वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

सूडान: संघर्षविराम का पालन किए जाने का आग्रह, पश्चिम दारफ़ूर में हालात पर चिन्ता

सूडान में यूएन के विशेष प्रतिनिधि वोल्कर पर्थेस न्यूयॉर्क में पत्रकारों से बातचीत कर रहे हैं.
UN News
सूडान में यूएन के विशेष प्रतिनिधि वोल्कर पर्थेस न्यूयॉर्क में पत्रकारों से बातचीत कर रहे हैं.

सूडान: संघर्षविराम का पालन किए जाने का आग्रह, पश्चिम दारफ़ूर में हालात पर चिन्ता

शान्ति और सुरक्षा

सूडान में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि ने परस्पर विरोधी सैन्य गुटों से 72 घंटे की अवधि के लिए हुए संघर्षविराम समझौते का पूर्ण रूप से पालन करने का आग्रह किया है. पिछले 11 दिनों से जारी लड़ाई की वजह से देश में हालात अस्तव्यस्त हैं और पश्चिम दारफ़ूर क्षत्र में अन्तर-सामुदायिक हिंसा व हमलों की ख़बरें आई हैं.

विशेष प्रतिनिधि और सूडान में यूएन मिशन (UNITAMS) के प्रमुख वोल्कर पर्थेस ने बुधवार को देश के कुछ हिस्सों में सूडानी सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक गुट, RSF के बीच हिंसा में आई कमी का स्वागत किया, लेकिन सचेत किया कि इसका पूर्ण रूप से सम्मान नहीं किया जा रहा है.

ग़ौरतलब है कि 24 अप्रैल को अमेरिका की मध्यस्थता में सूडानी सशस्त्र बलों और त्वरित समर्थन बल के बीच 72 घंटे के लिए संघर्षविराम पर सहमति बनी है.

उन्होंने दोनों देशों से संघर्षविराम पर हुई सहमति का पालन करने की अपील की और कहा कि यूएन व साझेदार संगठनों के लिए मानवीय सहायता मार्ग उपलब्ध कराया जाना होगा.

Tweet URL

विशेष प्रतिनिधि सूडान में अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मौजूद हैं, और उन्होंने पश्चिम दारफ़ूर में हिंसा की रिपोर्टों पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है, जिनके अनुसार आम लोगों पर हमले किए गए हैं और स्थानीय समुदायों में हथियार बांटे गए हैं.

वोल्कर पर्थेस ने कहा कि हमलों के दौरान लूटपाट भी हुई है और ऐसी घटनाओं को यूएन परिसर में भी अंजाम दिया गया.

उन्होंने दोनों पक्षों से हिंसक टकराव पर तुरन्त विराम लगाने की पुकार लगाई है, जिनमें फ़िलहाल नागरिक शासन की दिशा में बढ़ने के लिए, अपने सैन्य बलों के एकीकरण के मुद्दे पर सहमति नहीं बन पा रही है.

यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने मानवीय राहतकर्मियों, उनके प्रतिष्ठानों व सम्पत्तियों की रक्षा सुनिश्चित किए जाने का आग्रह किया है और कहा है कि आम नागरिकों को हिंसा प्रभावित इलाक़ों से सुरक्षित बाहर निकलने का रास्ता दिया जाना होगा.

स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं पर असर

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने बुधवार को जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि सूडान में हिंसा का स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं पर भीषण असर हुआ है.

उन्होंने बताया कि हिंसक संघर्ष में हुई मौतों व लोगों के घायल होने के अलावा, बीमारियों के प्रकोप, खाद्य वस्तुओं व जल की क़िल्लत, अति-आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं में आए व्यवधान से भी मौतें होने की आशंका है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अनुमान व्यक्त किया है कि हर चार में एक मौत को घायलों के लिए बुनियादी आपात मेडिकल उपचार के ज़रिये टाला जा सकता है.

मगर, स्वास्थ्यकर्मी, नर्स और डॉक्टर घायलों तक चिकित्सा सहायता पहुँचाने में सक्षम नहीं हैं और आम नागरिक भी स्वास्थ्य केन्द्रों पर नहीं पहुँच पा रहे हैं.

राजधानी ख़ारतूम में 61 प्रतिशत स्वास्थ्य देखभाल केन्द्र बन्द हैं और केवल 16 प्रतिशत केन्द्रों में कामकाज सामान्य है, गुर्दे की बीमारी, डायबिटीज़ और कैंसर समेत अन्य बीमारियों से पीड़ित अनेक व्यक्तियों को ज़रूरत अनुसार उपचार या दवा नहीं मिल पा रही है.

बताया गया है कि आने वाले हफ़्तों में 24 हज़ार महिलाओं द्वारा बच्चों को जन्म देने का अनुमान है मगर उनके लिए मातृत्व देखभाल सेवाएँ सुलभ नहीं हैं.