वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

साक्षात्कार

UN News/Shivani Kala

टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये प्रयास, भारतीय मॉडल की प्रासंगिकता

संयुक्त राष्ट्र में टिकाऊ विकास लक्ष्यों और 2030 एजेण्डा पर एक उच्चस्तरीय राजनैतिक फ़ोरम के दौरान, यूएन में भारत के स्थाई मिशन ने हाल ही में एक कार्यक्रम का आयोजन किया.

इसका उद्देश्य 2030 एजेण्डा को लागू करने में भारत के अनुभवों को साझा करने के साथ-साथ, यह दर्शाना था कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में, ग्लोबल साउथ क्षेत्र में स्थित विकासशील देश, किस प्रकार से सबक़ ले सकते हैं. 

नीति आयोग के वाइस चेयरमैन सुमन बेरी ने यूएन न्यूज़ के साथ एक संक्षिप्त बातचीत में इस कार्यक्रम के दौरान चर्चा के विशेष बिन्दुओं पर जानकारी दी. 

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UN News

भारत: टिकाऊ विकास पर केन्द्रित कृषि परियोजना

भारत में खाद्य एवं कृषि संस्थान (FAO) कार्यालय, भारत सरकार के साथ मिलकर, टिकाऊ कृषि की परियोजनाओं पर काम कर रहा है.

इस क्रम में, Green-AG नामक एक परियोजना, भारत के मध्य प्रदेश, मिज़ोरम, ओडिशा, राजस्थान व उत्तराखण्ड राज्यों में शुरु की गई है, जिसके केन्द्र में हैं - जैव-विविधता, जलवायु कार्रवाई, भूमि क्षरण और टिकाऊ वन प्रबन्धन.

यूएन न्यूज़ हिन्दी की अंशु शर्मा ने विश्व पर्यावरण दिवस 2022 के अवसर पर, FAO में वरिष्ठ नीति सलाहकार व Green-AG परियोजना के निदेशक राकेश सिन्हा से बात की, जिन्होंने बताया कि यह परियोजना पर्यावरणीय सिद्धान्तों के अनुरूप है.

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Unsplash/Wesley Gibbs

मादक पदार्थों और सोशल मीडिया के बीच कड़ी को तोड़ना अहम

संयुक्त राष्ट्र समर्थित ड्रग नियंत्रण संस्था ने चेतावनी जारी की है कि सोशल मीडिया पर युवाओं को भांग, हेरोइन और अन्य नियंत्रित पदार्थों के सेवन के लिये उकसाया जा रहा है.

इण्टरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड (आईएनसीबी) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में सोशल मीडिया के प्रयोग और नशीली दवाओं के इस्तेमाल के बीच सम्बन्ध के बढ़ते सबूतों को रेखांकित किया है.

साथ ही, देशों की सरकारों और सोशल मीडिया कम्पनियों से लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म के ज़रिये फैलाये जा रहे ऐसे सन्देशों पर रोक लगाने का आहवान किया गया है.

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Sujata Chatterjee

परिधान उद्योग में बढ़ते प्रदूषण के विरुद्ध मुहिम

भारत के कोलकाता शहर की महिला उद्यमी सुजाता चैटर्जी का मानना है कि कपड़ों की बर्बादी एक बड़ा पर्यावरणीय मुद्दा है.

सुजाता अपने उद्यम के ज़रिये, घरों में बेकार पड़े कपड़ों को  एकत्र करके, उसका एक हिस्सा गाँव में ग़रीब लोगों को देती हैं, और बाकी कपड़ों को री-सायकिल करके नए उत्पाद बनाती हैं.

सुजाता का उद्यम पूरी तरह महिलाओं द्वारा संचालित है और परिधान उद्योग में प्रदूषण से निपटने के अलावा ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण में भी अहम भूमिका निभा रहा है.

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UNDP India

जलवायु सहनक्षमता निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाती महिलाएँ

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिये सहनक्षमता निर्माण को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है.

भारत में 'महिला हाउसिंग सेवा ट्रस्ट' नामक एक ग़ैर-सरकारी संगठन, दक्षिण एशियाई देशों के शहरी इलाक़ों में रहने वाले निम्न आय वाले परिवारों में, महिलाओं को संगठित करने व उनके सशक्तिकरण के लिये प्रयासरत है.

इसके तहत, ताप लहरों, जल की क़िल्लत, जल भराव या जल जनित बीमारियों की रोकथाम के लिये महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है ताकि स्थानीय रूप से प्रासंगिक और ज़रूरतों के अनुरूप समाधानों को अपनाया जा सके.

