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LDC5 सम्मेलन में युवजन: भावी पीढ़ियों की प्रगति के लिए असमानता को पाटने की पुकार

क़तर की राजधानी दोहा में मंगलवार को युवजन ने अपनी आवाज़ को बुलन्द किया.
UN News/Anold Kayanda & Basma Baghal
क़तर की राजधानी दोहा में मंगलवार को युवजन ने अपनी आवाज़ को बुलन्द किया.

LDC5 सम्मेलन में युवजन: भावी पीढ़ियों की प्रगति के लिए असमानता को पाटने की पुकार

आर्थिक विकास

क़तर की राजधानी दोहा में सबसे कम विकसित देशों पर यूएन के पाँचवें सम्मलेन के दौरान, मंगलवार को बड़ी संख्या में युवा प्रतिनिधि चर्चा के केन्द्र में रहे. इन देशों के साढ़े 22 करोड़ युवजन का प्रतिनिधित्व करने वाले इन युवाओं ने उन्हें और उनके समुदाय को प्रभावित करने वाले विकास मुद्दों को रेखांकित किया.

विश्व भर में, एक अरब 80 करोड़ युवाओं की आयु, 10 से 24 वर्ष के बीच में है, जोकि इतिहास में ऐसी सबसे बड़ी पीढ़ी है. इस आयु वर्ग में लगभग 90 प्रतिशत लोग विकासशील देशों में रहते हैं, जहाँ वे आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं.

मगर, जलवायु परिवर्तन के निरन्तर बढ़ते प्रभावों से लेकर, कोविड-19 महामारी के कारण उपजे वैश्विक स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक दुष्प्रभावों के कारण युवाओं को ऐसी चुनौतियों व मुद्दों से जूझना पड़ रहा है, जोकि अक्सर पुरानी पीढ़ी की वजह से पैदा हुए हैं.

इस पृष्ठभूमि में, अल्पतम विकसित देशों में युवजन का वर्तमान और भविष्य, आर्थिक और पर्यावरणीय झटकों की दृष्टि से सम्वेदनशील है और उनके लिए जोखिम मंडरा रहा है.

सबसे कम विकसित देशों के लिए यूएन का पाँचवा सम्मेलन, दोहा कार्रवाई कार्यक्रम में तय किए गए लक्ष्यों को पाने पर केन्द्रित है, जिसके केन्द्र में युवजन को रखा जाना होगा.

यह कार्यक्रम व्यापक स्तर पर प्रगति और टिकाऊ विकास के रास्ते में आने वाले ढांचागत अवरोधों को हटाने पर लक्षित है, जिसमें युवजन की आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाना होगा, और उन्हें प्रगति पथ पर आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनाना होगा.

सबसे कम विकसित देशों, भूमिबद्ध विकासशील देशों और लघु द्वीपीय विकासशील देशों (UN-OHRLLS) की उच्च प्रतिनिधि रबाब फ़ातिमा ने सचेत किया कि, “यदि युवजन को हमारे कामकाज में अर्थपूर्ण ढंग से सम्मिल्लित नहीं किया गया, तो दोहा कार्रवाई कार्यक्रम और 2030 एजेंडा में निर्धारित लक्ष्य पूरे नहीं हो पाएंगे.”

यूएन की उच्च प्रतिनिधि ने मंगलवार को एक अन्तर-पीढ़ीगत सम्वाद के दौरान यह बात कही, जिसके ज़रिये LDC देशों के युवाओं को सरकार व राष्ट्र प्रमुखों, निर्णय-निर्धारकों, वरिष्ठ यूएन अधिकारियों और वरिष्ठ कूटनीतिज्ञों के साथ एक मंच पर लाया गया था.

LDC5 सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहीं रबाब फ़ातिमा ने कहा, “हमें युवजन की आवाज़ को सुनना होगा और उन्हें निर्णय-निर्धारण प्रक्रिया व उसके बाद उठाए जाने वाले क़दमों में शामिल करना होगा, चूँकि वे उसके नतीजों से सर्वाधिक प्रभावित होने वालों में हैं.”

