कृषि में विज्ञान: महिला किसानों को लाभ
भारत का 80 फ़ीसदी कृषक समुदाय छोटे किसानों का है जिन पर जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर पड़ने की आशंका है.
एक अनुमान के मुताबिक, कटाई के बाद फ़सलों के ख़राब होने से दैनिक आधार पर उन्हें लगभग 1 करोड़ 94 लाख डॉलर मूल्य की फ़सलों का रोज़ाना नुकसान होता है. इसका कारण भण्डारण के लिए बुनियादी ढाँचे और अच्छी कृषि तकनीक़ों की कमी, सीमित बाज़ार और अपर्याप्त इन्तज़ाम हैं.
इस समस्या के समाधान के लिये सायंस फ़ॉर सोसाइटी यानी S4S टैक्नॉलॉजी ने छोटे किसानों के फलों और सब्ज़ियों की प्रोसेसिंग यानी प्रसंसकरण के लिए ‘सोलर कंडक्शन ड्रायर्स’ (एससीडी) का सहारा लिया है.
सौर ऊर्जा से संचालित इस मशीन के ज़रिये कृषि-उत्पादन में नमी की मात्रा को कम किया जाता है ताकि किसान किसी भी रसायन का उपयोग किए बिना अपनी उपज को एक वर्ष तक संरक्षित कर सकें.
अपने इस समाधान के लिए हाल ही में S4S की सहसंस्थापक निधि पंत को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के ‘यंग चैम्पियन्स ऑफ़ द अर्थ’ के पुरस्कार की अन्तिम सूची में जगह मिली है. हमारी सहयोगी अंशु शर्मा ने निधि से उनके इस प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से बात की.