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WHO की चेतावनी: दीर्घकालिक रोगों से 'जीवन का लगातार व भारी नुक़सान'

व्यायाम और शारीरिक सक्रियता के ज़रिए, ग़ैर-संचारी रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है.
Unsplash/Gabin Vallet
व्यायाम और शारीरिक सक्रियता के ज़रिए, ग़ैर-संचारी रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है.

WHO की चेतावनी: दीर्घकालिक रोगों से 'जीवन का लगातार व भारी नुक़सान'

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि ग़ैर-संचारी रोग ((NCDs), हर साल होने वाली मौतों की लगभग 75 प्रतिशत संख्या के लिए ज़िम्मेदार हैं.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (WHO) के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि वर्ष 2022 तक हासिल किए गए नवीनतम विश्व स्वास्थ्य आँकड़े, ग़ैर-संचारी रोगों से दरपेश ख़तरे पर बहुत प्रखर सन्देश भेजते हैं, जो ज़िन्दगियों, स्वास्थ्य प्रणालियों, समुदायों, अर्थव्यवस्थाओं और समाजों के लिए लगातार और बहुत विशाल नुक़सान पहुँचाते हैं.

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यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक ने कहा कि रिपोर्ट में, टिकाऊ विकास लक्ष्य (SDGs) प्राप्ति की दिशा में फिर से पटरी पर लौटने के लिए, स्वास्थ्य और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में संसाधन निवेश में ठोस बढ़ोत्तरी की पुकार लगाई गई है.

भविष्य की पीढ़ियों के लिए जोखिम

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि कुल स्वास्थ्य प्रगति के बावजूद, ग़ैर-संचारी रोगों द्वारा किए जा रहे भारी नुक़सान का मतलब है कि अगर यही चलन जारी रहा तो, लगभग 2050 तक, हृदय सम्बन्धी बीमारियों, कैंसर, डायबिटीज़ और साँस सम्बन्धी बीमारियों जैसे दीर्घकालीन रोग, हर साल होने वाली लगभग नौ करोड़ मौतों में से, 86 प्रतिशत के लिए ज़िम्मेदार होंगे. वर्ष 2019 के बाद से, ये संख्या, 90 प्रतिशत बढ़ोत्तरी दिखाएगी.

संगठन ने कहा कि रिपोर्ट में कुल मिलाकर, वर्ष 2000 और 2015 के दरम्यान दर्ज गिए गए रुझानों की तुलना में, हाल के वर्षों में प्रमुख स्वास्थ्य संकेतकों में, स्वास्थ्य प्रगति में आए ठहराव को रेखांकित किया गया है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते ख़तरे के बारे में आगाह भी किया है और साथ ही, बढ़ती स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के लिए, दुनिया भर में तमाम देशों से एक समन्वित और ठोस कार्रवाई की पुकार भी लगाई है.

कोविड-19 से नक़सान

रिपोर्ट के दस्तावेज़ों में कोविड-19 महामारी के, वैश्विक स्वास्थ्य पर नुक़सान के बारे में ताज़ा आँकड़े भी मुहैया कराए गए हैं. इस महामारी का, टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिए प्रगति में मौजूदा धीमी रफ़्तार में ख़ासा हाथ है.

वर्ष 2020-2021 के दौरान, कोविड-19 महामारी के कारण, वैश्विक स्तर पर 33 करोड़ 68 लाख वर्ष के बराबर जीवनों का नुक़सान हुआ.

जीवन प्रत्याशा में अब भी बढ़ोत्तरी

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वर्ष 2000 के बाद से, जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य में ख़ासा सुधार हुआ है और उनकी मौतों में ख़ासी कमी आई है. एचआईवी तपेदिक (टीबी) और मलेरिया जैसी बीमारियों के संक्रमण फैलाव में भी कमी हुई है, साथ ही, ग़ैर-संचारी रोगों और ज़ख़्मों से, समय से पूर्व होने वाली मौतों की दर में भी गिरावट दर्ज की गई है.

इन लाभों ने एक साथ मिलकर, वैश्विक जीवन प्रत्याशा को वर्ष 2000 में 67 वर्ष से बढ़ाकर, वर्ष 2019 में 73 वर्ष पर पहुँचा दिया.

अलबत्ता, कोविड-19 महामारी ने बहुत से स्वास्थ्य सम्बन्धी संकेतकों को और भी ज़्यादा पटरी से उतार दिया है और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल, नियमित टीकाकरण और वित्तीय संरक्षण तक पहुँच में विषमताओं को बढ़ाया है.

इसके परिणामस्वरूप मलेरिया और टीबी का मुक़ाबला करने में बेहतर हो रहे रुझान पलट गए हैं.

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Photo: IRIN