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सूडान: आम नागरिकों की रक्षा के लिए, युद्धरत पक्षों ने उठाया ‘अहम क़दम’

सूडान में संघर्ष से भागे सूडानी शरणार्थी, चाड के कौफ्रॉन में अस्थायी आश्रयों में.
© WFP/Jacques David
सूडान में संघर्ष से भागे सूडानी शरणार्थी, चाड के कौफ्रॉन में अस्थायी आश्रयों में.

सूडान: आम नागरिकों की रक्षा के लिए, युद्धरत पक्षों ने उठाया ‘अहम क़दम’

मानवीय सहायता

सूडान में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि देश में लगभग तीन हफ़्तों से जारी भीषण लड़ाई के बाद, युद्धरत पक्षों ने आम नागरिकों की रक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है, जोकि सही दिशा में लिया गया एक पहला, महत्वपूर्ण क़दम है.

सूडान में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि और यूएन मिशन (UNITAMS) के प्रमुख वोल्कर पर्थेस ने बताया कि परस्पर विरोधी सैन्य नेतृत्व ने अन्तरराष्ट्रीय मानव कल्याण और मानवाधिकार क़ानूनों का सम्मान करने पर सहमति जताई है.

साथ ही, अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों से सैनिकों को वापिस बुलाने की भी बात कही गई है.

विशेष प्रतिनिधि के अनुसार, सूडान के सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक गुट, त्वरित समर्थन बलों (RSF) ने सऊदी अरब के जेद्दाह शहर में सम्भावित युद्धविराम के मुद्दे पर बातचीत जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया है.

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वोल्कर पर्थेस ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों को पोर्ट सूडान शहर से ज़ूम लिंक के ज़रिए इस आशय की जानकारी दी, जहाँ संयुक्त राष्ट्र और साझीदार संगठनों ने एक मानवीय राहत केन्द्र (Hub) स्थापित किया है.

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित इस घोषणापत्र से आगे बढ़ते हुए, अब लक्ष्य संघर्षविराम पर पहुँचना है, जिसके लिए भी आपस में सहमति क़ायम की जाएगी. इससे पहले, इकतरफ़ा संघर्षविराम की घोषणाएँ की गई थीं.

यूएन मिशन प्रमुख ने भरोसा जताया कि अगले कुछ दिनों में, सऊदी अरब और अमेरिका के मध्यस्थकारों के तत्वाधान में, जेद्दाह शहर में हो रही इस चर्चा के ज़रिए, ऐसी किसी सहमति पर पहुँचा जा सके.

वोल्कर पर्थेस ने आशा व्यक्त की है कि युद्धरत पक्ष, इस सहमति के बाद, जेद्दाह में व्यक्त किए मानव रक्षा संकल्प अपने अधीन पक्षों तक पहुँचाने के प्रयास करेंगे.

संयुक्त राष्ट्र, अफ़्रीकी संघ और पूर्वी अफ़्रीका में विकास के लिए अन्तरसरकारी प्राधिकरण ने इस सहमति का स्वागत किया है.

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा है कि सूडान से जान बचाकर अन्य देशों में शरण लेने वाले लोगों की संख्या, दो लाख से ज़्यादा हो गई है.

पौष्टिक भोजन बनाने वाली फ़ैक्ट्री में आग

बारिश के मौसम से पहले, सभी ज़रूरतमन्दों तक राहत सहायता पहुँचाने के लिए तेज़ी से प्रयास किए जा रहे हैं, मगर सहायता धनराशि की क़िल्लत के कारण राहत अभियान, और अधिक कठिन साबित हो रहा है.

वहीं, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने शुक्रवार को बताया कि ख़ारतूम में स्थित एक फ़ैक्ट्री आग लगने की वजह से बर्बाद हो गई है, जहाँ गम्भीर कुपोषण का शिकार बच्चों के उपचार के लिए पौष्टिक भोजन तैयार किया जा रहा था.

यूनीसेफ़ का कहना है कि इस भीषण आग में साढ़े 14 हज़ार से अधिक बच्चों का भोजन नष्ट हो गया, और मशीनों को भी नुक़सान पहुँचा है, जिससे भविष्य में उत्पादन पर असर पड़ेगा.

संगठन ने आगाह किया है कि सूडान में बाल कुपोषण की दर बहुत ऊँची है और 30 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं.

यूनीसेफ़ के अनुसार, देश में मौजूदा संकट के मद्देनज़र, 34 हज़ार से अधिक डिब्बों में कुपोषण उपचार के लिए भोजन, फ्रांस से सूडान के लिए रवाना किया गया है.

फ़ैक्ट्री में आग लगने के कारणों का फ़िलहाल पता नहीं लग पाया है.

सूडान में हिंसक टकराव के कारण हज़ारों लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए पड़ोसी देशों में शरण ली है.
© UNICEF/Donaig Le Du

लड़ाई से पहले चिन्ताजनक संकेत

सूडान में यूएन मिशन के प्रमुख वोल्कर पर्थेस ने यूएन न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि 15 अप्रैल को लड़ाई भड़कने से पहले से ही, दोनों सैन्य गुटों के बीच टकराव के कुछ चिन्ताजनक संकेत मिलने लगे थे.

“हमने दोनों पक्षों को इस सम्भावना और परिदृश्य के प्रति आगाह किया था,” और कहा कि यदि उन्होंने लड़ाई शुरू की तो फिर देश और समाज बर्बाद हो जाएगा.

विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि शायद दोनों पक्षों ने सोचा कि लड़ाई जल्द ख़त्म हो जाएगी, मगर अब यह अहसास है कि विजय आसान नहीं है और यह अन्तत: देश के एक बड़े हिस्से के लिए क्षति होगी.

उनसे जब पूछा गया कि सूडान में लाखों लोगों तक मानवीय सहायता किस प्रकार वितरित की जाएगी, तो वोल्कर पर्थेस ने कहा कि जेद्दाह समझौते से उम्मीद बंधी है, लेकिन राजधानी ख़ारतूम तक पहुँच बहुत अहम है, और यह सुरक्षित मानवीय राहत गलियारे के बिना सम्भव ही नहीं है.

उन्होंने उम्मीद जताई कि इस समझौते को, संयुक्त राष्ट्र, ग़ैर-सरकारी संगठनों और मानवीय राहत एजेंसियों के ज़रिए ज़मीन पर लागू करने में मदद मिलेगी.