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म्याँमार: सैन्य बलों द्वारा आम लोगों पर हवाई हमले की कठोर निन्दा

म्याँमार की एक बस्ती का दृश्य.
Unsplash/Ajay Karpur
म्याँमार की एक बस्ती का दृश्य.

म्याँमार: सैन्य बलों द्वारा आम लोगों पर हवाई हमले की कठोर निन्दा

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने म्याँमार के सैन्य बलों द्वारा सगाइंग क्षेत्र की कानबालू बस्ती में आम लोगों पर किए गए हमले की कठोर निन्दा की है, और दोषियों की जवाबदेही तय किए जाने की मांग की है. इस हमले में लगभग 100 लोगों के मारे जाने की आशंका व्यक्त की गई है, जिनमें महिलाएँ व बच्चे भी हैं.

समाचार माध्यमों के अनुसार, सेना के विमानों ने सगाइंग क्षेत्र में स्थित एक सामुदायिक सभागार को निशाना बनाया. यह क्षेत्र देश के पश्चिमोत्तर इलाक़े में हैं और विरोधी पक्षों का एक मज़बूत गढ़ माना जाता है.

बताया गया है कि सैन्य विमानों ने कानबालू बस्ती में लोगों की भीड़ पर बम बरसाए और गोलियाँ चलाई गईं, जहाँ लोग एक नए टाउन हॉल के उदघाटन कार्यक्रम के लिए जुटे थे.

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यूएन प्रमुख ने पीड़ितों के परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है और घायलों का तत्काल उपचार किए जाने व उन्हें अन्य चिकित्सा सहायता मुहैया कराने का आग्रह किया है.

महासचिव गुटेरेश के प्रवक्ता ने मंगलवार को उनकी ओर से एक वक्तव्य जारी किया, जिसमें उन्होंने हिंसा के सभी रूपों की निन्दा की है और आम लोगों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आग्रह किया है.

म्याँमार की सेना ने फ़रवरी 2021 में तख़्तापलट के ज़रिए देश की सत्ता पर अपना नियंत्रण स्थापित किया और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता, आंग सान सू ची समेत अन्य शीर्ष अधिकारियों को हिरासत में ले लिया था.

सैन्य तख़्तापलट के बाद से ही देश में विरोध प्रदर्शनों और हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है, मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है और हज़ारों लोगों को हिरासत में लिया गया है.

यूएन प्रमुख ने सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2669 के अनुरूप, म्याँमार की सेना से देश भर में आम लोगों के विरुद्ध हिंसा के अभियान का अन्त किए जाने, तनाव में कमी लाने, संयम बरतने और सभी बन्दियों को रिहा किए जाने की अपील दोहराई है .

हमले से स्तब्ध

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) के प्रमुख वोल्कर टर्क ने अपने वक्तव्य में कहा कि सैन्य विमानों द्वारा किए गए इस हमले की ख़बरों से उन्हें गहरा धक्का पहुँचा है.

उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि है कि जिस समय कानबालू बस्ती के पाज़ि ग्यि गाँव सामुदायिक हॉल पर हमला किया गया, उस समय वहाँ स्कूली बच्चे और अन्य आम लोग नृत्य प्रदर्शन कर रहे थे.

हॉल से जान बचाकर भाग रहे लोगों पर हैलीकॉप्टर से गोलियों की बौछार किए जाने की भी ख़बरें हैं.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि हिंसक संघर्ष के दौरान आम लोगों की सुरक्षा के प्रति क़ानूनी दायित्वों के बावजूद, अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों और सम्बन्धित नियमों की खुले तौर पर बेपरवाही बरती गई है.

जवाबदेही की मांग

वोल्कर टर्क ने सभी पक्षों से हरसम्भव सतर्कता बरतने का आग्रह किया है ताकि आम लोगों की हमलों से रक्षा की जा सके.

इस क्रम में, घनी आबादी वाले या उनके नज़दीक स्थित इलाक़ों का सैन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल व वहाँ ठिकाने स्थापित किए जाने से बचा जाना होगा.

“जैसाकि, मैंने पहले भी कहा है, यह मानने का तर्कसंगत आधार है कि 1 फ़रवरी 2021 के बाद से सेना और उसके सहयोगी गुट बड़े पैमाने पर, विविध प्रकार के मानवाधिकार उल्लंघनों और दुर्व्यवहारों के लिए ज़िम्मेदार हैं.”

उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ मामलों को मानवता के विरुद्ध अपराधों और युद्धपराधों की श्रेणी में रखा जा सकता है.

वोल्कर टर्क ने कहा कि यह उनका मज़बूत विश्वास है कि फ़िलहाल जारी अन्तरराष्ट्रीय न्यायिक प्रक्रिया के ज़रिए एक दिन, सैन्य नेतृत्व की इन अपराधों के लिए जवाबदेही तय की जाएगी.