से भागकर योरोप आ गए थे. उसे एजियन सागर से बचाया गया और ब्रिटेन में सुरक्षा मिली. इसके बदले ब्रिटेन के लिए कुछ करने की ललक में कोविड-19 महामारी के दौरान वह लंदन के एक अस्पताल में वार्डों की सफ़ाई करने वाली एक टीम में शामिल हो गए.

डॉक्टर एडना पेट्रीशिया गोमेज़ वर्ष 2018 में वेनेज़्वेला से भागकर कोलम्बिया चली गईं थीं. अब वो इस दक्षिण अमेरिकी देश में वेनेज़्वेला के शरणार्थियों को महिला सम्बन्धी स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करती हैं. जब से कोरोनावायरस फैलना शुरू हुआ है वह कोविड-19 की जाँच और उपचार में मदद करने में जुटी हैं.

शदी मोहम्मदली (मध्य ) गाज़ा के एक शरणार्थी हैं जो अब ग्रीस में एक शरणार्थी शिविर में कोविड की रोकथाम के लिये जागरूकता बढ़ाने का काम कर रहे हैं. एक शरणार्थी होने के नाते वह समझते हैं कि शिविर में शरणार्थियों को कैसा महसूस हो रहा होगा. “उस समय किसी ने मेरी मदद की थी; अब वहीं दयालुता वापस दिखाने की मेरी बारी है.”