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'नेपाल अपने अगले अध्याय के लिए तैयार'

नेपाल में कृषि विकास परियोजनाएँ के ज़रिये, ग्रामीण समुदायों में ग़रीबी कम करने में मदद मिल रही है.
© ADB
नेपाल में कृषि विकास परियोजनाएँ के ज़रिये, ग्रामीण समुदायों में ग़रीबी कम करने में मदद मिल रही है.

'नेपाल अपने अगले अध्याय के लिए तैयार'

आर्थिक विकास

नेपाल वर्ष 2026 में, दुनिया के अल्पतम विकसित देशों की श्रेणी से बाहर निकल जाएगा. नेपाल में ही पैदा हुए और परवरिश पाए, व नेपाल स्थित संयुक्त राष्ट्र रैज़िडेंट कोऑर्डिनेटर कार्यालय में कार्यरत एक अर्थशास्त्री, सुभाष नेपाली, इस आर्थिक प्रगति के साक्षी रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र की अल्पतम विकसित देशों (LDCs) की सूची में, वर्तमान में 46 देश शामिल हैं.

इन देशों ने, क़तर की राजधानी दोहा में अल्पतम विकसित देशों पर संयुक्त राष्ट्र के पाँचवें सम्मेलन में भाग लिया, जहाँ इस बात पर ध्यान केन्द्रित किया गया कि भविष्य में उनके एलडीसी समूह से बाहर आने और विकास के लिए, उन्हें किस तरह सर्वोत्तम समर्थन दिया जाए.

सुभाष नेपाली (बाएँ) और सहकर्मी (फाइल)

“नेपाल को 1970 के दशक में जब, पहली बार सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) की यूएन सूची में शामिल किया गया था, उस समय मेरे माता-पिता देश के एकमात्र राजमार्ग से, 68 किलोमीटर दूर अर्घखाँची ज़िले में, भोजन व अन्य सामान ढोने का काम करते थे.”

उस समय, लोगों की औसत वार्षिक प्रति व्यक्ति आय 70 डॉलर होती थी और 60 प्रतिशत से अधिक आबादी भुखमरी व घोर निर्धनता के गर्त में थी.

1990 के दशक तक, मेरे माता-पिता हमें एक दिन का भरपेट खाना खिलाने में भी असमर्थ थे; और मुझे अब भी याद है कि मैं सरकारी खाद्य गोदाम में सब्सिडी वाला भोजन ख़रीदने के लिए लाइन में लगता था.

विकास की आकांक्षाएँ

पचास साल बाद, देश में स्थिति बहुत अलग है. 2021 में, नेपाल ने "अल्पतम विकसित देशों" की सूची से बाहर आने की योग्यता प्राप्त की, तीसरी बार, तीन संकेतकों में से दो का सीमा स्तर पार किया: यानि मानवीय सम्पत्ति सूचकांक और आर्थिक सम्वेदनशीलता सूचकांक. इनके अन्तर्गत, देश के स्वास्थ्य, शिक्षा और अर्थव्यवस्था का, सूखा, प्राकृतिक आपदा व कृषि उत्पादन में अस्थिरता जैसे प्राकृतिक झटकों के प्रति जोखिम का आकलन किया जाता है.

नेपाल की उपलब्धियाँ इन आधिकारिक सीमाओं को पार करने से बहुत अधिक हैं. 2020 में, ग़रीबी घटकर 17 प्रतिशत हो गई और 2022 में भुखमरी का स्तर (वैश्विक भुखमरी सूचकांक द्वारा आकलित) गम्भीर से मध्यम हो गया. सड़कों और बुनियादी ढाँचे में सुधार का मतलब है कि देश के ग्रामीण हिस्सों के बीच अब बेहतर सम्पर्क स्थापित हो चुका है.

लैंगिक समानता और स्वास्थ्य के मुद्दों पर भी नेपाल ने महत्वपूर्ण प्रगति की है. 2019 में स्कूल नामांकन लक्ष्य में लैंगिक समानता को सफलतापूर्वक हासिल किया गया और पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर प्रति 1000 पर 28 मौतों तक घट गई.

नेपाल में एक युवा लड़की पढ़ाई कर रही है.
ADB/Samir Jung Thapa

आर्थिक, सुरक्षा और जलवायु चुनौतियाँ

इस मील के पत्थर तक पहुँचना आसान नहीं रहा है, विशेष रूप से उस देश के लिए, जिसने 1996-2006 तक एक दशक लम्बा सशस्त्र संघर्ष सहन किया, और तत्पश्चात शान्ति-निर्माण में चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना किया. 2015 में, नेपाल में 7.8 तीव्रता के भयंकर भूकम्प के कारण 9,000 से अधिक लोगों की मौत हुई और उस वर्ष 4.6 प्रतिशत के अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में 1.5 प्रतिशत की गिरावट हुई.

2010 में नेपाल में एक विकास विश्लेषक के रूप में मेरी नियुक्ति, संयुक्त राष्ट्र में होने के कुछ ही समय बाद इस्तान्बूल में, एलडीसी पर चौथा संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन आयोजित किया गया, जो एलडीसी सूची से बाहर निकलने के नेपाल के लम्बे सफ़र के लिए एक महत्वपूर्ण क़दम था.

'कार्रवाई के लिए इस्तान्बूल कार्यक्रम' लागू करने के लक्ष्य के साथ, नेपाल ने एलडीसी श्रेणी से बाहर निकलने को प्राथमिकता देने के लिए अपनी 12वीं राष्ट्रीय योजना बनाई. तीन साल बाद, 15वीं योजना के तहत, देश ने 2024 में एलडीसी सीमा पार करने की एक कठिन समय सीमा तय की,  लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण उसे 2026 तक विलम्बित करना पड़ा.

