चढ़ता पारा, गर्माते महासागर, पिघलते ग्लेशियर
पृथ्वी के तापमान में बढ़ोत्तरी को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के स्पष्ट फ़ायदे हैं और मौजूदा दौर की कार्रवाई ही महासागरों और क्रायोस्फ़ेयर - पृथ्वी का बर्फ़ से ढंका क्षेत्र - का भविष्य तय करेगी.
यह कहा है 'द एनर्जी एंड रिसोर्सेज़ इंस्टीट्यूट' में एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ अंजल प्रकाश ने जिन्होंने हाल ही में 'इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ (आईपीसीसी) की ओर से जारी की गई नई रिपोर्ट को तैयार करने में 'कोऑर्डिनेटिंग लीड ऑथर' के तौर पर ज़िम्मेदारी संभाली.
डॉ प्रकाश ने जलवायु परिवर्तन की गंभीरता के मद्देनज़र बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ और सहनशील बनाने, पूर्व चेतावनी देने वाली प्रणालियां विकसित करने और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए संस्थागत नवाचारों (इनोवेशन) की अहमियत को भी रेखांकित किया है.
आईपीसीसी की इस रिपोर्ट में चेतावनी जारी की गई है कि अगर मानवीय गतिविधियों में बड़े बदलाव नहीं आए तो समुद्री जलस्तर के बढ़ने, प्राकृतिक आपदाओं के बार-बार आने और खाने-पीने की क़िल्लत से करोड़ों लोग प्रभावित होंगे.
यूएन न्यूज़ के सचिन गौड़ से बातचीत में डॉ प्रकाश ने सबसे पहले रिपोर्ट के अहम बिंदुओं के बारे में जानकारी दी.