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संरक्षण के गुमनाम नायक: जंगलों के लिए आदिवासियों का संघर्ष

वर्ष 2020 की यूएन पृथ्वी चैम्पियन नैमोन्ते नैनक्वीमो
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वर्ष 2020 की यूएन पृथ्वी चैम्पियन नैमोन्ते नैनक्वीमो

संरक्षण के गुमनाम नायक: जंगलों के लिए आदिवासियों का संघर्ष

जलवायु और पर्यावरण

दुनिया भर में हर साल, पुर्तगाल के क्षेत्रफल के बराबर वन वृक्ष खो जाते हैं. अधिकांश वनों की कटाई आदिवासी भूमि पर और अक्सर स्थानीय लोगों की  सहमति के बिना होती है. लेकिन अब इन समुदायों की तरफ़ से बदलाव की मांग उठने लगी है और वे अपनी पैतृक भूमि की रक्षा के लिए संघर्ष करने आगे आ रहे हैं. इसके लिए स्थानीय समूह, प्रभावी संरक्षण प्रक्रियाएँ अपना रहे हैं, वनों की गश्त लगा रहे हैं, और तेज़ी से लुप्त हो रहे वनों की रक्षा हेतु, कभी-कभी सरकारों व जंगल काटने वालों के ख़िलाफ़ अदालत तक का रुख़ कर रहे हैं.

इक्वाडोर में वोरानी की नेमोंते नैनक्वीमो  जैसी स्थानीय समुदाय की नेतृत्व हस्तियों ने, अपनी पैतृक भूमि और जीवनयापन के तरीक़ों की रक्षा के लिए, सरकारों और शक्तिशाली निगमों को निशाने पर लिया है.

यूएन 2020 चैम्पियन ऑफ़ द अर्थ रहीं नैनक्वीमो ने वर्ष 2019 में, अपनी 5 लाख एकड़ पैतृक भूमि से संसाधन निष्कर्षण पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए एक मुक़दमा दायर किया. उस मुक़दमे की जीत ने दुनिया भर के स्थानीय समुदायों में नई उम्मीद जगाई है.

स्थानीय लोगों और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुरक्षित करना ‘कुनमिंग-माँट्रियाल वैश्विक जैव-विविधता फ़्रेमवर्क' की प्रमुख महत्वाकांक्षाओं में से एक है, जो 2030 तक प्रकृति पर वैश्विक कार्रवाई का मार्गदर्शन करने के लिए दिसम्बर 2022 में हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक समझौता है.

जंगलों और प्रकृति की रक्षा के लिए लड़ने वाले लोगों की पैरोकारी करना भी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूनेप) के काम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यूनेप के विधि विभाग की निदेशक, पैट्रीशिया एमबोटे का कहना है, "संरक्षणवादी और पर्यावरण मानवाधिकार रक्षक जन, वनों के संरक्षण, सुरक्षा एवं पुनर्स्थापन में परिवर्तन के महत्वपूर्ण कारक हैं."

उन्होंने कहा, "यूनेप स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण से सम्बन्धित मानव अधिकारों के दायित्वों को आगे बढ़ाने के अपने काम के ज़रिए, इन रक्षकों के प्रचार व संरक्षण का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है."

मूल निवासी या आदिवासजन, दुनिया की लगभग एक चौथाई भूमि की देखरेख या उसका प्रबन्धन करते हैं जो दुनिया की लगभग 80 प्रतिशत जैव-विवधता का घर है.
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वनों की कटाई कम करने के लिए भूमि और क्षेत्रों पर अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए स्थानीय लोगों द्वारा दबाव बेहद अहम है. एसोसिएशन ऑफ एंडियान ईकोसिस्टम्स के सह-संस्थापक, स्थानीय क्वेचुआ वंशज और संयुक्त राष्ट्र 2022 चैम्पियन ऑफ़ द अर्थ, कॉन्स्टेंटिनो औक्का चुटास ने कहा कि इसकी भी एक बड़ी वजह है.

उन्होंने बताया, "स्थानीय समुदाय पूरे जंगलों को साफ़ नहीं करते हैं. वे केवल कुछ पेड़ या शाखाएँ काटते हैं लेकिन पूरे जंगल को कभी नहीं...जंगल और उसमें रहने वाले जीव, उनके लिए परिवार की तरह होते हैं."

संरक्षण के ये गुमनाम नायक, स्थानीय लोग, वैश्विक आबादी का लगभग 47 करोड़ 60 लाख हिस्सा हैं. साथ में, वे दुनिया की एक-चौथाई भूमि पर स्वामित्व, प्रबन्धन या निवास करते हैं, जो दुनिया की 80 प्रतिशत जैव विविधता का घर है.

बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई, औद्योगिक खेती और खनन जैसी गतिविधियाँ, अलबत्ता स्थानीय लोगों और महत्वपूर्ण वन पारिस्थितिक तंत्र दोनों के अधिकारों को ख़तरे में डाल रही हैं.

अनुवाशिंक संसाधन

मूलनिवासी समुदाय केवल उन पारिस्थितिक तंत्रों के रक्षक बने रहने के लिए नहीं लड़ रहे हैं जिन पर उनका जीवन निर्भर करता है. वे वनों से प्राप्त उन आनुवंशिक संसाधनों के लाभों के उचित और न्यायसंगत बंटवारे की भी मांग कर रहे हैं, जिन्हें वे अपना घर कहते हैं.

