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डिजिटल साक्षरता के ज़रिए, ऑनलाइन लिंग आधारित हिंसा का मुक़ाबला

तुर्कीये की दिलानाज़ गुलेर, 19 वर्षीय लैंगिक समानता और हिंसा विरोधी कार्यकर्ता हैं व यूथ फ़ॉर डिजिटल लिटरेसी की संस्थापक हैं.
Courtesy of Dilanaz Güler
तुर्कीये की दिलानाज़ गुलेर, 19 वर्षीय लैंगिक समानता और हिंसा विरोधी कार्यकर्ता हैं व यूथ फ़ॉर डिजिटल लिटरेसी की संस्थापक हैं.

डिजिटल साक्षरता के ज़रिए, ऑनलाइन लिंग आधारित हिंसा का मुक़ाबला

महिलाएँ

तुर्कीये की एक किशोर लैंगिक समानता कार्यकर्ता, नारीवाद और ऑनलाइन लिंग आधारित हिंसा से निपटने के लिए, डिजिटल साक्षरता और मीडिया पर मौजूद जानकारी का सोच-समझकर उपभोग करने के लिए प्रेरित करने हेतु काम कर रहीं हैं.

19 वर्षीय लैंगिक समानता कार्यकर्ता तुर्कीये की दिलानाज़ गुलेर, युवाओं और किशोरों के नेतृत्व वाली सामूहिक डिजिटल साक्षरता संस्था, Youth for Digital Literacy की संस्थापक है.

उनका मानना ​​है कि इंटरनैट से युवाओं का अनूठा सम्बन्ध है - और वो जीवन भर विशुद्ध ऑनलाइन जानकारी तक पहुँच होने के कारण, इससे कई पेचीदा समस्याएँ सुलझा जा सकती हैं.

कूप-मंडूकता की स्थिति

चाहे पुरुष अपने सन्देशों से महिलाओं को परेशान कर रहे हों या उनकी तस्वीरों पर अभद्र टिप्पणियाँ प्रकाशित कर रहे हों - हममें से ज़्यादातर लोगों को इस बात का पहले से अन्दाज़ा होता है कि ऑनलाइन-लिंग आधारित हिंसा का स्वरूप कैसा होता है. वो बताती हैं कि यह असंख्य रूपों में सामने आ सकती है,  और "ज़रूरी नहीं है कि वो रूप अत्यधिक आक्रामक या वास्तविक धमकी भरे हों."

वास्तव में, आसानी से पहचाने जाने वाले रूप कम ही होते हैं. और यद्यपि उनके कम स्पष्ट रूप, समान रूप से हानिकारक हो सकते हैं, कई बार वे मौजूदा क़ानूनी ढाँचे के अन्तर्गत नहीं आते.

दिलानाज़, नक़ली पोर्नोग्राफ़ी के बढ़ते चलन की ओर इशारा करती हैं, जिससे निपटने के लिए वर्तमान में कोई क़ानूनी रास्ता नहीं है. वह कहती हैं कि इस मुद्दे का कोई प्रभावी हल निकालने के लिए,  "ऑनलाइन लिंग आधारित हिंसा के मायने वर्णित करना बहुत महत्वपूर्ण है."

ऑनलाइन हिंसा और महिलाओं के प्रति द्वेष का प्रसार, कोविड-19 के दौरान इंटरनैट कट्टरता के बड़े चलन के ख़ाँचे में एकदम फिट बैठता है. बहुत से लोगों को अपने घरों में अकेले रहने के लिए मजबूर होने पर, ऑनलाइन समुदायों से सम्पर्क करके राहत मिली, जो शुरू में हानिरहित प्रतीत हो रहे थे.

दिलानाज़ ने ज़ोर देकर कहा, "ऐसा नहीं है कि लोग लॉग-ऑन करते ही यह तय कर लेते हैं कि वे स्त्री-द्वेष फैलाएंगे." लेकिन अन्य बाहरी प्रभावों के अभाव में, चरमपंथी विचारधारा की पहचान धूमिल होती जाती है.

जो चीज इंटरनैट कूप-मंडूकता को इतना प्रभावी बनाती है, वह है तथ्यों और झूठ का मिश्रण, जो उनके अन्तर्निहित एजेंडे पर पर्दा डाल देता है.

दिलानाज़ कहती हैं, "इन सभी तर्कों को एक-एक करके खंडित करना बहुत मुश्किल होता है."

नारी द्वेष से भरे हुए और अति दक्षिणपंथी विचारों से ग्रसित लोगों को इस प्रकार प्रसिद्धि के लिए प्रेरित किया जाता है, और अक्सर उनका अनुसरण ऐसे लोग करते हैं, जो भले ही पहले उनके विचारों से सहमत नहीं होते थे, लेकिन समय के साथ, इन प्रभावितों की लोकप्रियता के कारण उन्हें भी यह व्यवहार सामान्य लगने लगता है और इससे इस तरह की मान्यताओं को मुख्यधारा में धकेलने में मदद मिलती है.

