सीरिया में युद्ध समाप्ति के लिए, स्थाई समाधान ढूंढे जाने का आग्रह
संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने बुधवार को जारी अपने वक्तव्यों में, सीरिया में पिछले 12 वर्षों से जारी गृहयुद्ध का अन्त किए जाने के लिए, राजनैतिक समाधान की आवश्यकता को रेखांकित किया है.
सीरिया संकट अपने 13वें वर्ष में प्रवेश कर गया है. सीरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत गेयर पैडरसन ने कहा कि यह पड़ाव, बड़ी संख्या में मारे गए लोगों और लाखों अन्य पीड़ितों की व्यथा पर विशेष ध्यान करने की घड़ी है.
इनमें वे लोग भी हैं, जोकि जबरन विस्थापन का शिकार हुए हैं, जिन्हें मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया है, या फिर जो ग़ायब या लापता हैं.
📣#Syria
12 years of conflict
12 years of destruction
12 years of economic collapse.
12 years of eroded hope
12 years of broken dreams
12 years of mounting humanitarian needs
#LifelineofHope https://t.co/mMBPNhnsz6
OCHA_Syria
गेयर पैडरसन ने कहा, “सीरिया में हालात इस प्रकार से आगे जारी नहीं रह सकते हैं, और वे मानवता व तार्किकता को नकारते हैं.”
विशेष दूत के अनुसार, फ़रवरी में आए विनाशकारी भूकम्प से उपजे हालात का सामना करने में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, और यह आपदा ध्यान दिलाती है कि यथास्थिति ना तो जारी रह सकती है और ना ही उसे सही ठहराया जा सकता है.
6 फ़रवरी को सीरिया के पश्चिमोत्तर और तुर्कीये के दक्षिणी हिस्से में आए भीषण भूकम्प से दोनों देशों में 50 हज़ार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, और व्यापक पैमाने पर तबाही हुई है.
सीरिया में लगभग 90 लाख लोग प्रभावित हुए हैं और देश का पश्चिमोत्तर क्षेत्र, सर्वाधिक प्रभावित हुआ है, जोकि विपक्षी गुटों का गढ़ है.
विशेष दूत पैडरसन ने ज़ोर देकर कहा कि सामूहिक मानव कल्याण के लिए यह अनिवार्य है कि राहत प्रयासों के राजनीतिकरण से बचा जाए.
उन्होंने सहायता अभियान के लिए सतत शान्ति, और उदारता से उपलब्ध कराए गए संसाधनों पर विशेष बल दिया है.
राजनैतिक समाधान आवश्यक
गेयर पैडरसन ने कहा कि साझा प्रयासों को केवल मानवीय सहायता कार्रवाई तक ही सीमित नहीं किया जा सकता है.
“सीरिया बर्बाद, विभाजित और कंगाल है, यहाँ हिंसक टकराव के सक्रिय हालात हैं, और इसकी सम्प्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ समझौता किया गया है.”
उन्होंने इन मुद्दों को सुलझाने के लिए एक व्यापक राजनैतिक समाधान की महत्ता पर बल दिया है, जिसमें सीरिया की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता बहाल की गई हो, सीरियाई लोग गरिमा में जीवन गुज़ार सकें और अपने भविष्य की ओर बढ़ सकें.
गेयर पैडरसन ने आगाह किया कि इसके अभाव में सीरियाई नागरिकों के लिए हालात, यूँ ही दुखद बने रहेंगे.
बदलाव का मोड़
विशेष दूत ने कहा कि भूकम्प और उससे हुई बर्बादी, बदलाव का एक मोड़ साबित हो सकता है, चूँकि मानवीय राहत प्रयासों के लिए सभी पक्षों ने अपने पुराने रुख़ से आगे क़दम बढ़ाया है.