आनुवंशिक संसाधन का मतलब उन पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवियों की आनुवंशिक सामग्री से है, जिनका उपयोग नई एवं आकर्षक दवाओं, कृषि फ़सलों व कॉस्मेटिक उत्पादों को विकसित करने के लिए किया जाता है.

वैश्विक जैव विविधता ढाँचे के प्रमुख लक्ष्यों में से एक, समान पहुँच और लाभों का बँटवारा है. इसमें यह माना गया है कि प्रकृति के टिकाऊ उपयोग की तत्काल आवश्यकता के साथ-साथ, यह भी ज़रूरी है कि समुदायों को उनकी भूमि से प्राप्त होने वाली वस्तुओं का लाभ मिले.

मूल निवासियों या आदिवासी जन की ज़मीनों पर, वनों की कटाई, अक्सर उनकी पूर्व सहमति के बिना या पूरी जानकारी दिए बिना होती है.
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वन, लोगों और ग्रह के लिए सबसे मूल्यवान संसाधनों में से हैं. वे 1.6 अरब लोगों की आजीविका का स्रोत हैं और दुनिया के जानवरों, पौधों और कीड़ों की आधे से अधिक स्थलीय प्रजातियों का घर हैं. वे स्थिर व स्वस्थ नमी एवं वर्षा बनाए रखते हुए, पानी का चक्रण व पुनर्चक्रण करते हैं.

जलवायु संकट को कम करने में भी वन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित व संग्रहीत करने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को घटाने में मदद करने की उनकी क्षमता अभूतपूर्व है.

हालाँकि, वनों की कटाई के कारण, साल भर में 1 करोड़ 20 लाख हेक्टेयर जंगल नष्ट हो जाते हैं, मुख्य रूप से ताड़ के तेल, बीफ़, सोया, लकड़ी व लुगदी एवं काग़ज़ जैसी कृषि वस्तुओं के उत्पादन के परिणामस्वरूप. इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए वनों की कटाई से वस्तु उत्पादन को अलग करने की आवश्यकता है.

वित्त पोषण की कमी

वनों की कटाई से वस्तु उत्पादन को अलग करने की सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है, टिकाऊ खेती, प्रकृति-आधारित समाधान और संरक्षण हेतु, वित्तपोषण की कमी.

वनों के संरक्षक के रूप में अपनी भूमिका को पूरा करने के लिए स्थानीय लोगों के लिए, वनों की कटाई और सम्बन्धित जलवायु एवं प्रकृति संकट से बचने में उनकी भूमिका के अनुरूप, अधिक से अधिक वित्त तक पहुँच ज़रूरी है.

पृथ्वी चैम्पियन - काँस्टैंटीनो औक्का शूटस
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यूनेप की ‘स्टेट ऑफ़ फाइनेंस फॉर नेचर 2022’ रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में प्रति वर्ष 154 अरब अमेरिकी डॉलर वित्त, प्रकृति-आधारित समाधानों को दिया जाता है. लेकिन यह जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और भूमि क्षरण लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 2025 तक आवश्यक प्रति वर्ष 384 अरब अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य के आधे से भी कम है.

धन उपलब्धता के इस अन्तराल को दूर करने में मदद करने के लिए, वैश्विक जैव-विविधता वैश्विक फ़्रेमवर्क, 2030 तक सार्वजनिक और निजी दोनों स्रोतों से घरेलू व अन्तरराष्ट्रीय जैव-विविधता सम्बन्धी धन में प्रति वर्ष कम से कम 200 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाने की अपील कर रहा है.

यह फ़्रेमवर्क, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय वृद्धि की भी मांग करता है - 2025 तक विकसित से विकासशील देशों में वित्तीय प्रवाह, कम से कम 20 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष और 2030 तक 30 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष के लक्ष्य के साथ.

वन संरक्षण के क्षेत्र में 30 साल बिता चुके, काँस्टैंटीनो औक्का शूटस को, वित्तपोषण की कमी का पूरा अहसास है.

उन्होंने कहा, "यदि आप सार्थक संरक्षण और वनों की बहाली करना चाहते हैं, तो आपको न्यूनतम पाँच साल लगेंगे. लेकिन, संरक्षण परियोजनाओं के लिए हमें मिलने वाले अधिकांश वित्त एक या दो साल के लिए ही पर्याप्त होते हैं. यह यथार्थवादी नहीं है.

काँस्टैंटीनो औक्का शूटस के लिए, जंगल न केवल पूरी मानवता के लिए मूल्यवान पारिस्थितिक तंत्र हैं; वे दुनिया भर के लाखों स्थानीय समुदायों का घर भी हैं. वनों की रक्षा और पुनर्स्थापन के लिए उनके साथ काम करने वाले लोगों के लिए उनके पास एक अहम सन्देश है.

वो कहते हैं, "वन ऐसी चीज़ हैं, जिन्हें समझने और उनका सम्मान करने की आवश्यकता है. यह केवल स्थानीय समुदायों की मदद से ही किया जा सकता है. मैं स्वदेशी समुदायों के साथ बहाली पर काम करने में सफल रहा हूँ, क्योंकि मैं उनका सम्मान करता हूँ, मैं उनके साथ बात करता हूँ, मैं उनकी बात सुनता हूँ और उनसे सीखता हूँ."

यह लेख पहले यहाँ प्रकाशित हुआ.