क्रान्तिकारी परिवर्तन

दिलानाज़ कहती हैं, "ऑनलाइन क्षेत्र के बहुत सारे संघर्ष वास्तव में बहुत सरल क़दमों से हल हो सकते हैं."

एक महत्वपूर्ण प्रारम्भिक बिन्दु है, तथ्यों की जाँच. डिजिटल साक्षरता और महत्वपूर्ण उपभोग पर उनका विचार है कि यदि आप प्रभावी ढंग से यह पता लगा सकते हैं कि क्या सच है और क्या नहीं, तो आसानी से प्रतिक्रियावादी बयानबाज़ी का शिकार नहीं होंगे.

दिलानाज़ "रैडिकल लव पॉलिटिक्स" की भी हिमायत करती हैं. वो कहती हैं कि जब आप ऑनलाइन होते हैं तो, "उन समुदायों को खोजें जो प्रेम और संचार के लिए बने हैं, न कि किसी के विरोध के लिए."

इसके अलावा, साझा सकारात्मक दृष्टिकोण वाले व्यक्तियों का नैटवर्क बनाना, प्रतिक्रियावादी मान्यताओं से बचने का एक अन्य तरीक़ा है, जो न केवल महिला विरोधी बल्कि कुछ नारीवादी कार्यकर्ताओं के बीच भी तेज़ी से लोकप्रिय हो रहा है.

दिलानाज़ का अपना दृष्टिकोण स्पष्ट है. वह कहती हैं, "मैं जो काम करती हूँ उसका कारण है मेरा पूर्ण विश्वास कि तकनीक से दुनिया बेहतर बन सकती है."

विशेष रूप से संकटों के मद्देनज़र- जैसेकि हाल के भूकम्पों ने तुर्कीये और सीरिया के बड़े हिस्से को तबाह कर दिया है- लोगों को जोड़ने की इसकी शक्ति, बदलाव लाने के साथ-साथ ज़िन्दगियाँ बचाने में भी सहायक हो सकती है.

दिलानाज़ ज़ोर देकर कहती हैं कि "प्रौद्योगिकी बहुत सारे संगठनों, बहुत सारे लोगों, बहुत सारी संस्कृतियों के बीच एक सेतु स्थापित करती है", जोकि ‘ग्लोबल डिजिटल धन एकत्रण’ और ‘रीयल-टाइम अपडेट' से लेकर हिंसा से बचे लोगों के लिए ऑनलाइन रिपोर्टिंग तंत्र तक व्यापक है.

नैटवर्क कनैक्शन

दिलानाज़ कहती हैं, " मुझे लगता है कि जब आप अपनी सक्रियता शुरू कर रहे होते हैं, तो अपने साथियों की तुलना में अपने आसपास के वातावरण के बारे में अधिक जागरूक होने से आप अलग-थलग पड़ जाते हैं. तो मेरी सलाह हमेशा ऐसे नैटवर्क खोजने की होती है, जो आपकी सहायता कर सकें और जो आपको उन तरीक़ों से संवाद करने की अनुमति दें, जो केवल दीवार पर सर मारने जैसा न हो."

और यहीं पर इंटरनैट मदद कर सकता है. बस लॉग-ऑन करके, “आप उन लोगों के साथ जुड़ सकते हैं जो आपके मक़सद से जुड़ना चाहते हैं. यह इंटरनैट का एक बहुत ही बुनियादी आधार है. लेकिन मुझे लगता है कि सक्रियता से जुड़ी कार्रवाई के लिए भी यह बेहद महत्वपूर्ण है.

‘समानता पीढ़ी’ पहल

दिलानाज़ गुलेर, संयुक्त राष्ट्र महिला संस्थान (यूएनवीमेन) द्वारा गठित समूह 'पीढ़ी समानता' (Generation Equality) की किशोर नेत्री भी हैं, जो यह सुनिश्चित करने की कोशिश लिए गठित किया गया है कि लड़कियों और युवा महिलाओं की आवाज़, सांसद एवं अन्य प्रमुख निर्णयकर्ता सुनें.

'पीढ़ी समानता’ पहल के अन्तर्गत यह स्वीकार किया गया है कि प्रौद्योगिकी व डिजिटल प्रयोग में बढ़ोत्तरी, प्रगति के शक्तिशाली चालक हो सकते हैं और लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने में मदद कर सकते हैं.

लेकिन वे विशेष रूप से हाशिए पर धकेली गई उन महिलाओं और लड़कियों के लिए महत्वपूर्ण जोखिम और चुनौतियाँ भी पेश करते हैं, जो डिजिटल प्रक्रिया का लाभ उठाने में असमर्थ हैं.

इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, 'पीढ़ी समानता' समूह अपने कार्रवाई गठबन्धनों के ज़रिए यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है कि प्रौद्योगिकी और डिजिटल प्रक्रिया को इस तरह डिज़ाइन व उपयोग किया जाए, जिससे सभी महिलाओं एवं लड़कियों का समावेशन व सशक्तिकरण हो.