इस बीच, यूएन के शीर्ष मानवीय राहत अधिकारियों ने गृहयुद्ध की शुरुआत से अब तक सीरियाई लोगों की व्यथा पर ध्यान केन्द्रित किया है और जीवन, आजीविका, घर व नाउम्मीद पर क्षोभ प्रकट किया है.
यूएन के रैज़ीडेंट कोऑर्डिनेटर और मानवीय राहत समन्वयक ऐल-मुस्तफ़ा बेनलमलीह और सीरिया संकट के लिए क्षेत्रीय समन्वयक मुहन्नद हादी ने बुधवार को अपना एक साझा वक्तव्य जारी किया है.
उन्होंने कहा कि सीरिया, विश्व की सबसे जटिल, मानवीय और संरक्षण आपात स्थिति है, और देश भर में डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों को इस वर्ष सहायता की आवश्यकता होगी, जोकि अब तक ज़रूरतमन्दों की सबसे बड़ी संख्या है.
गुज़र-बसर का संघर्ष
सीरिया, विश्व में सबसे बड़ा विस्थापन संकट भी है, और देश की सीमाओं के भीतर 68 लाख लोग विस्थापित हुए हैं, जबकि लगभग इतनी ही संख्या में लोगों ने अन्य देशों में शरण ली है.
लाखों सीरियाई नागरिक, अपनी गुज़र-बसर के लिए संघर्ष कर रहे हैं, उनके लिए बुनियादी सेवाएँ ध्वस्त हो गई हैं, हैज़ा संक्रमण के मामले उछाल पर हैं और उन्हें खाद्य वस्तुओं व ऊर्जा क़ीमतों में उछाल से जूझना पड़ रहा है.
यूएन अधिकारियों के अनुसार, भीषण भूकम्प ने पहले से जारी संकट में त्रासदी की एक और परत को जगह दी है.
उन्होंने भरोसा दिलाया है कि अन्तरराष्ट्रीय मानवीय राहत समुदाय, सीरिया में ज़रूरतमन्दों तक राहत पहुँचाने के लिए प्रयास जारी रखने के लिए संकल्पित है और साथ ही, सुदृढ़ता निर्माण व आपदा से पुनर्बहाली की कोशिशों को भी बल दिया जाएगा.
बाल कुपोषण
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने बुधवार को आगाह किया है कि हिंसक संघर्ष और भूकम्प से उपजी स्थिति के कारण, युवा सीरियाई नागरिकों पर कुपोषण का जोखिम मंडरा रहा है.
गृहयुद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 13 हज़ार से अधिक लड़के-लड़कियों की मौत हो चुकी है, पाँच वर्ष से कम उम्र के छह लाख से अधिक बच्चे नाटेपन से पीड़ित हैं.
कुपोषण के मामलों में भी उछाल दर्ज किया गया है और पिछले कुछ समय में गम्भीर कुपोषण का शिकार बच्चों की संख्या में, 2021 से 2022 तक, लगभग 50 फ़ीसदी की वृद्धि देखी गई है.
“जब बच्चे कुपोषण से पीड़ित होते हैं, तो उनका प्रतिरक्षण तंत्र कमज़ोर हो जाता है, और अच्छे से पोषित बच्चों की तुलना में उनकी मौत होने की सम्भावना 11 गुना अधिक होती है.”
यूनीसेफ़ ने कहा कि सीरियाई परिवार, बढ़ती क़ीमतों और आर्थिक बदहाली के बीच अपनी गुज़र-बसर के लिए संघर्ष कर रहे हैं और देश की 90 फ़ीसदी आबादी निर्धनता में जीवन व्यतीत कर रही है.
यूएन अधिकारियों ने कहा कि सीरिया के बच्चे अब और प्रतीक्षा नहीं कर सकते हैं. वर्षों के संघर्ष, दो विनाशकारी भूकम्प के बाद, उनका भविष्य एक नाज़ुक डोर से बंधा और उन्हें बचाना हमारा सामूहिक दायित्व है.