वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

साक्षात्कार

UN Photo/Violaine Martin

अफ़ग़ानिस्तान के लिये विशाल मानवीय मदद की ज़रूरत - UNHCR

अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदा राजनैतिक, सुरक्षा और मानवीय संकट के कारण गम्भीर हालात हैं और देश की लगभग आधी आबादी को मानवीय सहायता की आवश्यकता बताई गई है. 

संयुक्त राष्ट्र की कई एजेन्सियाँ ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचाने के काम में मुस्तैदी में जुटी हैं. मगर, उन्हें संसाधनों की कमी के कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके मद्देनज़र, संयुक्त राष्ट्र ने चिन्ता जताते हुए अन्तराराष्ट्रीय समुदाय से सहायता की अपील की है. 

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Ridhima Pandey

युवा जलवायु कार्यकर्ता - रिद्धिमा पाण्डे

रिद्धिमा पाण्डे, भारत की एक युवा जलवायु कार्यकर्ता हैं और स्थानीय समुदायों से लेकर अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर जलवायु कार्रवाई के लिये आवाज़ मुखर करती रही हैं.

रिद्धिमा उत्तराखण्ड राज्य के हरिद्वार शहर की निवासी हैं और बीबीसी ने वर्ष 2020 में उन्हें शीर्ष 100 महिलाओं की सूची में भी शामिल किया था.

19 अगस्त को विश्व मानवीय दिवस के अवसर पर रिद्धिमा #TheHumanRace नामक मुहिम को अपना समर्थन दे रही हैं.

उन्होंने यूएन न्यूज़ हिन्दी के साथ बातचीत में बताया कि इस मुहिम में उनकी क्या भूमिका है.

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9'38"
Avani Awasthee

युवा जलवायु कार्यकर्ता - अवनी अवस्थी

भारत की अवनी अवस्थी एक युवा जलवायु कार्यकर्ता हैं और पिछले अनेक वर्षों से प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने, रीसायकलिंग व जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये प्रयासरत हैं.

वर्ष 2016 में उन्होंने अन्टार्कटिका एक्सीपीडिशन दल में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया, जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता का प्रसार करना था.

अवनी अवस्थी, इस साल 19 अगस्त को विश्व मानवीय दिवस के अवसर पर जलवायु कार्रवाई और निर्बल समूहों के लिये समर्थन जुटाने पर केन्द्रित #TheHumanRace नामक एक मुहिम को अपना समर्थन दे रही हैं.

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Unsplash/Sigmund

कोरोनावायरस संकट काल: विकलांगजन की बढ़ी मुश्किलें

विकलांगजन के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिये प्रयासरत और फ़िनलैण्ड की एबीलिस फ़ाउण्डेशन में नेपाल के लिये कन्ट्री कोऑर्डिनेटर बीरेन्द्र राज पोखरेल का कहना है कि कोविड-19 महामारी के दौरान विकलांग व्यक्तियों के लिये गम्भीर चुनौतियाँ पैदा हुई हैं, जिनसे निपटने के लिये भावी योजनाओं में उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं का ख़याल रखा जाना होगा.   

विश्व में एक अरब लोग, यानि लगभग हर सात में से एक व्यक्ति किसी ना किसी रूप में विकलांग है. इनमें से अधिकाँश लोग विकासशील देशों में रहते हैं 

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Dr. Krishna Raman.

तन मन का योग - 'स्वस्थ जीवन शैली की बुनियाद'

योगासन और शारीरिक व मानसिक अनुशासन के ज़रिये ना सिर्फ़ प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूती प्रदान करने और कोविड-19 के दुष्प्रभावों से उबरने से मिल सकती है, बल्कि योग को दैनिक जीवन में शामिल करने से, एक स्वस्थ जीवन की नींव भी तैयार की जा सकती है. 

यह कहना है कि डॉक्टर कृष्णा रामन का, जिन्होंने सोमवार, 21 जून, को ‘अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस’ पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन द्वारा ‘Yoga for well being’ नामक विषय पर आयोजित एक ऑनलाइन चर्चा में हिस्सा लिया.

उनका मानना है कि योग, बीमारियों के उपचार में सहायक होने के साथ-साथ, उनकी रोकथाम में भी प्रभावी है. 

