एलजीबीटी समुदाय की स्वीकार्यता में शिक्षा की अहम भूमिका
संयुक्त राष्ट्र एड्स कार्यक्रम में वरिष्ठ सलाहकार नंदिनी कपूर का कहना है कि LGBTQIA+ समुदाय के साथ भेदभाव को रोकने और समाज में उनकी स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए शिक्षा प्रसार व जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान देना ख़ासतौर पर ज़रूरी है. साथ ही सरकारी योजनाओं में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सक्रियता से प्रयास किए जाने चाहिए.
इस वर्ष टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर उच्च-स्तरीय राजनैतिक फ़ोरम में भारत अपनी दूसरी स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षा (Voluntary National Reviews) पेश करेगा जिसके मद्देनज़र संयुक्त राष्ट्र कार्यालय, भारत में नीति आयोग के साथ मिलकर सबसे कमज़ोर वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाले नागरिक संगठनों के साथ राष्ट्रीय परामर्श प्रक्रिया में जुटा है.
इस सिलसिले में 10 से अधिक जनसंख्या समूहों की पहचान की गई है जिनमें महिलाएं, बच्चे, एलजीबीटीक्यूआईए+, दलित, आदिवासी सहित अन्य समूह शामिल हैं और विभिन्न भागीदारों की हिस्सेदारी और मदद से रिपोर्टें तैयार की जाएंगी.
हाल ही में दिल्ली में LGBTQIA+ समुदाय के साथ हुए परामर्श में देश भर से कई सामाजिक संगठन एकजुट हुए और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई.
यूएनएड्स में वरिष्ठ सलाहकार नंदिनी कपूर ने यूएन हिन्दी न्यूज़ की अंशु शर्मा को बताया कि सालों के संघर्ष और पैरवी के बाद एलजीबीटी+ समुदाय के लिए महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, लेकिन फिर भी ऐसे कई मुद्दे हैं जिनका समाधान निकालना बाक़ी है.