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मोका तूफ़ान से म्याँमार में भारी विनाश, अनेक मौतों की भी आशंका

म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में चक्रवाती तूफ़ान मोका से हुई तबाही का एक दृश्य.
OCHA/Pierre Lorioux
म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में चक्रवाती तूफ़ान मोका से हुई तबाही का एक दृश्य.

मोका तूफ़ान से म्याँमार में भारी विनाश, अनेक मौतों की भी आशंका

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत समन्वय कार्यालय OCHA ने गत सप्ताहान्त, म्याँमार में चक्रवाती तूफ़ान मोका के टकराने के बाद, बेहद कमज़ोर परिस्थितियों वाले समुदायों के लिए उत्पन्न हुए हालात व चुनौतियों पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है.

तटीय हवाओं की लगभग 250 किलोमीटर प्रतिघंटा रफ़्तार वाले इस चक्रवाती तूफ़ान ने, बंगाल की खाड़ी के किनारे पर भूमि दस्तक दी और म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में गाँवों को तार-तार कर दिया.

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इस तबाही ने ग्रामीणों को, अपने बचे-खुचे घरों के टुकड़े इकट्ठे करने के लिए छोड़ दिया और उन्हें सहायता व समर्थन की तत्काल आवश्यकता है.

ख़बरों के अनुसार मोका तूफ़ान ने घरों की छतें उड़ा दीं, मछली पकड़ने वाली नौकाएँ ध्वस्त कर दीं, पेड़ों और बिजली व दूरसंचार की लाइनें उखाड़ दीं. इस विनाश ने स्थानीय आबादी को दहला दिया.

मुश्किलों में हैं लाखों लोग

म्याँमार में संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडैंट कोऑर्डिनेटर और मानवीय सहायता समन्वयक रामनाथन बालाकृष्णन ने बताया है, “सम्भवतः लगभग 54 लाख लोग, इस तूफ़ान के रास्ते में आए. हम इनमें से लगभग 31 लाख लोगों की आबादी को, तूफ़ान की तबाही से सर्वाधिक प्रभावित समझते हैं, और इस आकलन में आश्रय गुणवत्ता, खाद्य असुरक्षा व कमज़ोर वहन क्षमता जैसे संकेतक शामिल हैं.”

रामनाथन बालाकृष्णन ने आगाह करते हुए कहा कि मूसलाधार बारिश और विनाशकारी बाढ़ ने, मॉनसूनी बारिश के मौसम से पहले ही, भूस्खलन का जोखिम और भी बढ़ा दिया है.

इसलिए भी उच्च चिन्ताएँ व्यक्त की गई हैं क्योंकि तूफ़ान से प्रभावित इलाक़ों में ऐसे लाखों लोग रहते हैं, जो पहले ही लम्बे समय से चले आ रहे संघर्ष के कारण विस्थापित हैं, और उनमें से बहुत से राख़ीन प्रान्त के मुस्लिम-रोहिंज्या लोग हैं. इस गम्भीर स्थिति को 2021 के सैन्य तख़्तापलट ने और भी बदतर बना दिया.

बीमारी का जोखिम

जिन हज़ारों लोगों को बचाव केन्द्रों में पनाह लेनी पड़ी थी, अब उनके सामने सफ़ाई और निर्माण के विशाल कार्य को अंजाम देने की चुनौती दरपेश है.

यूएन शरणार्थी एजेंसी – UNHCR और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि जल-जनित बीमारियों के उच्च जोखिम का सामना करने के लिए, राहत सामान, आश्रय, पानी, स्वच्छता और साफ़-सफ़ाई की चीज़ों की तत्काल आवश्यकता है.

WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया कार्यालय के लिए क्षेत्रीय आपदा निदेशक डॉक्टर ऐडविन सल्वाडोर ने जिनीवा में बताया कि लगभग दो लाख लोगों के उपचार के लिए, पहले ही स्वास्थ्य सामान की आपूर्ति रवाना की जा चुकी है, जिसमें जल शुद्धिकरण गोलियाँ भी शामिल हैं.

उन्होंने कहा, “जैसाकि किसी भी बाढ़ प्रभावित इलाक़े में जोखिम होता है, जहाँ पीने के सुरक्षित पानी और स्वच्छता साधनों तक पहुँच एक चुनौती होती है, इन इलाक़ों में भी डायरिया, हेपेटाइटिस और मच्छरों के कारण होने वाली डेंगू व मलेरिया सहित, जल-जनित बीमारियों का जोखिम दरपेश है.”

यूएन आपदा राहत समन्वय एजेंसी – OCHA ने स्थिति की तात्कालिकता को रेखांकित करते हुए, बिना किसी देरी के, अन्तरराष्ट्रीय सहायता की अपील की है.

बालाकृष्णन ने कहा, “हमें विशाल ज़रूरतों का सामना करने के लिए, धन की भारी आवश्यकता है. अभी तक की स्थिति के अनुसार, हमारी मानवीय सहायता योजना की कुल धनराशि का केवल 10 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त हुआ है, और हम मोका तूफ़ान से उत्पन्न अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करने में समर्थ नहीं होंगे.”

बांग्लादेश में यूएन शरणार्थी एजेंसी – UNHCR ने भी इस अपील को अपना समर्थन दिया है, जहाँ वर्ष 2023 की रोहिंज्या शरणार्थी सहायता योजना की केवल 16 प्रतिशत धनराशि प्राप्त हुई है.