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यूक्रेन-रूस: अनाज समझौते का विस्तार, वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए अति अहम

काला सागर अनाज निर्यात पहल के तहत, पहला वाणिज्यिक जहाज़, सामग्री लेकर रवाना होते हुए.
© UNOCHA/Levent Kulu
काला सागर अनाज निर्यात पहल के तहत, पहला वाणिज्यिक जहाज़, सामग्री लेकर रवाना होते हुए.

यूक्रेन-रूस: अनाज समझौते का विस्तार, वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए अति अहम

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ मानवीय सहायता अधिकारी मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद में कहा है कि यूक्रेन में युद्ध ने, वैश्विक खाद्य असुरक्षा पर बहुत गहरे प्रभाव छोड़े हैं. उन्होंने क्षेत्र से अनाज और उर्वरक निर्यात के लिए, ऐतिहासिक – काला सागर अनाज निर्यात समझौते को आगे बढ़ाने की अति महत्वपूर्ण ज़रूरत को भी रेखांकित किया है.

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय राहत और आपदा राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने, सुरक्षा परिषद में, काला सागर अनाज निर्यात समझौता, 18 मार्च को समाप्त होने के मौक़े पर ये बात कही है.

उन्होंने बताया कि इस समझौते के तहत, यूक्रेन से वैश्विक बाज़ारों को ढाई करोड़ मीट्रिक टन अनाज सामग्रियों का निर्यात किया जा चुका है.

काला सागर अनाज समझौते पर, जुलाई 2022 में, तुर्कीये के इस्तान्बूल शहर में हस्ताक्षर किए गए थे. इसी तरह का एक समझौता, रूस के अनाज व उर्वरकों के निर्यात के लिए भी हुआ था.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सुरक्षा परिषद में राजदूतों को सम्बोधित करते हुए कहा, “वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए ये बहुत ज़रूरी और महत्वपूर्ण है कि ये दोनों ही समझौते जारी रहें और उनका पूर्ण पालन किया जाए.”

दुनिया तक खाद्य पहुँचाएँ

रूस और यूक्रेन दोनों ही प्रमुख खाद्य सामग्रियों और वस्तुओं के अग्रणी आपूर्तिकर्ता देश हैं जिनमें गेहूँ, मक्का और सूरजमुखी के तेल जैसा सामान शामिल है. रूस, उर्वरकों का शीर्ष वैश्विक निर्यातक देश भी है.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि दुनिया इन आपूर्तियों पर निर्भर करती है और ऐसा अनेक वर्षों से होता आया है.

उन्होंने कहा, “और ऐसा ही संयुक्त राष्ट्र भी, ज़रूरमन्द लोगों की मदद के लिए करता है: विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP), अपने वैश्विक मानवीय सहायता अभियानों के लिए, गेहूँ की अधिकतर मात्रा, यूक्रेन से ख़रीदता है.”

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सुरक्षा परिषद को बताया कि इन दोनों समझौतों पर हस्ताक्षर किया जाना, वैश्विक खाद्य असुरक्षा से निपटने के प्रयासों में, एक व्यापक अति महत्वपूर्ण क़दम का प्रतिनिधित्व करता है, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि “बाज़ारों में अपेक्षाकृत ठहराव रहा है और वैश्विक खाद्य क़ीमतों में गिरावट जारी रही है.”

जेसीसी की टीम, 3 अगस्त को, रज़ोनी जहाज़ में भरे अनाज का निरीक्षण करते हुए. इस टीम में रूसी महासंघ, तुर्कीये, यूक्रेन और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि शामिल हैं.
© UNOCHA/Levent Kulu

सम्पर्क प्रयासों में वृद्धि

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र यह सुनिश्चित करने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है कि काला सागर अनाज निर्यात पहल जारी रहे, और इस सम्बन्ध में तमाम पक्षों के साथ सम्पर्क साधा जा रहा है.

इसके अतिरिक्त, यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश भी और यूएन व्यापार और विकास एजेंसी – अंकटाड की मुखिया रिबेका ग्रीनस्पैन भी, रूस के साथ हुए समझौते के पूर्ण अनुपालन को आसान बनाने के लिए, प्रयास करने में कोई क़सर बाक़ी नहीं छोड़ रहे हैं.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा, “हमने सार्थक प्रगति दर्ज की है. अलबत्ता, कुछ बाधाएँ बरक़रार हैं, जो भुगतान प्रणालियों को लेकर हैं. अभी काफ़ी कुछ किए जाने की ज़रूरत है, और इन शेष बाधाओं पर पार पाने के लिए, हमारे प्रयास बिना रुके जारी रहेंगे.”

बढ़ती मानवीय सहायता ज़रूरतें

संयुक्त राष्ट्र के राहत मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने एक अस्थिर वैश्विक अर्थव्यवस्था और बढ़ती निर्धनता के सन्दर्भ में, टिकाऊ विकास के लिए दरपेश जोखिमों के बारे में आगाह हुए, ये भी कहा कि मानवीय सहायता ज़रूरतें, उपलब्ध संसाधनों को पीछे छोड़ रही हैं.

इस वर्ष मानवीय सहायता अभियानों के लिए, 69 देशों में 34 करोड़ 70 लाख लोगों की मदद करने के लिए, अभूतपूर्व 54 अरब डॉलर की रक़म की ज़रूरत होगी. वर्ष 2022 में दानदाताओं ने इन सहायता अभियानों के लिए 38.7 अरब डॉलर की धनराशि का योगदान किया था.

युद्ध ख़त्म करें

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने बेतहाशा बढ़ती वैश्विक ज़रूरतों, और नए संकटों की आशंकाओं को देखते हुए, टिकाऊ समाधानों के लिए, मानवीय सहायता और विकास समुदायों व वित्तीय संस्थानों के दरम्यान, निकट सहयोग की ज़रूरत को भी रेखांकित किया है.

उन्होंने कहा, “इस सन्दर्भ में, हमें, यूक्रेन में युद्ध के एक राजनैतिक समाधान की बेहद ज़रूरत है. यूक्रेन के लोगों को शान्ति का अधिकार है... उन्हें इस भीषण युद्ध पर हालात का पन्ना पलटने का अधिकार है, जैसाकि हम सब भी चाहते हैं.“