शिक्षा का अलख जगाते रंजीतसिंह डिसले
‘वैश्विक अध्यापक पुरस्कार 2020’ के विजेता रंजीतसिंह डिसले का कहना है कि दुनिया को, 21वीं सदी के शिक्षकों की आवश्यकता है और जीवन में टैक्नॉलॉजी की बढ़ती भूमिका के मद्देनज़र, शिक्षकों को भी कक्षाओं में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ाना होगा.
भारत में महाराष्ट्र प्रदेश के सोलापुर ज़िले के परीतेवाड़ी गाँव में सरकारी स्कूल में अध्यापक, रंजीतसिंह डिसले को, हाल ही में ब्रिटेन में वर्के फ़ाउण्डेशन और संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवँ सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा, शिक्षा से परे जाकर समाज में बदलाव लाने की उनकी कोशिशों के लिये पुरस्कृत किया गया है.
इस पुरस्कार के लिये, 140 से अधिक देशों के 12 हज़ार से अधिक शिक्षकों को नामाँकित किया गया था.
रंजीतसिंह डिसले ने परिवर्तन लाने के लिये नई भाषा सीखी, छात्रों को शिक्षा में मदद करने के लिये डिजिटल तकनीक के तरीक़े ढूँढे, और ख़ास तौर पर लड़कियों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिये असीम प्रयास किये.
हमारी सहयोगी अंशु शर्मा ने उनकी इस असाधारण शिक्षा मुहिम के बारे में विस्तार से बात की...