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‘महिलाएँ, शान्ति व सुरक्षा एजेंडा में, क्रान्तिकारी दिशा परिवर्तन की दरकार’

यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक सीमा बहाउस, महिलाएँ, शान्ति व सुरक्षा मुद्दे पर, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Manuel Elias
यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक सीमा बहाउस, महिलाएँ, शान्ति व सुरक्षा मुद्दे पर, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.

‘महिलाएँ, शान्ति व सुरक्षा एजेंडा में, क्रान्तिकारी दिशा परिवर्तन की दरकार’

महिलाएँ

लैंगिक समानता प्राप्ति के वैश्विक प्रयासों की अगुवाई कर रही यूएन एजेंसी – UN Women की मुखिया सीमा बहाउस ने, मंगलवार को सुरक्षा परिषद में आगाह करते हुए कहा है कि शान्तिनिर्माण में महिलाओं की भागेदारी के लिए नए लक्ष्य और प्रभावशील योजनाओं की तुरन्त ज़रूरत है, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए.

यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक सीमा बहाउस, महिलाएँ, शान्ति व सुरक्षा पर प्रस्ताव 1325 की महत्ता की फिर से पुष्टि के लिए बुलाई गई, सुरक्षा परिषद की बैठक में अपनी बात रख रही थीं. ये प्रस्ताव अक्टूबर 2000 में अपनाया गया था.

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सुरक्षा परिषद की इस बैठक में, तीन वर्ष पहले इस प्रस्ताव के 20 वर्ष पूरे होने के बाद से, इस क्षेत्र में हुई प्रगति का जायज़ा लेना भी, एक लक्ष्य था.

सीमा बहाउस ने कहा, “आज जबकि हम 20वीं और 25वीं वर्षगाँठों के दरम्यान ये बैठक कर रहे हैं, और वो भी अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, तो ये स्वभाविक है कि हमें दिशा में क्रान्तिकारी परिवर्तन की आवश्यकता है.”

कोई ख़ास परिवर्तन नहीं

सीमा बहाउस ने ध्यान दिलाया कि वैसे तो इस प्रस्ताव के पहले दो दशकों के दौरान, लैंगिक समानता के क्षेत्र में बहुत सी ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल की गई हैं, “हम शान्ति मेज़ों के गठन में कोई ख़ास बदलाव नहीं कर पाए हैं, और ना ही हम, महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ अत्याचारों को अंजाम देने वालों से दंड मुक्ति के मुद्दे पर कुछ ठोस हासिल कर पाए हैं.”

उन्होंने दुनिया भर से स्थितियों के उदाहरण पेश किए, जिनमें अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान द्वारा सत्ता पर फिर से नियंत्रण किए जाने के बाद से महिलाओं व लड़कियों पर दमन का मुद्दा शामिल है.

साथ ही, इथियोपिया के उत्तरी क्षेत्र टीगरे में यौन हिंसा के मामले, और म्याँमार में सैन्य शासन का विरोध करने वाली महिलाओं को निशाना बनाकर, ऑनलाइन उत्पीड़न के मुद्दे भी हैं.

उन्होंने बताया कि यूक्रेन में युद्ध से सुरक्षा की ख़ातिर भागने को मजबूर लगभग 80 लाख लोगों में, क़रीब 90 प्रतिशत संख्या महिलाओं व बच्चों की है.

सैन्य ख़र्च में बढ़ोत्तरी

महिला शान्तिनिर्माताओं ने उम्मीद की थी कि कोविड-19 महामारी, देशों को सैन्य ख़र्च पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य करेगी, जैसाकि वैश्विक संकट ने देखभाल कर्ताओं के मूल्य और स्वास्थ्य, शिक्षा, खाद्य सुरक्षा और सामाजिक संरक्षण क्षेत्रों में संसाधन निवेश करने की महत्ता को उजागर कर दिया है.

सीमा बहाउस ने कहा, “इसके बजाय, सैन्य ख़र्च में बढ़ोत्तरी जारी है, जोकि दो ट्रिलियन के स्तर से भी ज़्यादा हो गई है, इसमें हालाँकि पिछले कुछ महीनों के दौरान किए गए सैन्य ख़र्च को शामिल नहीं किया गया है.”

आगे का रास्ता

सीमा बहाउस ने ऐसे दो सुझाव पेश किए जिनमें ये दिखाया गया है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिए, दिशा परिवर्तन की रूपरेखा कैसी हो सकती है.

उन्होंने कहा कि पहली बात तो ये कि अगर हम हर मीटिंग और निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में महिलाओं की भागेदारी को अनिवार्य नहीं बनाएंगे और हमारे अधिकतर कार्यक्रमों में, अगर हमारा ध्यान केवल प्रशिक्षण, संवेदनशीलता, दिशा-निर्देश, क्षमता निर्माण, नैटवर्कों की स्थापना और एक के बाद एक कार्यक्रम आयोजित करते रहने पर ही ज़्यादा रहेगा, तो वर्ष 2025 भी कोई भिन्न नहीं होने वाला है.

उन्होंने दूसरा सुझाव संघर्ष प्रभावित देशों में, महिला समूहों के लिए संसाधन जुटाने पर केन्द्रित है, विशेष रूप में महिलाओं के शान्ति व मानवीय सहायता कोष के माध्यम से.

संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में ये साझेदारी 2015 में शुरू की गई थी और अभी तक इसके ज़रिए 900 से ज़्यादा संगठनों को समर्थन व सहायता मुहैया कराए गए हैं.

सीमा बहाउस ने कहा, “हमें इन देशों में सिविल सोसायटी और सामाजिक आन्दोलनों को समर्थन देने के लिए, तत्काल रूप में बेहतर रास्ते निकालने होंगे. इसका मतलब है कि नए समूहों के साथ सम्पर्क साधने और उन्हें धन मुहैया कराने की ठोस नीयत दिखानी होगी, विशेष रूप से युवा महिलाओं के साथ.”

मोज़ाम्बीक़ की विदेश मंत्री वैरोनिका नतानिएल मैकामो, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए. मार्च 2023 के लिए सुरक्षा परिषद का अध्यक्षता मोज़ाम्बीक़ है.
UN Photo/Manuel Elias

महिलाओं की भागेदारी – सफलता के समान

सुरक्षा परिषद की इस बैठक की अध्यक्षता मोज़ाम्बीक़ ने की, जो मार्च महीने के लिए सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष देश है.

मोज़ाम्बीक़ की विदेश मंत्री वैरोनिका नतानिएल मैकामो ने आशा व्यक्त की कि इस चर्चा से कार्रवाई का रास्ता निकलेगा, मसलन लैंगिक समानात पर ज़्यादा मज़बूत रणनीतियों के वजूद में आने के साथ-साथ, शान्तिरक्षा और शान्तिनिर्माण में, महिलाओं की प्रभावशाली भागेदारी के रूप में.

उन्होंने पुर्तगाली भाषा में अपने विचार रखते हुए कहा, “इसमें कोई सन्देह नहीं है कि हम अपने देशों में शान्तिनिर्माण और शान्तिरक्षा एजेंडा में महिलाओं को शामिल करके, सफलता हासिल करेंगे.”