यूक्रेन: रूस द्वारा यातनाएँ, हमले, मानवता के विरुद्ध सम्भावित अपराध
यूक्रेन युद्ध की जाँच के लिए गठित स्वतंत्र आयोग ने गुरूवार को प्रकाशित अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि रूस सरकार ने अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून और अन्तरराष्ट्रीय मानव कल्याण क़ानून के हनन के अनेक मामलों को अंजाम दिया है. स्वतंत्र जाँच आयोग के अनुसार, यूक्रेन के विभिन्न क्षेत्रों में दर्ज किए गए, अनेक हनन मामलों को युद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा जा सकता है.
रिपोर्ट बताती है कि आम नागरिकों और ऊर्जा-सम्बन्धी बुनियादी ढाँचे, मनमर्ज़ी से की गई हत्याएँ, ग़ैरक़ानूनी ढंग से बन्दी बनाने, यातना देने, बलात्कार व अन्य प्रकार की यौन हिंसा का शिकार बनाने के अलावा, बच्चों को देश निकाला देने और उनके अवैध हस्तान्तरण समेत युद्ध अपराध के अन्य मामलों को अंजाम दिया गया है.
Independent Commission of Inquiry on #Ukraine presented its new report in Geneva today:
"Russian authorities have committed a wide range of violations of international human rights law & international humanitarian law, many of which amount to war crimes." https://t.co/wk7QnweQBo https://t.co/tHKBoVIOqO
UNGeneva
जाँच आयोग ने यूक्रेन के 9 क्षेत्रों में स्थित 56 नगरों में, 348 महिलाओं और 247 पुरुषों से बातचीत के आधार पर अपनी यह रिपोर्ट तैयार की है.
इस सिलसिले में, जाँचकर्ताओं ने विध्वंस स्थलों, क़ब्रों, हिरासत व यातना केन्द्रों के अलावा हथियारों के अवशेषों की पड़ताल की और बड़ी संख्या में दस्तावेज़ों और रिपोर्टों का अध्ययन किया.
तथ्य दर्शाते हैं कि रूसी सैन्य बलों के नियंत्रण वाले इलाक़ों में आम नागरिकों और ऐसे लोगों को दुराग्रह से जान से मार दिया गया, जो लड़ाई का हिस्सा नहीं थे, जोकि युद्ध अपराध और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है.
“रूसी सैन्य बलों ने घनी आबादी वाले इलाक़ों में, आम नागरिकों को नुक़सान या पीड़ा पहुँचने की परवाह किए बिना, विस्फोटक हथियारों से हमले किए और ज़रूरती ऐहतियात नहीं बरती गई.”
“ये ताबड़तोड़ और ग़ैर-आनुपातिक हमले, अन्तरराष्ट्रीय मानव कल्याण क़ानून का हनन थे. रिहायशी इलाक़ों में विस्फोटक हथियारों का इस्तेमाल, आमजन के हताहत होने का मुख्य कारण है.”
बुनियादी ढाँचे पर हमले
जाँच आयोग ने बताया कि 10 अक्टूबर 2022 को रूसी सैन्य बलों ने यूक्रेन में ऊर्जा-सम्बन्धी बुनियादी ढाँचे पर सिलसिलेवार हमले किए, जिन्हें मानवता के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है, और जिसकी जाँच कराई जानी होगी.
देश में बुनियादी ढाँचे को पहुँची क्षति और ऊर्जा आपूर्ति में आए व्यवधान से, लाखों लोगों को कठोर सर्दी में बिना बिजली और तापन व्यवस्था के रहने के लिए मजबूर होना पड़ा.
जाँच आयोग ने रूसी सैन्य बलों के नियंत्रण वाले इलाक़ों में व्यापक स्तर पर लोगों को अवैध ढंग से बन्दी बनाए जाने के मामले भी दर्ज किए हैं.
यातना केन्द्र
बताया गया है कि यूक्रेन और रूसी महासंघ में अनेक ऐसे केन्द्र स्थापित किए गए, जहाँ पर कुछ चुनिन्दा लोगों को यातनाएँ देने के तौर-तरीक़ो का इस्तेमाल किया गया.
एक पूर्व बन्दी ने बताया कि यूक्रेनी भाषा बोलने और रूसी महासंघ के राष्ट्रगान को याद ना रखने के लिए दंडस्वरूप, उनकी पिटाई की गई.
जाँच आयोग का कहना है कि यातना दिए जाने के इन रुझानों को मानवता के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है, और इनकी और पड़ताल कराई जानी होगी.
आयोग ने बलात्कार और यौन व लिंग आधारित हिंसा के भी अनेक मामले दर्ज किए हैं, जिन्हें रूसी एजेंसियों द्वारा अपने नियंत्रण वाले इलाक़ों में घर-घर जाकर तलाशी लेने और बन्दी बनाए जाने के दौरान अंजाम दिया गया.
बच्चों का अवैध हस्तान्तरण
इसके साथ-साथ, यूक्रेन से बच्चों को रूसी महासंघ हस्तान्तरित किए जाने के आरोपों की भी जाँच की गई. आयोग ने चिन्ता जताई है कि मानवाधिकार और अन्तरराष्ट्रीय मानव कल्याण क़ानून का हनन किया गया और बच्चों के हस्तान्तरण व देश निकाला दिए जाने के मामलों को युद्ध अपराध की श्रेणी में रखा जा सकता है.
जाँच आयोग ने यूक्रेनी सैन्य बलों द्वारा अधिकार हनन के मामलों की भी जानकारी जुटाई है, जिनमें ताबड़तोड़ हमले किए जाने के अलावा, रूसी बन्दियों को गोली मारने व यातना दिए जाने के मामले हैं.
आयोग ने अपनी अनुशंसा में इन सभी उल्लंघन मामलों की राष्ट्रीय या अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर जाँच कराए जाने और दोषियों की जवाबदेही तय किए जाने की बात की है.
जवाबदेही व्यवस्था के लिए ऐसे व्यापक तौर-तरीक़े अपनाए जाने का आग्रह किया गया है, जिनमें आपराधिक ज़िम्मेदारी के साथ, पीड़ितों के लिए सच जानने, मुआवज़ा पाने और ऐसी घटनाएँ फिर ना दोहराए जाने के अधिकार का ख़याल रखा जाए.