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जैवविविधता दिवस: प्रकृति के विरुद्ध छेड़े गए युद्ध पर विराम लगाने का आग्रह

मानवता के अस्तित्व के लिए स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र बेहद अहम हैं.
Unsplash/Justin DoCanto
मानवता के अस्तित्व के लिए स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र बेहद अहम हैं.

जैवविविधता दिवस: प्रकृति के विरुद्ध छेड़े गए युद्ध पर विराम लगाने का आग्रह

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ‘अन्तरराष्ट्रीय जैवविविधता दिवस’ पर आगाह किया है कि मानव गतिविधियों के कारण, दुनिया का हर कोना बर्बाद हो रहा है, और 10 लाख से अधिक प्रजातियों पर लुप्त होने का जोखिम है. इस स्थिति के मद्देनज़र, उन्होंने प्रकृति के विरुद्ध छेड़े गए इस युद्ध का अन्त करने की पुकार लगाई है.

सोमवार, 22 मई, को मनाए जा रहे ‘अन्तरराष्ट्रीय जैवविविधता दिवस’ की थीम, शब्दों से आगे बढ़कर, जैवविविधता बहाली के लिए कार्रवाई पर लक्षित है.

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यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा, “अन्तरराष्ट्रीय जैवविविधता दिवस पर, हम मानवता की जीवन-समर्थक प्रणाली के साथ अपने सम्बन्ध पर मनन करते हैं.”

“हम जिस वायु में साँस लेते हैं, जो भोजन करते हैं, जो ऊर्जा हमें ईंधन प्रदान करती है, और हमें जो दवाएँ ठीक करती हैं, हमारा जीवन स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्रों पर पूर्ण रूप से निर्भर है.”

यूएन प्रमुख ने क्षोभ प्रकट किया कि इसके बावजूद, हमारे कृत्यों से पृथ्वी का हर कोना बर्बाद हो रहा है.

“10 लाख प्रजातियों पर लुप्त होने का जोखिम है, जोकि पर्यावास क्षरण, आसमान छूते प्रदूषण, और बद से बदतर हो रहे जलवायु संकट का नतीजा है.”

वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए जैविक विविधता बेहद मूल्यवान है और इसकी अहमियत को निरन्तर रेखांकित किया गया है.

मगर, वन्यजीवों को शिकार किए जाने, अवैध रूप से पेड़ों की कटाई जैसी अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण प्रजातियों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है.

सर्वजन के लिए ख़तरा

जैविक विविधता को अक्सर विविध प्रकार के पौधों, पशुओं, और सूक्ष्म जीवों के रूप में समझा जाता है, लेकिन यह हर प्रजाति में अनुवांशिक भिन्नताओं को भी अपने में समेटे है.

एक नाज़ुक सन्तुलन में, जैवविविधता, विविध प्रकार की फ़सलों और मवेशियों की नस्लों के बीच भिन्नताओं को परिलक्षित करती है, और झीलों, वनों, मरुस्थलों, और कृषि भूदृश्यों जैसे अनेक प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्रों को भी.

जैविक विविधता का नुक़सान, सभी के लिए ख़तरा है. यह आशंका प्रबल है कि जैवविविधता हानि की वजह से पशुजनित बीमारियों, यानि पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियों का जोखिम बढ़ेगा.

जैविक विविधता को मज़बूती प्रदान करना, कोरोनावायरस जैसी अन्य वैश्विक महामारियों के प्रति लड़ाई में एक बेहद अहम औज़ार है.

वादों को साकार करना

अब तक, 196 पक्षों ने ‘जैविक विविधता सन्धि’ पर मुहर लगाई है, जोकि जैवविविधता के संरक्षण, इसके घटकों के सतत इस्तेमाल और अनुवांशिक संसाधनों के उपयोग से प्राप्त होने वाले लाभों को निष्पक्ष व न्यायसंगत रूप से साझा किए जाने पर लक्षित है.

इस क्रम में, वर्ष 2022 में कुनमिंग-मॉन्ट्रियाल वैश्विक जैवविविधता फ़्रेमवर्क पारित किया गया, जिसमें सभी सम्बद्ध पक्षों ने इसे लागू करने के लिए राष्ट्रीय लक्ष्य स्थापित किए जाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है.

यूएन महासचिव ने अपने सन्देश में ध्यान दिलाया है कि यह समय समझौते से कार्रवाई की ओर बढ़ने का है.

इसका अर्थ है, सतत उत्पादन व खपत रुझान सुनिश्चित करना और प्रकृति का विध्वंस करने वाली गतिविधियों के बजाय हरित समाधानों को बढ़ावा देना.

इसके समानान्तर, आदिवासी व्यक्तियों व स्थानीय समुदायों के अधिकारों को मान्यता दी जानी होगी, जोकि विश्व में जैवविविधता के सबसे मज़बूत रखवाले हैं.

प्रवाल भित्तियों में, किसी भी वैश्विक पारिस्थितिकी की सर्वोच्च जैव विविधता होती है.
Ocean Image Bank/Brook Peterson

साथ ही, सरकारों और व्यवसायों को जैवविविधता हानि की रोकथाम करने और जलवायु संकट से निपटने के लिए त्वरित व मज़बूत क़दम उठाने के लिए प्रेरित किया जाना होगा.

“आइए, हम सरकारों, नागरिक समाज और निजी सैक्टर, सभी के साथ मिलकर सर्वजन के लिए एक टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करें.”

कुछ अहम तथ्य:

- जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्रों पर मौजूदा नकारात्मक रुझानों से 2030 एजेंडा के आठ टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर प्रगति प्रभावित होगी

- भूमि-आधारित पर्यावरण के तीन-चौथाई और समुद्री पर्यावरण के क़रीब 66 फ़ीसदी हिस्से में, मानवीय गतिविधियों के कारण काफ़ी हद तक बदलाव आया है

- पशुओं व पौधों की 10 लाख से अधिक प्रजातियों पर लुप्त होने का जोखिम है

- अनेक प्रजातियों पर जोखिम मंडराने की एक बड़ी वजह, उनका अवैध व्यापार व शिकार है

- मछलियाँ, विश्व में लगभग तीन अरब लोगों को, पशुओं से मिलने वाले प्रोटीन का 20 फ़ीसदी प्रदान करती हैं

- मानव आहार का 80 फ़ीसदी से अधिक हिस्सा, पौधों द्वारा प्रदान किया जाता है

- विकासशील देशों के ग्रामीण इलाक़ों में रह रही लगभग 80 फ़ीसदी आबादी, बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल के लिए पौधों पर आधारित पारम्परिक चिकित्सा पर निर्भर है