इंटरएक्टिव चर्चा के दौरान, युवजन ने अपने विचारों, प्रयासों, सर्वोत्तम तौर-तरीक़ों को साझा किया और दोहा कार्रवाई योजना को लागू किए जाने में पेश आने वाली चुनौतियों की शिनाख़्त की.

यूएन सदस्य देश और अन्य हितधारकों ने राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर कारगर कार्रवाई को लागू करने की प्रक्रिया में युवजन को शामिल किए जाने पर प्रतिबद्धता व्यक्त की.

युवजन की आवाज़

अनेक LDC देशों से युवा, वित्तीय साधनों के अभाव या फिर यात्रा पाबन्दियों के कारण दोहा तक की यात्रा कर पाने में असमर्थ थे, जिसके मद्देनज़र, अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने उनकी ओर से बात रखी.

यूएन न्यूज़ ने दोहा सम्मेलन में शामिल होने वाले अनेक प्रेरणादायी युवजन से बात की. तन्ज़ानिया के युवा प्रतिनिधि हम्फ़्री म्रेमा ने बताया कि वे बड़ी दूर से आए हैं, जहाँ युवाओं को अक्सर अन्त में बुलाया जाता है, जब निर्णय को अन्तिम रूप दिया जा चुका होता है.

“मगर, अब जो हम चाहते हैं, और आशा करते हैं वो यह कि हम आरम्भ से ही शामिल होना चाहते हैं, जब योजनाएँ तैयार की जा रही हों, और शामिल व उपस्थित होना चाहते हैं जब निर्णय लिए जाएं.”

भूटान के युवा प्रतिनिधि सान्गे लोडे ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें अक्सर महसूस होता है कि युवाओं और सरकार के बीच में दूरी है.

“लेकिन, एक तरह से हम अलग-अलग होने के बजाय, एक साथ मिलकर काम भी कर रहे हैं. हमें एक दूसरे को शत्रु के रूप में नहीं देखते हैं, हम एख दूसरे को परामर्शदाता व साझेदार के रूप में देखते हैं. और इसलिए हमारे लिए अलग होने के बजाय एक साथ मिलकर काम करना सम्भव हो जाता है.”

STEM विषयों पर बल

नेपाल की इरीना स्थापित, LDC5 सम्मेलन में विज्ञान, टैक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित विषयों में महिलाओं की प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुईं.

उन्होंने कहा कि STEM विषयों में महिलाएँ और विविधता आवश्यक हैं और पूर्वाग्रहों को ख़त्म किया जाना होगा. इरीना का मानना है कि विज्ञान और टैक्नॉलॉजी पर निर्णय निर्धारण में महिलाओं को बातचीत की मेज़ पर जगह मिलनी चाहिए.

अफ़ग़ानिस्तान की फ़्लोरेंस पोउया ने यूएन न्यूज़ को बताया कि उनके देश में महिलाओं को बुनियादी अधिकार, शिक्षा, से वंचित किया गया है.

“मगर, हम उन्हें प्रेरित करने और यह दर्शाने का प्रयास करते हैं कि उन्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और उन्हें साहसी व मज़बूत बनना चाहिए.”

युवजन के आर्थिक समावेशन को बढ़ावा

मंगलवार को युवाओं के आर्थिक समावेशन और उद्यमशीलता कौशल को बढ़ावा देने के लिए भी एक सत्र आयोजित किया गया, जिसमें युवजन को प्रोत्साहित करने और सशक्त बनाने के रास्तों पर चर्चा हुई.

यूएन औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) में कृषि अर्थशास्त्र के लिए निदेशक ड्जेन तेज़ेरा ने विकास प्रक्रिया में युवजन के विचारों को शामिल किए जाने की अहमियत को रेखांकित किया.

“यह कोई विकल्प नहीं है बल्कि एक आवश्यकता है.” उन्होंने ध्यान दिलाया कि विश्व की आधी आबादी की आयु, 30 वर्ष से कम है और इनमें से अधिकाँश आबादी विकासशील देशों में रहती है.

इसलिए उनकी आवाज़ों, अनुभवों व विचारों से विचार प्रक्रियाओं को सूचित किया जाना होगा, विशेष रूप से शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और रोज़गार सम्बन्धी विषयों पर.