अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को उनके हाल पर नहीं छोड़ा जा सकता - यूएन मानवीय राहत समन्वयक
अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवीय राहत अधिकारी ने गुरूवार को आगाह किया है कि यूएन के लिए अफ़ग़ान महिलाओं के काम करने पर तालेबान द्वारा लगाई गई पाबन्दी से, देश में राहत प्रयासों पर विनाशकारी नतीजे होंगे. उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को उनके हाल पर नहीं छोड़ा जा सकता है और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को, देश में ज़रूरतमन्दों के लिए समर्थन जारी रखना होगा.
अफ़ग़ानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र के मानवीय राहत समन्वयक डॉक्टर रमीज़ अलकबरोव ने कहा कि मानवीय राहत प्रयासों के लिए पहले से ही सहायता धनराशि का अभाव है.
अब तालेबान के इस नए क़दम से साझीदार संगठनों द्वारा स्थानीय आबादी को समर्थन प्रदान करने की क्षमता पर और अधिक असर होगा, विशेष रूप से महिलाओं व लड़कियों के लिए ज़रूरी सेवाओं पर.
As the unprecedented crackdown on women's right continues in #Afghanistan the response to ongoing humanitarian crisis remains unfunded.
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RamizAlakbarov
डॉक्टर अलकबरोव ने ज़ोर देकर कहा कि दुनिया, अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को इस जोखिम भरे क्षण में उनके हाल पर नहीं छोड़ सकती है.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया है कि महत्वपूर्ण सहायता धनराशि पर रोक लगाकर, अब अफ़ग़ान जनता को और दंडित किए जाने से बचाना होगा.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश अनेक शीर्ष अधिकारियों ने तालेबान के इस निर्णय की निन्दा की है.
यूएन उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने हालात से निपटने के लिए तालेबान के साथ यूएन द्वारा सम्पर्क व बातचीत जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है.
वहीं, अफ़ग़ानिस्तान में यूएन मिशन ने जानकारी दी है कि महासचिव की विशेष प्रतिनिधि रोज़ा ओटुनबायेवा ने स्थानीय प्रशासन के साथ उच्चतम स्तर पर सम्पर्क साधा है.
इसके साथ ही, अन्य सदस्य देशों, दानदाता समुदाय और मानवीय राहत साझीदारों के साथ बातचीत की जा रही है, ताकि तालेबान के इस आदेश को पलटा जा सके.
रोज़ा ओटुनबायेवा ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में, किसी अन्य शासन तंत्र ने संगठन के लिए महिलाओं के काम करने पर केवल इसलिए पाबन्दी नहीं लगाई चूँकि वे महिलाएँ हैं.”
“यह निर्णय महिलाओं, यूएन के बुनियादी सिद्धान्तों और अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों के विरुद्ध हमले को दर्शाता है.”
विशाल राहत अभियान
अफ़ग़ानिस्तान में वर्ष 2023 में दो करोड़ 83 लाख लोगों को मानवीय राहत की आवश्यकता है, जिसके लिए चार अरब 60 करोड़ डॉलर की धनराशि जुटाने अपील की गई है, जोकि इसे विश्व में सबसे बड़ा राहत अभियान बनाता है.
मानवीय राहत समन्वयक अलकबरोव ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि अफ़ग़ान लोगों को उनके हाल पर छोड़ देने का दंड दिए जाने से बचना होगा.
उनके अनुसार, देश में राहत एजेंसियाँ, ज़मीनी स्तर पर लाखों लोगों को जीवनरक्षक सहायता प्रदान कर रही हैं, और राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय ग़ैर-सरकारी संगठनों ने पिछले तीन महीनों में, चुनौतीपूर्ण हालात के बावजूद अहम कार्यक्रम जारी रखे हैं.
डॉक्टर अलकबरोव ने ध्यान दिलाया कि देश की जनता ने पहले ही बहुत कुछ सहन किया है और अब उन्हें अति-महत्वपूर्ण मानवीय राहत से वंचित रखा जाना, नितान्त अनुचित होगा.
पिछले डेढ़ वर्ष में, तालेबान नेताओं ने अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर नियंत्रण के बाद, महिलाओं व लड़कियों पर अनेक पाबन्दियाँ थोपी हैं, जिससे सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक जीवन में उनकी भूमिका पर भीषण असर हुआ है.
आदेश वापिस लेने का आग्रह
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक समूह ने गुरूवार को यूएन के लिए महिलाओं के काम करने पर लगाई गई पाबन्दी को तत्काल वापिस लिए जाने की मांग की है.
उन्होंने इसे ग़ैरक़ानूनी भेदभाव और महिलाओं पर एक सीधा हमला क़रार दिया है, जोकि यूएन चार्टर और मानवाधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा-पत्र के बुनियादी मूल्यों व सिद्धान्तों के विरुद्ध है.
विशेष रैपोर्टेयर के समूह ने क्षोभ प्रकट किया है कि इस नवीनतम पाबन्दी से, अफ़ग़ानिस्तान में उन लाखों लोगों के लिए महत्वपूर्ण सहायता पर असर होगा, जिन्हें इसकी सर्वाधिक आवश्यकता है. इनमें एक बड़ी संख्या महिलाओं व लड़कियों की है.
उन्होंने कहा कि तालेबान एक बार फिर से महिला अधिकारों और उनके कल्याण के प्रति खुली बेपरवाही दर्शा रहा है, और ऐसे क़दम उठाए गए हैं, जिनसे महिलाओं को सार्वजनिक जीवन के हर क्षेत्र से दूर कर दिया जाएगा, और उनके अधिकार व गरिमा छीन लिए जाएंगे.
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि महिलाओं व लड़कियों को निशाना बनाकर क़दम उठाना, उनके बुनियादी अधिकारों को इसलिए नकारा जाना चूँकि वे महिलाएँ हैं, यह लैंगिक उत्पीड़न के प्रति चिन्ता का विषय है, मानवता के विरुद्ध अपराध है और इसके लिए दोषियों की जवाबदेही तय की जानी होगी.