केन्द्रीय भूमध्यसागर: प्रवासियों की मौत के लिए घातक तिमाही
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) ने कहा है कि इस वर्ष जनवरी और मार्च के दरम्यान, केन्द्रीय भूमध्य सागर को पार करने की कोशिश में, 400 से ज़्यादा प्रवासियों की मौत हो गई. ये अवधि 2017 के बाद से, सबसे ज़्यादा जानलेवा तिमाही साबित हुई है.
प्रवासन संगठन की ‘लापता प्रवासी परियोजना’ के तहत, इस अवधि के दौरान 441 प्रवासियों की मौत दर्ज की गई, हालाँकि, वास्तविक संख्या इससे कहीं ज़्यादा होने की सम्भावना है.
People are dying in the waters of the Mediterranean. Most of their calls for help go unheard.
States must increase and support search and rescue to save lives at sea.
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UNmigration
अब भी कथित अदृश्य नौका दुर्घटनाओं की विभिन्न ख़बरों की जाँच-पड़ताल जारी है, ये वो मामले हैं जिनमें नावें लापता बताई गई हैं, मगर जीवितों या तलाश और बचाव अभियानों (SAR) का कोई रिकॉर्ड नहीं है.
प्रवासन संगठन ने कहा कि उन नावों पर सवार 300 से ज़्यादा लोगों के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है.
देरी से ज़िन्दगियों पर जोखिम
केन्द्रीय भूमध्यसागर मार्ग, उत्तरी अफ़्रीका से लेकर इटली के दरम्यान है, जिसे समुद्री यात्राओं के लिए दुनिया के सबसे ख़तरनाक रास्तों में गिना जाता है.
आईओएम ने कहा कि देशों की सरकारों के नेतृत्व में राहत अभियानों के अभाव और ग़ैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के तलाश व बचाव अभियानों (SAR) में बाधाएँ खड़ी किए जाने के कारण, इन मौतों में वृद्धि देखी गई है.
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के महानिदेशक एंतोनियो वितॉरिनो ने कहा कि केन्द्रीय भूमध्यसागर में मानवीय संकट लगातार बने रहना, असहनीय है.
उन्होंने कहा, “वर्ष 2014 के बाद से इस मार्ग पर 20 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौतें दर्ज की जा चुकी हैं, मुझे डर है कि इन मौतों को सामान्य मान लिया गया है. देशों को कार्रवाई करनी होगी. देशों की सरकारों के नेतृत्व में तलाश और बचाव (SAR) अभियानों में देरी और अन्तराल की वजह से, इनसानी ज़िन्दगियों की क़ीमत चुकानी पड़ रही है.”
एनजीओ की नाव ज़ब्त
यूएन प्रवासन एजेंसी ने हाल की कुछ घटनाओं का सन्दर्भ देते हुए कहा है कि ग़ैर-सरकारी संगठनों के नेतृत्व वाले तलाश और बचाव प्रयास, इस बीच ख़त्म होते नज़र आए हैं.
संगठन ने बताया है कि 25 मार्च को, लीबियाई तट बल ने उस समय हवा में गोलियाँ चलाईं जब एक ग़ैर-सरकारी बचाव जहाज़ – ओशियन किंग, एक रबर नाव के संकट में फँसने की ख़बर मिलने पर राहत व बचाव के लिए जा रहा था.
उसके अगले दिन, एक अन्य जहाज़ – लुइज़ मिशेल को, 180 लोगों को बचाए जाने के बाद, इटली में ज़ब्त कर लिया गया था. एक इसी तरह के मामले में जियो बैरेंट्स नामक जहाज़ को फ़रवरी में पहले बन्दी बनाया गया और बाद में रिहा कर दिया गया था.
बीते सप्ताहान्त के दौरान भी, तीन हज़ार प्रवासी जन इटली पहुँचे हैं, जिन्हें मिलाकर इस वर्ष वहाँ पहुँचने वाले प्रवासियों की कुल संख्या 31 हजार 192 हो गई है.
गत मंगलवार को ही, इतालवनी तट बल ने, लगभग 800 लोगों से भरे हुए एक जहाज़ को, सिसिली से लगभग 200 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में, एक व्यावसायिक जहाज़ की मदद से बचाया था.
इतालवी तट बल ने ही, 400 प्रवासियों से भरे एक अन्य जहाज़ को बचाया, जो इटली और माल्टा के बीच दो दिन से फँसा हुआ था.
प्रवासन संगठन ने बताया है कि इन जहाज़ों पर सवाल सभी प्रवासी जन अभी सुरक्षित ठिकानों तक नहीं पहुँच सके हैं और अभी इटली में नहीं उतरे हैं.
एक क़ानूनी उत्तरदायित्व
संगठन के महानिदेशक एंतोनियो वितॉरिनो ने कहा, “समुद्रों में ज़िन्दगियों की रक्षा करना, देशों का क़ानूनी दायित्व है. तलाश और बचाव (SAR) प्रयासों में हमें देशों की सरकारों की सक्रिय कार्रवाई वाले नेतृत्व में समन्वय की दरकार है.”
कार्रवाई में, उन ग़ैर सरकार संगठनों को समर्थन देना शामिल करना होगा जो समुद्र में जीवनरक्षक सहायता उपलब्ध कराते हैं, और जो घटक इस तरह की सहायता मुहैया कराते हैं, उनका आपराधिकरण किए जाने, उनके प्रयासों में व्यवधान डालने और उन्हें परे धकेलने के चलन को रोकना होगा.
संगठन ने ज़ोर देकर कहा कि संकटों का सामना कर रही नावों को राहत पहुँचाना, व्यावसायिक जहाज़ों सहित, तमाम समुद्री वाहनों की क़ानूनी ज़िम्मेदारी है.