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© WMO/Karolin Eichier

जलवायु कार्रवाई के नज़रिये से बेहद अहम हैं अगले 15 साल

​जलवायु परिवर्तन पर अन्तरसरकारी आयोग (IPCC) ने, अपनी एक नई रिपोर्ट में दुनिया पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में एक कड़ी चेतावनी जारी की है.

विशेषज्ञों का कहना है कि पारिस्थितिकी विघटन, प्रजातियों के विलुप्तिकरण, जानलेवा गर्मियाँ और बाढ़ें, ये ऐसे जलवायु ख़तरे हैं जिनका सामना विश्व को, वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण, अगले दशकों में करना पड़ सकता है.

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UN Photo/Eskinder Debebe

विकलांगजन को दया की नहीं, समर्थन की है ज़रूरत – अरुणिमा सिन्हा

भारत की पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा ने, एक ट्रेन हादसे में अपना पैर गँवाने के बाद, अपने जीवन को एक नई दिशा में मोड़ दिया. अरुणिमा, वर्ष 2013 में, विश्व के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर, माउण्ट एवरेस्ट तक पहुँचने वाली पहली विकलांग महिला बन गईं. 

अरुणिमा सिन्हा ने, 3 दिसम्बर को अन्तरराष्ट्रीय विकलांगजन दिवस के अवसर पर, यूएन न्यूज़ हिन्दी के साथ एक ख़ास बातचीत में कहा कि विकलांगजन को दया की नहीं, बल्कि समर्थन की ज़रूरत है. 

अरुणिमा सिन्हा को वर्ष 2017 में नीति आयोग और भारत में यूएन कार्यालय की साझीदारी में ‘'Women Transforming India Awards' से भी सम्मानित किया गया था.

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यूएन न्यूज़/अंशु शर्मा

कॉप26 सम्मेलन से जुड़ी युवाओं की उम्मीदें

स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो शहर में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप26) में हिस्सा ले रहीं, भारत की एक युवा जलवायु कार्यकर्ता हीता लखानी का कहना है कि हाल के वर्षों में जलवायु वार्ताओं में युवाओं की भूमिका बढ़ी है. 

हीता लखानी मुम्बई में एक जलवायु शिक्षिका हैं, और युवा नेतृत्व वाले संगठनों के समूह, YOUNGO के लिये ‘ग्लोबल साउथ’ की समन्वयक हैं. हीता, भारत में विभिन्न गतिविधियों के तहत युवाओं में मौजूदा जलवायु चुनौती के प्रति समझ और अन्तरराष्ट्रीय प्रक्रियाओं के सम्बन्ध में जानकारी बढ़ाने के लिये प्रयासरत है. 

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UNIC India

बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर वातावरण और बेहतर जीवन

दुनिया आज के दौर में, जलवायु संकट और जैव विविधता की हानि के कारण, बढ़ती भुखमरी का सामना कर रही है. ऐसे में, खाद्य व पोषण सुरक्षा एवं आजीविका की रक्षा के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, विशेष रूप से हाशिये पर धकेले गए समुदायों के लोगों के लिये.

यूएन न्यूज़ की अंशु शर्मा ने विश्व खाद्य दिवस, 2021 पर भारत में संयुक्त राष्ट्र के कृषि संगठन (एफ़एओ) में राष्ट्रीय सलाहकार, शालिनी भूटानी से खाद्य सुरक्षा के विभिन्न आयामों पर चर्चा की.
 

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© Kailash Satyarthi

एसडीजी प्राप्ति के लिये संयुक्त राष्ट्र को सशक्त बनाने की ज़रूरत

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने, दुनिया की अनमोल वैश्विक परिसम्पत्तियों की रक्षा और साझा आकांक्षाओं को पूरा करने की ख़ातिर, तत्काल कार्रवाई का आहवान करते हुए, टिकाऊ विकास लक्ष्यों के नए पैरोकारों के नामों की घोषणा की है.

इनमें से एक हैं, भारत से नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी. ये सभी पैरोकार, जलवायु कार्रवाई, डिजिटल विभाजन, लैंगिक समानता और बाल अधिकारों के मुद्दों पर सक्रिय होंगे. 

यूएन न्यूज़ की अंशु शर्मा ने दिल्ली में कैलाश सत्यार्थी के साथ बातचीत की और यह जानना चाहा कि इस नई भूमिका में उनकी क्या प्रमुख रणनीति रहेगी...
 

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