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अफ़ग़ानिस्तान: 'तालेबान की वापसी ने मिटाई, महिला अधिकारों के लिए दो दशकों की प्रगति'

 अफ़ग़ानिस्तान में अनेक परिवार आर्थिक गुज़र-बसर के लिए अपने बच्चों की छोटी आयु में ही शादी करा देते हैं.
© UNICEF/Madhok
अफ़ग़ानिस्तान में अनेक परिवार आर्थिक गुज़र-बसर के लिए अपने बच्चों की छोटी आयु में ही शादी करा देते हैं.

अफ़ग़ानिस्तान: 'तालेबान की वापसी ने मिटाई, महिला अधिकारों के लिए दो दशकों की प्रगति'

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं एवं लड़कियों के अधिकारों की स्थिति, वर्ष 2002 से पहले के दौर में लौट गई है, जब तालेबान के पिछले शासन के दौरान उनके अधिकारों को गहरी ठेस पहुँची थी. यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा हालात से पिछले 20 वर्षो में महिला अधिकारों के लिए दर्ज की गई प्रगति मोटे तौर पर मिट गई है.   

यूएन के स्वतंत्र विशेषज्ञों के एक समूह ने अपना साझा वक्तव्य बुधवार, 8 मार्च को 'अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस' के अवसर पर जारी किया है.

उन्होंने ध्यान दिलाया है कि 2002 में, तालेबान शासन के दौरान महिलाधिकारों को वर्षों तक नकारे जाने के बाद, अफ़ग़ान महिलाओं ने बड़ी उम्मीदों के साथ महिला दिवस मनाया था.

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उस दिवस पर अफ़ग़ानिस्तान और और यूएन मुख्यालय की थीम में अफ़ग़ान महिलाओं के लिए वास्तविकताओं और अवसरों पर ध्यान केन्द्रित किया गया था.

अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने ज़ोर देकर कहा था कि अफ़ग़ान महिलाओं की व्यथा, गरिमा, समानता व मानवता के सभी मानकों पर एक चोट है.

इसके साथ ही, अफ़ग़ान महिलाओं के लिए जीवन फिर से पटरी पर लगाने और हिंसक टकराव पश्चात देश में पुनर्निर्माण प्रक्रिया में उन्हें सहभागी बनाने के लिए संकल्प लिए गए.

पिछले दो दशकों में, अफ़ग़ान महिलाओं और लड़कियों ने चुनौतियों के बावजूद, अपने मानवाधिकारों को साकार करने की दिशा में ठोस प्रगति दर्ज की.

यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अपने वक्तव्य में क्षोभ प्रकट किया है कि पिछले कुछ समय में, उनके लिए हालात 2002-पूर्व काल में लौट गए हैं.

सख़्त पाबन्दियाँ लागू

उन्होंने कहा कि महिलाओं के बुनियादी अधिकारों और उनकी स्वतंत्रता को नकारा जा रहा है, जिनमें शिक्षा, कार्य, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के उच्चतम मानक पाने, आवाजाही की व भय से आज़ादी, और भेदभाव से मुक्ति के अधिकार हैं.

लड़कियों को माध्यमिक स्तर की शिक्षा से दूर कर दिया गया है और महिलाओं के यूनिवर्सिटी में पढ़ाई-लिखाई पर पाबन्दी लगा दी गई है.

महिलाओं व लड़कियों के मनोरंजन पार्क, सार्वजनिक स्नानघर, जिम, स्पोर्ट्स क्लब में जाने पर चार महीनों से पाबन्दी है, और उनके ग़ैर-सरकारी संगठनों में काम करने पर भी रोक है.

तालेबान ने अगस्त 2021 में अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता हथिया ली थी, जिसके बाद से महिलाओं को, सार्वजनिक कार्यालयों और न्यायपालिका से भी पूरी तरह बाहर कर दिया गया है.

यूएन के विशेष रैपोर्टेयर के समूह ने कहा कि देश में महिलाओं व लड़कियों के लिए पोशाक संहिता सख़्ती से लागू की गई है, और उन्हें बिना किसी पुरुष संगी के 75 किलोमीटर से दूर यात्रा करने की अनुमति नहीं है. उन्हें घर तक सीमित रहने के लिए मजबूर किया जाता है.

“देश भर में, महिलाओं ने अदृश्य, अलग-थलग, घुटन, और जेल जैसी परिस्थितियों में रहने की बात कही है. अनेक, मेडिकल स्वास्थ्य देखभाल और मनोचिकित्सक समर्थन के अभाव में अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा कर पाने में असमर्थ हैं, विशेष रूप से हिंसा और यौन हिंसा की पीड़ित महिलाएँ.”

अफ़ग़ानिस्तान के हेरात प्रान्त में स्थित एक स्कूल में छात्राएँ. (फ़ाइल)
© UNICEF/Mark Naftalin

यूएन विशेषज्ञों का आग्रह

मानवाधिकार विशेषज्ञों के अनुसार, अगले दो सप्ताह में अफ़ग़ानिस्तान में नया स्कूल सत्र आरम्भ होगा, और तालेबान के पास महिलाओं व लड़कियों की पढ़ाई-लिखाई पर पाबन्दी को हटाने का अवसर है.

उन्होंने देश में तालेबान प्रशासन से महिला अधिकारों के इस हानिकारक विनाश का अन्त करने का अनुरोध किया है, और महिलाओं पर थोपी गई पाबन्दियों को हटाने की अपील की है, विशेष रूप से ग़ैर-सरकारी संगठनों में उनके काम करने पर लगाई गई रोक को वापिस लेने की.

साथ ही, उन सभी अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार सन्धियों के अन्तर्गत तय दायित्वों का अनुपालन किया जाना होगा, जिन पर अफ़ग़ानिस्तान ने मोहर लगाई है.

यूएन विशेषज्ञों ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से अफ़ग़ान महिलाओं के लिए समर्थन जारी रखने की पुकार लगाई है, विशेष रूप से शिक्षा व रोज़गार के लिए उनके अधिकारों को साकार किया जाना होगा.

विशेष रैपोर्टेयर ने ज़ोर देकर कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में और देश सम्बन्धी निर्णय-निर्धारण प्रक्रियाओं में महिलाओं को सम्मिल्लित किए जाने के लिए क़दम उठाने होंगे, और उन सरकारी आदेशों व नीतियों को वापिस लिया जाना होगा, जिनसे महिला अधिकारों को ठेस पहुँची है.

मानवाधिकार विशेषज्ञ

इस वक्तव्य को जारी करने वाले मानवाधिकार विशेषज्ञों की सूची यहाँ देखी जा सकती है.

सभी स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, जिनीवा में यूएन मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किये जाते हैं, और वो अपनी निजी हैसियत में, स्वैच्छिक आधार पर काम करते हैं. 

ये मानवाधिकार विशेषज्ञ संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और ना ही उन्हें उनके काम के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन मिलता है.