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पश्चिमी और मध्य अफ़्रीका में खाद्य असुरक्षा व कुपोषण का गहराता संकट

बुर्किना फ़ासो में 40 हज़ार से अधिक लोगों के समक्ष गम्भीर खाद्य असुरक्षा का संकट है.
©Artisan Productions / UNEP
बुर्किना फ़ासो में 40 हज़ार से अधिक लोगों के समक्ष गम्भीर खाद्य असुरक्षा का संकट है.

पश्चिमी और मध्य अफ़्रीका में खाद्य असुरक्षा व कुपोषण का गहराता संकट

मानवीय सहायता

पश्चिमी और मध्य अफ़्रीका में व्याप्त खाद्य असुरक्षा, इस साल जून महीने तक, पिछले 10 वर्षों में सबसे ऊँचे स्तर पर पहुँच जाने की आशंका प्रबल हो रही है. विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) का एक नया अध्ययन दर्शाता है कि खाद्य असुरक्षा अब तटीय देशों को भी अपनी चपेट में ले रही है, वहीं बुर्कीना फ़ासो, माली के हिंसक टकराव प्रभावित इलाक़ों में भरपेट भोजन ना मिलने के कारण विनाशकारी हालात पैदा हो रहे हैं.

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यूएन एजेंसी के अनुसार, सहेल क्षेत्र में यह पहली बार हुआ है जब 45 हज़ार लोग, खाद्य असुरक्षा के विनाशकारी स्तर से जूझ रहे हैं, और अकाल से केवल एक क़दम दूर हैं.

इनमें 42 हज़ार लोग बुर्कीना फ़ासो में और ढाई हज़ार पीड़ित माली में हैं.

यूएन विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि हिंसक टकराव, जलवायु व्यवधान, कोविड-19 और ऊँची खाद्य क़ीमतों के कारण क्षेत्र में भरपेट भोजन ना मिल पाने और कुपोषण की समस्या गहरा रही है.

बताया गया है कि इस वर्ष जून-अगस्त महीनों के दौरान, सुरक्षित और पोषक भोजन तक पहुँच से दूर व्यक्तियों की संख्या बढ़कर चार करोड़ 80 लाख पहुँचने की आशंका है.

यह पिछले पाँच वर्षों में चार गुना वृद्धि को दर्शाता है, और क्षेत्र में खाद्य असुरक्षा के भौगोलिक विस्तार के रुझान को दर्शाता है.

इस वर्ष क्षेत्र में पाँच वर्ष से कम उम्र के कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़कर, एक करोड़ 65 लाख तक पहुँच जाने की आशंका है.

पश्चिमी अफ़्रीका के लिए यूएन एजेंसी के क्षेत्रीय निदेशक क्रिस निकोई ने कहा कि खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए क्षेत्र में पनप रही स्थिति हृदय विदारक है.

उन्होंने कहा, “झटकों का सामना करने के लिए, व्यापक स्तर पर ऐसे निवेश की आवश्यकता है जो समुदायों और व्यक्तियों की क्षमताओं को मज़बूती प्रदान करने पर केन्द्रित करे.”

साथ ही, खाद्य उत्पादन और निर्बल समूहों के लिए रूपान्तरकारी बदलावों व सुलभता के लिए स्थानीय और दीर्घकाल समाधानों को प्राथमिकता दी जानी होगी.

आवश्यक सेवाओं की सुलभता पर असर

प्रभावित इलाक़ों में विविधतापूर्ण व सेहतमन्द आहार पहुँच से दूर हो जाने के अलावा, हिंसक संघर्ष, आबादी का विस्थापन, बद से बदतर होते हालात के मुख्य कारण हैं. इससे स्वास्थ्य, पोषण, साफ़-सफ़ाई व स्वच्छता, सामाजिक संरक्षा सेवाओ की सुलभता पर भी असर हुआ है.

एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2019 से 2023 के दौरान, सुरक्षा सम्बन्धी घटनाओं में 79 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे विशाल स्तर पर आबादी का विस्थापन हुआ है और खेती-बाड़ी की भूमि व चारे की सुलभता प्रभावित हुई है.

पश्चिमी और मध्य अफ़्रीका के लिए यूनीसेफ़ की क्षेत्रीय निदेशक मैरी-पियेर पोएरियर ने कहा, “बढ़ती असुरक्षा और हिंसक टकराव का अर्थ है कि क्षेत्र में हालात संवेदनशील हो रहे हैं और अलग-थलग पड़े इलाक़ों में समुदायों तक मदद पहुँचाना मुश्किल हो रहा है.”

उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य प्रणालियों को केन्द्रों और सामुदायिक स्तर पर मज़बूती देने के लिए सरकारों को समर्थन दिया जा रहा है, ताकि कुपोषण के मामलों का जल्द पता लगाना और उपचार किया जाना सम्भव हो.

माली में विस्थापितों के लिए बनाए गए एक शिविर में बच्चों को सदमे से उबारने के लिए समर्थन प्रदान किया जा रहा है.
© UNICEF/Tiécoura N’Daou

सहायता प्रयासों में तेज़ी का आग्रह

खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), मानवीय राहत मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय (OCHA), यूनीसेफ़ और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने राष्ट्रीय सरकारों को समर्थन प्रदान करने के लिए, विकास व मानवीय साझेदारों और निजी सैक्टर से पुकार लगाई है, ताकि खाद्य व पोषण सुरक्षा को सुधारा जा सके.

इसके तहत, खाद्य, स्वास्थ्य, जल, साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता व्यवस्थाओं का निर्माण करना होगा और पोषण आधारिक सामाजिक संरक्षा कार्यक्रम संचालित किए जाने होंगे, जिनमें निर्बल समूहों, विशेष रूप से महिलाओं व बच्चों का ख़याल रखा जाए.

इसके समानान्तर, बच्चों में कुपोषण की रोकथाम व उपचार के लिए साझेदारियों और जलवायु-स्मार्ट कार्यक्रमों को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है, ताकि जलवायु व्यवधानों के प्रति क्षेत्र की संवेदनशीलता में कमी लाई जा सके.