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हथियारों के अवैध व्यापार और ग़लत हाथों में पहुँचने का जोखिम, रोकथाम उपायों पर बल

सोमालिया के मोगादिशु में चरमपंथी संगठन अल शबाब के संदिग्ध सदस्यों से ज़ब्त किए गए हथियार.
UN Photo/Stuart Price
सोमालिया के मोगादिशु में चरमपंथी संगठन अल शबाब के संदिग्ध सदस्यों से ज़ब्त किए गए हथियार.

हथियारों के अवैध व्यापार और ग़लत हाथों में पहुँचने का जोखिम, रोकथाम उपायों पर बल

शान्ति और सुरक्षा

निरस्त्रीकरण मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र की उच्च प्रतिनिधि इज़ूमी नाकामीत्सू ने कहा है कि हथियारों और आयुध सामग्री का अवैध व अनियंत्रित व्यापार, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक बड़ी चिन्ता का कारण है. उनके अनुसार, इन हथियारों को ग़लत हाथों में पड़ने से रोकने के लिए, मौजूदा वैश्विक उपाय अपनाया जाना बहुत अहम है.

रूसी महासंघ, अप्रैल महीने में सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष देश है और सोमवार को, हथियारों व सैन्य उपकरणों के निर्यात पर केन्द्रित नियामन समझौतों के उल्लंघन और उससे उपजने वाले जोखिमों के मुद्दों पर एक बैठक हुई.

उच्च प्रतिनिधि ने कहा कि शस्त्रों व सैन्य उपकरणों के किसी भी प्रकार के हस्तान्तरण में, उनके ग़लत हाथों में पहुँच जाने का ख़तरा होता है.

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उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस जोखिम से निपटने पर लक्षित उपायों के ज़रिए, वैश्विक शान्ति व सुरक्षा में ठोस योगदान किया जा सकता है.

हथियारों का अवैध और बेरोकटोक व्यापार और उनका अवांछित पक्षों तक पहुँचना, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक बड़ी चुनौती है.

हथियारों के अवैध और बेरोकटोरक हस्तान्तरण से अपराध, हथियारबन्द हिंसा, आतंकवाद, हिंसक टकराव को भड़काया जा सकता है, उन्हें हवा दी जा सकती है और उन्हें लम्बे समय तक खींचा जा सकता है.

साथ ही, इससे पूरे क्षेत्रों को अस्थिर बनाया जा सकता है, जिससे मानवाधिकार हनन के मामले बढ़ते हैं और हथियारों पर पाबन्दी का उल्लंघन होता है.

शस्त्र नियंत्रण उपाय

उच्च प्रतिनिधि ने सदस्य देशों को सम्बोधित करते हुए आगाह किया कि हथियारों के ग़ैरक़ानूनी व्यापार पर लगाम कसने के लिए अनेक अन्तरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और द्विपक्षीय सन्धियाँ, समझौते व फ़्रेमवर्क स्थापित किए गए हैं.

इनका उद्देश्य पारम्परिक हथियारों के अवैध व्यापार की रोकथाम व उसका अन्त करना, अन्तरराष्ट्रीय शस्त्र व्यापार नियामन को सुनिश्चित करना और शस्त्र हस्तान्तरण में पारदर्शिता को बढ़ावा देना है.

इनमें अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ‘शस्त्र व्यापार सन्धि’ भी है, जिसे 2 अप्रैल को 10 वर्ष पूरे हो गए.

इसके अलावा, छोटे शस्त्र और हल्के हथियारों पर यूएन का कार्रवाई कार्यक्रम, और आग्नेयास्त्रों, उनके हिस्सों, पुर्ज़ों व बारूद के अवैध उत्पादन पर प्रोटोकॉल समेत अन्य पहल हैं.

मज़बूत फ़्रेमवर्क

उच्च प्रतिनिधि ने सदस्य देशों से उन सभी समझौतों व सन्धियों के तहत अपने दायित्वों का निर्वहन करने का आग्रह किया है, जिनमें वो शामिल हैं.

साथ ही, हथियारों व आयुध सामग्री के निर्यात, आयात, भंडारण, उन्हें लाने-ले जाने और फिर से हस्तान्तरित किए जाने पर कारगर नियंत्रण के लिए मज़बूत फ़्रेमवर्क की अहमियत को भी रेखांकित किया है.

उन्होंने कहा कि शस्त्रों और आयुध सामग्री के हस्तान्तरण से पहले जोखिमों की समीक्षा, स्थल पर जाँच की साथ-साथ यह सत्यापित किया जाना होगा कि उन्हें कहाँ भेजा जा रहा है.

उच्च प्रतिनिधि के अनुसार, हथियारों को ग़लत हाथों में पहुँचने से रोकने के लिए देशों के बीच सहयोग व सूचना का आदान-प्रदान, और निगरानी व्यवस्था भी महत्वपूर्ण है.

भरोसा बढ़ाने वाले क़दम

उच्च प्रतिनिधि ने युद्धक सामग्री की खेप में पारदर्शिता पर भी बल दिया, जिससे सदस्य देशों के बीच भरोसे का निर्माण किया जा सकता है, तनाव में कमी लाई जा सकती है और ग़लत धारणाओं व सन्देह से निपटा जा सकता है.

इस क्रम में, उन्होंने पारम्परिक शस्त्रों पर यूएन पुस्तिका का उल्लेख किया, जिसे वर्ष 1992 में तैयार किया गया था.

अवर महासचिव ने सभी सदस्य देशों से इस सन्धि के अन्तर्गत आने वाले शस्त्रों व हल्के हथियारों की सात सूचियों में आने वाले उपकरणों के निर्यात व आयात पर जानकारी प्रदान करने का आग्रह किया है.

उन्होंने उन सभी देशों से शस्त्र व्यापार सन्धि में शामिल होने की अपील की है, जो फ़िलहाल इसका हिस्सा नहीं है.