नेपाल में संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडेंट कोऑर्डिनेटर कार्यालय (RCO) में अर्थशास्त्री के रूप में, मेरी भूमिका का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, सरकार और अन्य विकास भागीदारों को इस महत्वपूर्ण परिवर्तन के लिए तैयार करने में सहायता करना है. देश भर के समुदायों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? किसी भी जोखिम को कम करने के लिए हम एक साथ मिलकर किस तरह काम कर सकते हैं? ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में आरसीओ में मेरे काम का मार्गदर्शन किया है.

अल्पावधि में, इससे नेपाल की अर्थव्यवस्था स्थिर रहने की सम्भावना है. हालाँकि लम्बी अवधि में, माल की आपूर्ति में कमी, अपर्याप्त संरचनात्मक परिवर्तन, और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों, (एमएसएमई) को बढ़ावा देने में लचीलेपन की कमी सहित कई चुनौतियाँ हैं, जिनसे निपटने के लिए हम पहले से ही राष्ट्रीय अधिकारियों की मदद कर रहे हैं.

नेपाल के रूपन में धान की रोपाई करता एक किसान.
© CIAT/Neil Palmer

नेपाल के 'नए' उद्यमों की क्षमता का दोहन

सुचारू परिवर्तन रणनीति (STS) तैयार करने के लिए, रैज़िडेंट कोऑर्डिनेटर कार्यालय के अपने सहयोगियों के साथ, हमने नेपाल सरकार को तकनीकी सहायता प्रदान की है. इस रणनीति के तहत, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाना, राजस्व आधार का विस्तार, विकास वित्त, विशेष रूप से जलवायु वित्त तक पहुँच और निजी निवेश को उत्प्रेरित करके आर्थिक परिवर्तन में तेज़ी लाने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है.

एलडीसी की सूची में आने वाले अन्य पड़ोसी देशों के साथ जुड़ना और देशीय, क्षेत्रीय व वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र विकास प्रणाली से विशेषज्ञता प्राप्त करना, सुचारू परिवर्तन प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है.

इस बदलाव के लिए नेपाल को तैयार करने हेतु संयुक्त राष्ट्र के व्यापक समर्थन की आवश्यकता है; यही कारण है कि यूएन सतत विकास सहयोग फ्ऱेमवर्क (2023-2027) के तहत देश को एलडीसी सूची से बाहर लाने और समावेशी आर्थिक परिवर्तन को, देश भर में संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की गतिविधियों का प्रमुख स्तम्भ बनाया गया है.

इन सभी प्रयासों से रोज़गार सृजित करने व नेपाल के कई सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम आकार के उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय सरकारों की क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी, जो देश का लगभग 99 प्रतिशत उद्यम बनाते हैं. क्षेत्रीय मूल्य श्रृंखलाओं से जुड़ने पर ये एमएसएमई, या 'नए उद्योग', जिनमें से कई महिलाओं के नेतृत्व में हैं, टिकाऊ विकास लक्ष्यों व नेपाल के अपने विकास लक्ष्यों पर प्रगति को बढ़ावा देने की अहम क्षमता रखते हैं.

दोहा से परे

नेपाल में संयुक्त राष्ट्र की रैज़िडेंट कोऑर्डिनेटर, हाना सिंगर ने, अन्य सरकारी अधिकारियों और विकास भागीदारों के साथ, एलडीसी सीमा पार करने में देश की सफलता की कहानी प्रस्तुत करने के लिए, दोहा में आयोजित एलडीसी पर 5वें संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भाग लिया.

जब हम समापन रेखा तक पहुँचने वाले हैं और दुनिया के सबसे कम विकसित देशों में से एक के इस स्थिति से उबरने की तैयारी कर रहे हैं, तो हमें अपरिवर्तनीय एवं स्थाई बदलाव लाने की अतिरिक्त ज़िम्मेदारी उठाने के लिए तैयार रहना होगा, व यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना होगा कि कोई भी माता-पिता, कभी भी, अपने परिवार को भोजन देने या अपने बच्चों को उसी तरह स्कूल भेजने के लिए संघर्ष न करें, जिस तरह मेरे माता-पिता या मेरी पीढ़ी के कई अन्य लोगों को करना पड़ा था.

यह नेपाल के लिए गर्व का क्षण है, और व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए भी गर्व का क्षण है. हमारी प्रगति, दुनिया को एक सकारात्मक सन्देश देती है कि नेपाल अपने अगले अध्याय के लिए तैयार है.

एलडीसी और अल्पतम विकसित देशों के स्तर से उबरना

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1971 में अल्पतम विकसित देशों (LDC) की श्रेणी स्थापित की गई थी. यह संयुक्त राष्ट्र के सबसे कमज़ोर और वंचित सदस्यों के लिए विशेष अन्तरराष्ट्रीय समर्थन आकर्षित करने के लिए बनाई गई थी.
  • अल्पतम विकसित देश (एलडीसी) श्रेणी से बाहर आना, किसी देश की टिकाऊ विकास प्रगति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और इसके लिए सभी हितधारकों से समर्थन की आवश्यकता होती है.
  • एलडीसी-विशिष्ट लाभ और अनुकूल व्यवस्थाएँ खो देने से देश के सामने चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं. लेकिन, इस तरह के लाभों की हानि का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि बदलाव से पहले देश उन लाभों का कितना प्रभावी ढंग से उपयोग कर रहा था.
  • छह देशों ने एलडीसी के दर्जे से बाहर निकलने में सफलता प्राप्त की है: बोत्सवाना (1994 में), केप वर्दे (2007), मालदीव (2011), समोआ (2014), इक्वेटोरियल गिनी (2017), और वानुअतु (2020).