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चरम मौसम घटनाएँ और आर्थिक हानि: जलवायु परिवर्तन की बढ़ती रफ़्तार

क्रोएशिया के ज़ाडार में आकाश में छाए बादल.
WMO/Šime Barešić
क्रोएशिया के ज़ाडार में आकाश में छाए बादल.

चरम मौसम घटनाएँ और आर्थिक हानि: जलवायु परिवर्तन की बढ़ती रफ़्तार

जलवायु और पर्यावरण

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले वर्ष विश्व भर में समुदाय, सूखे, बाढ़ और ताप लहरों की घटनाओं की चपेट में आए, और बड़ी संख्या में लोगों का जीवन व आजीविकाएँ प्रभावित हुई हैं.

यूएन एजेंसी की नवीनतम ‘State of the Global Climate’ नामक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले आठ वर्ष, विश्व में सर्वाधिक गर्म साबित हुए, समुद्री जलस्तर बढ़ रहा है और महासागर का तापमान नई ऊँचाइयों को छू रहा है.

ग्रीनहाउस गैसों का रिकॉर्ड स्तर भूमि, महासागर और वातावारण में विशालकाय परिवर्तनों की वजह बन रहा है.

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यूएन एजेंसी की यह रिपोर्ट 'अन्तरराष्ट्रीय माँ पृथ्वी दिवस' से पहले जारी की गई है, और यह महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की उस अपील को रेखांकित करती है, जिसमें उन्होंने वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए कार्बन उत्सर्जन में विशाल और त्वरित कटौती की पुकार लगाई है.

साथ ही, जलवायु अनुकूलन व सहनसक्षमता प्रयासों को मज़बूती प्रदान की जानी होगी और उन निर्बल देशों को हरसम्भव सहायता दी जानी होगी, जिनका जलवायु परिवर्तन में योगदान नहीं है, मगर उससे पीड़ित हैं.

यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी के महासचिव पेटेरी टालस ने कहा कि बढ़ते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और बदलती जलवायु के कारण, विश्व भर में आबादियों पर चरम मौसम व जलवायु घटनाओं का गम्भीर असर हुआ है.

उन्होंने कहा कि पिछले साल, पूर्वी अफ़्रीका में सूखा जारी रहा, पाकिस्तान रिकॉर्डतोड़ बारिश व बाढ़ से प्रभावित हुआ, चीन और योरोप में करोड़ों लोगों को प्रभावित करने वाली तापलहरों का प्रकोप रहा.

इन हालात में खाद्य असुरक्षा बढ़ी है, लोग सामूहिक स्तर पर प्रवासन के लिए मजबूर हुए हैं और चरम मौसम घटनाओं के कारण अरबों डॉलर की हानि व क्षति हुई है.

चिन्ताजनक रुझान

यूएन एजेंसी की इस रिपोर्ट से लगभग एक महीने पहले, जलवायु परिवर्तन पर अन्तरसरकारी आयोग ने अपनी छठी समीक्षा रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जोकि वर्ष 2022 तक के डेटा पर आधारित है.

WMO का कहना है कि वातावरण में तीन प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों – कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड -- की सघनता बढ़ रही है, और यह 2021 में अपनी रिकॉर्ड ऊँचाइयों पर पहुँच गई. 2022 में भी यही रुझान जारी रहने की आशंका व्यक्त की गई है.

रिपोर्ट के अनुसार, हिमनद पिघल रहे हैं और समुद्री जलस्तर में वृद्धि हो रही है, जिससे तटीय समुदायों और कुछ मामलों में देशों के अस्तित्व के लिए जोखिम पैदा हो रहा है.  

यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी के अनुसार, महासागरों के तापमान में वृद्धि की प्रक्रिया ने पिछले दो दशकों में विशेष रूप से रफ़्तार पकड़ी है.

घातक दुष्परिणाम

रिपोर्ट में चरम मौसम घटनाओं से होने वाले सामाजिक-आर्थिक प्रभावों की पड़ताल की गई है, जिससे विश्व भर में निर्बल समुदायों के लिए परिस्थितियाँ और अधिक कठिन हुई हैं.

पूर्वी अफ़्रीका में पिछले पाँच वर्षों से सूखा पड़ रहा है, और सशस्त्र संघर्ष जैसे अन्य कारकों के साथ मिलकर, मौजूदा हालात, पूरे क्षेत्र में दो करोड़ से अधिक लोगों के लिए खाद्य असुरक्षा की वजह बना है.

पाकिस्तान में अभूतपूर्व बाढ़ के कारण उपजी स्थिति से लाखों लोगों के निर्धनता के गर्त में धँसने का जोखिम है.
UNDP Pakistan

पाकिस्तान में जुलाई और अगस्त 2022 में आई विनाशकारी बाढ़ में एक हज़ार 700 से अधिक लोगों की मौत हो गई और तीन करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए.

यूएन एजेंसी का अनुमान है कि इस आपदा से 30 अरब डॉलर से अधिक का नुक़सान हुआ है और अक्टूबर 2022 तक, लगभग 80 लाख लोग बाढ़ के कारण घरेलू विस्थापन का शिकार थे.

रिपोर्ट बताती है कि जोखिमपूर्ण जलवायु और मौसम सम्बन्धी घटनाओं के कारण, लाखों लोग विस्थापन के लिए मजबूर हो रहे हैं और पहले से ही विस्थापित, 9 करोड़ लोगों के लिए स्थिति बद से बदतर हुई है.

पारिस्थितिकी तंत्रों पर ख़तरा

इस रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन की वजह से पर्यावरण पर होने वाले प्रभावों पर भी ध्यान केन्द्रित किया गया है, जोकि प्रकृति में बार-बार नज़र आने रुझानों में भी आ रहे बदलावों की ओर इंगित करते है.

उदाहरणस्वरूप, वृक्ष किस समय फलते-फूलते हैं या फिर पक्षी प्रवासन करते हैं.

अध्ययन के अनुसार, जापान में चेरी के पेड़ों के पुष्पित-पल्लवित होने पर 9वीं सदी से ही जानकरी जुटाई जाती रही है, और 2021 में यह पिछले 1,200 वर्षों में इन फूलों का खिलना, पहली बार समय से सबसे पहले दर्ज किया गया.

तटीय और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, एक अरब से अधिक लोगों के लिये भोजन व आजीविका का स्रोत हैं.
UNCTAD

यूएन विशेषज्ञों ने सचेत किया है कि मौजूदा रुझान, पारिस्थितिकी तंत्रों में बड़ी उठापठक की वजह बन सकती है.

पिछले पाँच दशकों से सैकड़ों योरोपीय प्रवासी पक्षी प्रजातियों के वसन्त ऋतु में पहुँचने का समय, इस मौसम की अन्य घटनाओं से मेल नहीं खा रहा है. जैसेकि जब पेड़ों पर पत्तियाँ आती हैं, या पक्षियों के लिए ज़रूरी कीट-पतंगे उड़ान भरते हैं.

रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि इस वजह से प्रवासी पक्षियों की कुछ प्रजातियों की आबादी में गिरावट आ सकती है, विशेष रूप से सर्दी के मौसम में सब-सहारा अफ़्रीका में रहने वाले पक्षियों में, और जैवविविधिता को नुक़सान पहुँचने की आशंका है.