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WHO: 43 देशों में, एक अरब लोगों पर हैज़ा का जोखिम

उत्तर पश्चिमी सीरिया के अलेप्पो में एक बच्चे को हैजा के खिलाफ टीका लगाते हुए.
© UNICEF/Rami Nader
उत्तर पश्चिमी सीरिया के अलेप्पो में एक बच्चे को हैजा के खिलाफ टीका लगाते हुए.

WHO: 43 देशों में, एक अरब लोगों पर हैज़ा का जोखिम

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आगाह करते हुए कहा है कि हैज़ा के मामलों में वर्षों की लगातार गिरावट के बाद, ये बीमारी अब फिर से अपनी विनाशकारी वापसी कर रही है और विश्व के सर्वाधिक निर्बल हालात वाले समुदायों को निशाना बना रही है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने शुक्रवार को सचेत किया कि अब पहले से अधिक देश इस प्रकोप का सामना कर रहे हैं और हैज़ा के ज़्यादा मामले दर्ज किए जा रहे हैं. रोगियों के लिए नतीजे, 10 साल पहले की तुलना में और भी बदतर हैं.

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निर्धन और निर्बल हैं सर्वाधिक प्रभावित

यूनीसेफ़ की सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकालीन इकाई के प्रमुख जेरोम पफ़मैन ज़म्ब्रूनी का कहना है, "ये महामारी, हमारी आँखों के सामने ही ग़रीबों को मार रही है."

वैश्विक हैज़ा कार्रवाई के लिए एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ हैनरी ग्रे ने इस स्याह परिदृश्य को दोहराते हुए कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) आँकड़े दर्शाते हैं कि मई 2023 तक 15 देशों में हैज़ा के मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन वर्ष में मध्य मई तक ही, 24 देशों में हैज़ा के मामलों की पुष्टि हुई है, और मौसम में बदलाव के साथ, इस संख्या में बढोत्तरी की सम्भावना है.

"इस बीमारी पर नियंत्रण पाने में, बीते दशकों के दौरान हुई प्रगति के पलट जाने का जोखिम मंडरा रहा है."

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी का अनुमान है कि कुल 43 देशों में लगभग एक अरब लोगों पर, हैज़ा का ख़तरा मंडरा रहा है, जिनमें पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चे विशेष रूप से संवेदनशील हैं.

हैज़ा के कारण होने वाली असाधारण उच्च मृत्यु दर, बेहद चिन्ताजनक है. मलावी और नाइजीरिया में हैज़ा से होने वाली मौतों की दर, इस वर्ष तीन प्रतिशत दर्ज की गई, जोकि एक प्रतिशत की मान्य दर से काफ़ी ज़्यादा है.

हैज़ा के मामलों में उछाल

दक्षिण-पूर्वी अफ़्रीका, इस बीमारी से बुरी तरह प्रभावित है, जहाँ मलावी, मोज़ाम्बीक, दक्षिण अफ़्रीका, तंज़ानिया, ज़ाम्बिया और ज़िम्बाब्वे में, ख़ासतौर पर ये संक्रमण फैल रहा है.

हैज़ा मामलों में ये उछाल, मलावी और मोज़ाम्बीक़ में, फ़रवरी और मार्च 2023 में आए चक्रवर्ती तूफ़ान फ़्रैडी के बाद ज़्यादा देखा गया है. उस तूफ़ान के क़हर से 8 लाख  लोग देश के भीतर ही विस्थापित हो गए थे और देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी भारी बोझ डाल दिया.

इन कमज़ोर समुदायों पर हैज़ा का अधिक जोखिम है. ये एक ऐसी बीमारी है जिसकी रोकथाम की जा सकती है और ये संक्रमण भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में पनपता है.

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने एक सुर में कहा है कि जलवायु परिवर्तन, जल, साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता सेवाओं में कम निवेश व कुछ मामलों में सशस्त्र संघर्ष के घातक मिश्रण से, हैज़ा के फैलाव का रास्ता निकला है.

हैज़ा से बचाव के लिए वैसे तो वैक्सीन मौजूद हैं, लेकिन ये बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि वैश्विक स्तर पर 1.8 करोड़ ख़ुराकों का अनुरोध किया गया है, लेकिन केवल 80 लाख टीके ही उपलब्ध कराए गए हैं.

स्वास्थ्य विशेषज्ञ हैनरी ने कहा, टीकों का उत्पादन रातों-रात बढ़ाना, कोई समाधान नहीं है.”

“टीका उत्पादन, वर्ष 2025 तक दोगुना करने की योजना है, लेकिन अगर मौजूदा रुझान जारी रहा तो, हमारे पास पर्याप्त तादाद में, टीके उपलब्ध नहीं होंगे.”

“टीका एक साधन है लेकिन सम्पूर्ण समाधान नहीं है. जल स्वच्छता में दीर्घकालिक निवेश ही प्राथमिकता होनी चाहिए."

जल निवेश के लिए त्वरित कार्रवाई की पुकार

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने, हैज़ा के बढ़ते जोखिम से निपटने के लिए 12 महीने की 'सामरिक तैयारी, सहायता  और तत्परता योजना' शुरू की है जिसके लिए 16 करोड़ डॉलर की धनराशि की आवश्यकता है. ये धनराशि, यूनीसेफ़ की 48 करोड़ डॉलर की रक़म पुकार के अलावा होगी.

हैज़ा से निपटने के लिए इस संयुक्त मुहिम में, गम्भीर संकट का सामना कर रहे 40 देशों की मदद की जाएगी. इसमें समन्वय, संक्रमण निगरानी और रोकथाम, टीकाकरण, उपचार और जल, साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता जैसी सेवाएँ शामिल होंगी.