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अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान ने, यूएन में महिलाओं के काम करने पर लगाई पाबन्दी

अफ़ग़ानिस्तान के कन्दाहार में एक पोलियो अभियान के तहत, बच्चे का टीकाकरण किया जा रहा है.
© UNICEF/Frank Dejongh
अफ़ग़ानिस्तान के कन्दाहार में एक पोलियो अभियान के तहत, बच्चे का टीकाकरण किया जा रहा है.

अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान ने, यूएन में महिलाओं के काम करने पर लगाई पाबन्दी

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता ने मंगलवार को जानकारी दी है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान प्रशासन ने अपने एक आदेश के ज़रिए, संयुक्त राष्ट्र की अफ़ग़ान महिला कर्मचारियों के काम करने पर पाबन्दी लगा दी है.

यूएन महासचिव के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में पत्रकारों को बताया कि अफ़ग़ानिस्तान में यूएन मिशन को तालेबान प्रशासन से आधिकारिक सूचना प्राप्त हुई है, जिसके तहत, अफ़ग़ान नागरिक - यूएन की महिला कर्मचारियों के कामकाज पर अब पाबन्दी लगा दी गई है.

उन्होंने कहा, “हम अभी यह आकलन करने में जुटे हैं कि इस घटनाक्रम का देश में हमारे कामकाज पर किस तरह से असर होगा.”

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यूएन प्रवक्ता के अनुसार, काबुल में तालेबान प्रशासन के साथ बुधवार को एक बैठक होने की सम्भावना है, जिसके ज़रिए, इस विषय में और स्पष्टता पाने के प्रयास किए जाएंगे.

अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर अगस्त 2021 में तालेबान का वर्चस्व स्थापित होने के बाद भी, संयुक्त राष्ट्र ने देश में अपनी उपस्थिति बनाए रखी है और ज़रूरतमन्दों के लिए विभिन्न प्रकार की सेवाएँ व सहायता सुनिश्चित की हैं.

शुरुआती दिनों में तालेबान प्रशासन के साथ अपेक्षाकृत सृजनात्मक माहौल में सम्पर्क व बातचीत हुई, मगर 2022 में, देश के नेतृत्व ने अनेक कठोर निर्णयों की घोषणा की.

इनमें महिलाओं की उच्चतर शिक्षा पर पाबन्दी, ग़ैर-सरकारी संगठनों में उनके काम करने पर रोक और सार्वजनिक स्थलों पर उनके आने-जाने पर रोक लगाया जाना शामिल है.

‘पाबन्दी, अस्वीकार्य है’

यूएन प्रवक्ता ने पत्रकारों द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि तालेबान नेतृत्व से प्राप्त आधिकारिक जानकारी के अनुसार, यह आदेश देश भर में लागू होगा.

स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा कि “हमें आशा है कि हमें सुरक्षा परिषद से मज़बूत आवाज़ें सुनने को मिलेंगी,” जिसके शासनादेश (mandate) के तहत, अफ़ग़ानिस्तान में यूएन सहायता मिशन काम करता है.

उनके अनुसार, यूएन महासचिव ने इस तरह की किसी भी पाबन्दी को अस्वीकार्य क़रार देते हुए इसे सोच से परे बताया है.

अहम हैं महिला कर्मचारी

यूएन प्रवक्ता ने बताया कि तालेबान प्रशासन के इस निर्णय से यूएन की महिला कर्मचारी प्रभावित हुई हैं, जोकि देश में आधिकारिक आदेशों के चिन्ताजनक रुझान की श्रृंखला में एक नवीनतम कड़ी है.

उन्होंने आशंका जताई कि इससे सर्वाधिक ज़रूरतमन्दों तक राहत पहुँचाने की क्षमता कमज़ोर होगी.

स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा कि यह कहने की ज़रूरत होनी नहीं चाहिए, मगर दुर्भाग्यवश यह कहना होगा कि महिला कर्मचारी, यूएन द्वारा जीवनरक्षक सहायता प्रदान करने के लिए अति-आवश्यक हैं.

उन्होंने कहा कि ऐसे आदेशों से महिलाओं के बुनियादी अधिकारों का हनन होता है और यह ग़ैर-भेदभाव के सिद्धान्त का उल्लंघन भी है.

अफ़ग़ानिस्तान के एक अस्पताल में नर्स.
© UNICEF/Mihalis Gripiotis

'दमनकारी माहौल'

अफ़ग़ानिस्तान की आबादी लगभग चार करोड़ है, जिनमें दो करोड़ 30 लाख लोगों तक मानवीय सहायता पहुँचाने का काम जारी रखने के लिए हरसम्भव प्रयास किए जाने पर बल दिया गया है.

इससे पहले, अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अधिकारी रोज़ा इसाकोवना ओटुनबायेवा ने मार्च 2023 में सुरक्षा परिषद में, सदस्य देशों को सम्बोधित करते हुए कहा था कि तालेबान शासन के दौरान, देश महिला अधिकारों के लिए विश्व में सबसे अधिक दमनकारी स्थान बन गया है.

उन्होने क्षोभ प्रकट किया कि एक ऐसे क्षण में, जब देश को दशकों के युद्ध से उबरने के लिए अपनी सारी मानव पूंजी की आवश्यकता है, यहाँ चिकित्सकों, वैज्ञानिकों, पत्रकारों और राजनेताओं की आधी सम्भावित आबादी के सपने कुचल दिए गए हैं और उनकी प्रतिभा को ज़ब्त कर लिया गया है.