अहम कामगारों के लिए कामकाजी परिस्थितियाँ बेहतर बनाने में निवेश की दरकार
अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने देशों से आग्रह किया है कि कोविड-19 के दौरान मुस्तैदी से अति-आवश्यक सेवाएँ प्रदान करने वाले कर्मचारियों की कामकाजी परिस्थितियों और आय में बेहतरी लाए जाने की आवश्यकता है. यूएन एजेंसी के अनुसार, भावी संकटों से निपटने के लिए यह ज़रूरी है कि ऐसे कामगारों के समाज व अर्थव्यवस्था में योगदान को पहचाना जाए और उसके अनुरूप उनके लिए बेहतरी उपाय किए जाएँ.
यूएन श्रम विशेषज्ञों ने अपनी एक नई रिपोर्ट में ध्यान दिलाया है कि अति-आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों ने कोविड-19 के दौरान लागू की गई तालाबन्दियों के दौरान, परिवारों, समाजों और अर्थव्यवस्थाओं को जारी रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
नवीनतम आकलन, World Employment and Social Outlook 2023: The value of essential work, में 90 देशों से प्राप्त आँकड़ों का विश्लेषण किया गया है, जिसके अनुसार, अहम कर्मचारी के मूल्य को बहुत कम करके आँका जाता है और उनके योगदान को पर्याप्त पहचान नहीं मिलती है.
The 🆕 @ilo report highlights the importance of providing essential workers with adequate pay and good working conditions.
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ilo
बुधवार को जारी इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य, खुदरा, खाद्य प्रणाली, सुरक्षा, साफ़-सफ़ाई और परिवहन समेत, अर्थव्यवस्था के अन्य महत्वपूर्ण सैक्टर का आकलन किया गया है.
श्रम संगठन में शासन-व्यवस्था, अधिकार व संवाद मामलों के लिए सहायक महानिदेशक मैनुएला टोमेई ने बताया कि अनेक देशों में, अर्थव्यवस्था के अहम क्षेत्रों में श्रमिकों की क़िल्लत का सामना करना पड़ रहा है.
इसकी एक बड़ी वजह यह है कि लोगों में ऐसे कामकाज का हिस्सा बनने के अनिच्छा बढ़ रही है, जहाँ उपयुक्त, न्यायसंगत ढंग से ना तो उनके मूल्य को समझा जाता है, और ना ही अच्छा वेतन या बेहतर कामकाजी परिस्थितियाँ सुनिश्चित की जाती हैं.
यूएन एजेंसी के अनुसार कोविड-19 संकट के दौरान, इन सैक्टर में कार्यरत कर्मचारियों में, अन्य कामगारों की तुलना में मृत्यु दर अधिक थी, चूँकि उनके लिए वायरस की चपेट में आने का जोखिम भी अपेक्षाकृत ज़्यादा था.
रिपोर्ट बताती है कि कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों में उनका अनुपात भी अधिक है, यानि माध्यिका (median) आय के दो-तिहाई से भी कम कमाने वाले कामगार.
भविष्य में निवेश
अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के शोध विभाग में निदेशक रिचर्ड सैमंस ने बुधवार को जिनीवा में जानकारी देते हुए कहा कि महत्वपूर्ण कर्मचारियों के लिए बेहतर वेतन और कामकाजी परिस्थितियों में निवेश किया जाना, न्यायोचित है और इससे भविष्य में किसी अन्य वैश्विक आपात स्थिति से निपटने में भी मदद मिलेगी.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह एक ऐसा अवसर है, जिससे दो उद्देश्यों को पूरा किया जा सकता है. पहला, इन कर्मचारियों के लिए कामकाजी परिस्थितियों को बेहतर बनाना और उनके लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना.
दूसरा, अर्थव्यवस्थाओं की सहन-सक्षमता को मज़बूत करना, ताकि वे भावी महामारी, प्राकृतिक आपदा या फिर किसी भी प्रकार के झटकों का सामना करने में सक्षम हों.
रिपोर्ट में एक अहम अनुशंसा, वेतन और कार्यस्थल सुरक्षा समेत अन्य मामलों में नियामन व्यवस्था को मज़बूत करना, और स्वास्थ्य व खाद्य सैक्टर समेत लघु व्यवसायों के समर्थन में निवेश के लिए लक्षित उपाय किया जाना है.
श्रमिकों की क़िल्लत
श्रम संगठन की रिपोर्ट दर्शाती है कि महत्वपूर्ण सेवाओं से जुड़े कामगारों और अन्य कर्मचारियों की आय में औसतन क़रीब 26 प्रतिशत की खाई है.
अति-आवश्यक सैक्टर में अक्सर कामकाजी परिस्थितियाँ कठिन होती हैं, कर्मचारियों को एक दिन में लम्बी अवधि तक काम करना पड़ता है और अक्सर कामकाजी घंटों का अनुमान लगा पाना सम्भव नहीं होता है.
इसके अलावा, उनके लिए प्रशिक्षण अवसर सीमित होते हैं, सामाजिक संरक्षा कवरेज लचर होती है और बीमार होने पर वैतनिक अवकाश भी कम ही मिल पाता है.
एक अनुमान के अनुसार, विश्व भर में हर तीन में से एक अति-आवश्यक सेवाओं के कर्मचारियों को अस्थाई अनुबन्ध पर रखा जाता है, जिसका उनकी रोज़गार सुरक्षा और अन्य सुविधाओं के लिए पात्रता पर असर पड़ता है.
यूएन एजेंसी ने सचेत किया है कि ख़राब कामकाजी परिस्थितियों से कर्मचारियों की अदला-बदली और श्रमिक क़िल्लत की समस्या गहरी होती है, और बुनियादी सेवाओं का प्रावधान जोखिम में पड़ जाता है.
संगठन का कहना है कि कोविड-19 से सबक़ सीखते हुए, कर्मचारियों के लिए उपयुक्त व शिष्ट रोज़गार की गारंटी दिए जाने की आवश्यकता है, जिसके लिए निवेश बढ़ाया जाना होगा.
इस क्रम में, देशों की सरकारों, नियोक्ताओं (employers) और श्रम संगठनों से एक साथ मिलकर प्रयास किए जाने का आग्रह किया गया है ताकि अहम सेवाओं व सामान की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके.