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सामाजिक संरक्षा से बाहर बच्चों की संख्या में चिन्ताजनक वृद्धि

यूनीसेफ़, भारत के गुजरात राज्य में सम्वेदनशील हालात में रह रहे बच्चों को समर्थन प्रदान कर रहा है.
© UNICEF/Vinay Panjwani
यूनीसेफ़, भारत के गुजरात राज्य में सम्वेदनशील हालात में रह रहे बच्चों को समर्थन प्रदान कर रहा है.

सामाजिक संरक्षा से बाहर बच्चों की संख्या में चिन्ताजनक वृद्धि

एसडीजी

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की एक साझा रिपोर्ट दर्शाती है कि सामाजिक संरक्षा के अभाव में जीवन गुज़ार रहे बच्चों की संख्या, साल-दर-साल बढ़ती जा रही है, जिससे उनके समक्ष निर्धनता, भूख और भेदभाव का जोखिम मंडरा रहा है.

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि वर्ष 2016 से 2020 के दौरान शून्य से 15 वर्ष आयु वर्ग में पाँच करोड़ अतिरिक्त बच्चे, अति-महत्वपूर्ण बाल कल्याण लाभ समेत अन्य सामाजिक संरक्षा प्रावधानों के दायरे से बाहर छूट गए. ये प्रावधान अक्सर नक़दी या कर में छूट के ज़रिए प्रदान किए जाते हैं.

इससे, 15 वर्ष से कम आयु वर्ग में सामाजिक संरक्षा के दायरे से बाहर रह रहे बच्चों की संख्या बढ़कर एक अरब 46 करोड़ हो गई है.

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यूएन एजेंसियों ने More than a billion reasons: The urgent need to build universal social protection for children नामक यह रिपोर्ट बुधवार को प्रकाशित की है.

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन में सामाजिक संरक्षा विभाग में निदेशक शाहरा रज़ावी ने बताया कि बच्चों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षा में पर्याप्त निवेश के लिए प्रयासों को मज़बूत किए जाने की आवश्यकता होगी.

ये सार्वभौमिक बाल कल्याण लाभ के ज़रिए परिवारों को प्रदान किए जा सकते हैं, जिससे टिकाऊ विकास और सामाजिक न्याय का मार्ग प्रशस्त होगा.

रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों और उनके परिवारों के लिए बाल कल्याण की कवरेज 2016-2020 की अवधि में, विश्व के हर क्षेत्र में या तो घटी है या फिर वह जस की तस है.

इन परिस्थितियों में कोई भी देश वर्ष 2030 तक ठोस सामाजिक संरक्षा कवरेज हासिल करने के टिकाऊ विकास लक्ष्य की प्राप्ति की ओर अग्रसर नहीं है.

क्षेत्रानुसार स्थिति

उदाहरण के तौर पर, लातिन अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र में सामाजिक संरक्षा कवरेज, 51 प्रतिशत से घटकर 42 प्रतिशत रह गई है.

मध्य एशिया व दक्षिणी एशिया, पूर्वी एशिया और दक्षिण-पूर्वी एशिया, सब-सहारा अफ़्रीका, पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ़्रीका में कवरेज की दर, 2016 के बाद से क्रमश 21 फ़ीसदी, 14 फ़ीसदी, 11 फ़ीसदी और 28 फ़ीसदी ही है.

विश्व भर में, वयस्कों की तुलना में बच्चों के अत्यधिक निर्धनता में रहने की सम्भावना दोगुनी होती है. विश्व भर में 35 करोड़ से अधिक बच्चे प्रति दिन 1.90 डॉलर से कम पर गुज़र-बसर कर रहे हैं.

एक अरब बच्चे बहुआयामी निर्धनता का शिकार हैं, यानि उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं, आवास, पोषण, साफ़-सफ़ाई व जल सेवाओं तक पहुँच नहीं है.

रिपोर्ट बताती है कि कोविड-19 महामारी के दौरान बहुआयामी निर्धनता से पीड़ित बच्चों की संख्या में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे बाल निर्धनता पर पार पाने के प्रयासों को गहरा झटका लगा है.

महामारी के दौरान सामाजिक संरक्षा

कोविड-19 संकट के दौरान हालात ने ज़रूरतमन्दों के लिए सामाजिक संरक्षा कवरेज मुहैया कराए जाने की अहमियत को रेखांकित किया.

विश्व भर में, लगभग हर सरकार ने तेज़ी से या तो अपनी मौजूदा योजनाओं में आवश्यकता अनुरूप बदलाव किए या फिर बच्चों और परिवारों को लाभ पहुँचाने के लिए नए सामाजिक संरक्षा कार्यक्रम शुरू किए गए.

पूर्वोत्तर सीरिया के हसाकाह शह में एक जल सुविधा केन्द्र के पास एक लड़की.
© UNICEF/Delil Souleiman

लेकिन रिपोर्ट बताती है कि इनमें से अधिकांश, भविष्य में पेश आने वाले झटकों से निपटने के लिए ज़रूरी व्यापक सुधारों की कटौसी पर खरे नहीं उतरते हैं.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) में सामाजिक नीति और सामाजिक संरक्षा मामलों की निदेशक नतालिया विंडर-रॉस्सी ने ज़ोर देकर कहा कि निर्धनता में जीवन जी रहे बच्चों की रक्षा करने और उनमें सहनसक्षमता निर्माण के लिए सामाजिक संरक्षा व्यवस्था में बदलाव की दरकार है.

महत्वपूर्ण सुझाव

रिपोर्ट में सभी देशों से बाल कल्याण और ज़रूरतमन्द बच्चों तक सहायता पहुँचाने के लिए निर्णायक क़दम उठाए जाने की पुकार लगाई गई है. इसके तहत:

- बच्चों को लाभ पहुँचाने वाली, किफ़ायती व साबित हो चुकी योजनाओं में निवेश किया जाना होगा

- राष्ट्रीय सामाजिक संरक्षा प्रणालियों के ज़रिये व्यापक स्तर पर बाल कल्याण लाभ प्रदान किए जाने होंगे, जिसके तहत परिवारों को अहम स्वास्थ्य व सामाजिक सेवाओं से जोड़ा जाएगा

- सामाजिक संरक्षा प्रणालियों को अधिकार-आधारित, लैंगिक ज़रूरतों के अनुरूप, समावेशी और विषमताओं को दूर करने के लिए महिलाओं, लड़कियों, प्रवासी बच्चों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाना होगा

- सामाजिक संरक्षा व्यवस्था के लिए सतत वित्तीय संसाधन की तलाश की जानी होगी, जिसके लिए घरेलू संसाधनों की लामबन्दी और बजट आवंटन महत्वपूर्ण होगा