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Ranjit Prakash

बाल श्रमिकों की संख्या में बढ़ोत्तरी चिन्ताजनक

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि दो दशकों में पहली बार, बाल श्रमिकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. 

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि कोविड-19  महामारी के परिणामस्वरूप 2022 के अन्त तक, वैश्विक स्तर पर, 90 लाख अतिरिक्त बच्चों को बाल श्रम में धकेले जाने का ख़तरा है.

‘बाल श्रम: वैश्विक अनुमान 2020, रुझान और आगे की राह’ नामक यह रिपोर्ट, अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष द्वारा जारी की गई है.  

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WFP India

कोविड-19: खाद्य असुरक्षा बढ़ने का जोखिम

भारत में पिछले दो महीनों में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ने संकट की स्थिति पैदा कर दी और इस दौरान देश की स्वास्थ्य प्रणाली को भारी चुनौती का सामना करना पड़ा है.

साथ ही, महामारी से बचाव और रोकथाम उपायों की वजह से लाखों लोगों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा के लिये भी एक बड़ा ख़तरा पैदा हो गया है. भारत के पास खाद्य-आधारित सामाजिक संरक्षा उपाय मौजूद हैं, मगर महामारी से उपजी अतिरिक्त चुनौतियों के समाधान की आवश्यकता होगी.

इसी विषय पर ज़्यादा जानकारी के लिये यूएन न्यूज़ हिन्दी ने भारत में विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के प्रतिनिधि और देशीय निदेशक, बिशॉय पाराजुली से बात की,
 

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9'58"
UN News

आसान नहीं है राजनीति की डगर

भारत की राजधानी दिल्ली में विधानसभा की सदस्या, आतिशी का करियर शिक्षण से शुरू हुआथा, जिसने आगे जाकर ऐसा राजनैतिक मोड़ लिया कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों की काया-पलट ही हो गई.

आतिशी ने, अन्तरारष्ट्रीय महिला दिवस पर, महिलाओं के राजनीति में प्रतिनिधित्व व महिला अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर, यूएन न्यूज़ हिन्दी की अंशु शर्मा के साथ ख़ास बातचीत की...
 

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9'21"
UN News

राजनीति में ज़मीनी स्तर पर काम करना ज़रूरी - छवि राजावत

छवि राजावत, भारत के राजस्थान प्रदेश में, वर्ष 2010 से 2020 तक, राजधानी जयपुर के निकट एक गाँव सोडा की सरपंच रही हैं. सरपंच के रूप में काम करने के लिये, कॉर्पोरेट जगत का करियर छोड़ने वाली, छवि राजावत का मानना है कि ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाने के लिये बुनियादी स्तर पर शुरू करना ज़रूरी है,  “अगर हम मूलभूत चीज़ों की बात करें, तो हम बच्चों से स्कूलों में पूछते हैं कि विपरीत शब्द बताओ. सफ़ेद का विपरीत शब्द क्या है – काला मानते हैं. और आप पूछें कि पुरुष का विपरीत शब्द क्या है – तो वो कहेंगे महिला. तो शुरूआती स्तर पर ही हम बहुत ग़लत चीज़ सिखा रहे हैं.

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Vaibhav Gadekar

शिक्षा का अलख जगाते रंजीतसिंह डिसले

‘वैश्विक अध्यापक पुरस्कार 2020’ के विजेता रंजीतसिंह डिसले का कहना है कि दुनिया को, 21वीं सदी के शिक्षकों की आवश्यकता है और जीवन में टैक्नॉलॉजी की बढ़ती भूमिका के मद्देनज़र, शिक्षकों को भी कक्षाओं में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ाना होगा. 

भारत में महाराष्ट्र प्रदेश के सोलापुर ज़िले के परीतेवाड़ी गाँव में सरकारी स्कूल में अध्यापक, रंजीतसिंह डिसले  को, हाल ही में ब्रिटेन में वर्के फ़ाउण्डेशन और संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवँ सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा, शिक्षा से परे जाकर समाज में बदलाव लाने की उनकी कोशिशों के लिये पुरस्कृत किया गया है.

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