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WHO: 43 देशों में हैज़ा फैलाव से, एक अरब लोगों के लिए जोखिम

हेती में एक बच्चे को, हैज़ा की रोकथाम करने वाली वैक्सीन की ख़ुराक पिलाए जाते हुए.
© PAHO-WHO
हेती में एक बच्चे को, हैज़ा की रोकथाम करने वाली वैक्सीन की ख़ुराक पिलाए जाते हुए.

WHO: 43 देशों में हैज़ा फैलाव से, एक अरब लोगों के लिए जोखिम

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि हैज़ा फैलाव के मामलों में वैश्विक बढ़त ने,43 देशों में एक अरब लोगों के लिए जोखिम खड़ा कर दिया है.

WHO की हैज़ा टीम के प्रमुख फ़िलिपे बारबोज़ा ने शुक्रवार को जिनीवा में एक प्रैस वार्ता में बताया कि केवल बीते सप्ताह ही, तीन देशों में हैज़ा का संक्रमण फेलने के मामले दर्ज किए गए हैं.

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उन्होंने कहा कि WHO ने हैज़ा फैलाव का मुक़ाबला करने के लिए, दानदाताओं से वित्तीय सहायता की अपाल की है.

इस समय दुनिया भर में 22 देश, हैज़ा के फैलाव का मुक़ाबला कर रहे हैं. ध्यान रहे कि हैज़ा एक ऐसी बीमारी है जो दूषित पानी या भोजन के सेवन से होती है.

उन्होंने कहा कि अनेक वर्षों तक हैज़ा के मामले कम होने के बाद, वर्ष 2022 में इसके मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है, और ये रुझान इस वर्ष जारी रहने की सम्भावना है.

फ़िलिपे बारबोज़ा ने कहा कि WHO की मौजूदगी वाले छह में से पाँच क्षेत्रों में, हैज़ा के मामले दर्ज किए गए हैं.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के, फ़रवरी में प्रकाशित नवीनतम वैश्विक परिदृष्य के अनुसार साल 2022 के बाद से स्थिति और ज़्यादा ख़राब हुई है.

फ़िलिपे बारबोज़ा ने कहा कि निर्धनता, आपदाएँ, संघर्ष और जलवायु परिवर्तन के परिणाम, हैज़ा फैलाव के लिए प्रमुख कारक हैं, साथ ही सुरक्षित पानी और स्वच्छता तक पहुँच की कमी भी ज़िम्मेदार हैं.

सीमित वैक्सीन उपलब्धता

उन्होंने कहा कि इस अभूतपूर्व स्थिति के लिए अभूतपूर्व स्तर की कार्रवाई की आवश्यकता है. उन्होंने इस सम्बन्ध में वैक्सीन, दवाइयों और परीक्षण किटों की सीमित उपलब्धता की तरफ़ भी ध्यान आकर्षित किया.

उनके अनुसार, हैज़ा की रोकथाम वाली वैक्सीन की, वर्ष 2023 में केवल तीन करोड़ 70 लाख ख़ुराकें उपलब्ध हो सकी हैं. अगले वर्ष और ज़्यादा ख़ुराकें उपलब्ध होने की सम्भावना है.

फ़िलिपे बारबोज़ा ने कहा कि हैज़ा फैलाव के मामलों मे वैश्विक वृद्धि के परिणामस्वरूप विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने, अभूतपूर्व रूप से पहली बार, दानदाताओं से लगभग ढाई करोड़ डॉलर की सहायता की अपील की है, जिसकी मदद से, हैज़ा फैलाव का मुक़ाबला किया जा सके और लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाई जा सकें.

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उन्होंने कहा कि रोकथाम कुंजी है. साथ ही ध्यान भी दिलाया कि लगभग आधी दुनिया के पास सुरक्षित रूप से प्रबन्धित स्वच्छता उपलब्ध नहीं है.

उनके अनुसार, “सुरक्षित पेय जल और स्वच्छता, अन्तरराष्ट्रीय रूप से मान्य मानवाधिकार हैं. इन अधिकारों पर अमल करने से, हैज़ा का भी अन्त होगा.”

वैश्विक ख़तरा

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा है कि हैज़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक वैश्विक ख़तरा बना हुआ है.

वर्ष 2017 में, प्रभावित देशों, दानदाताओं और हैज़ा नियंत्रण पर वैश्विक कार्य बल से साझीदारों ने, एक संशोधित वैश्विक हैज़ा नियंत्रण रणनीति शुरू की थी जिसका नाम है - Ending Cholera: A Global Roadmap to 2030.

इसका उद्देश्य अगले दशक के दौरान, हैज़ा से होने वाली मौतों में 90 प्रतिशत की कमी लाना है.

वैसे तो हैज़ा मामलों की संख्या में कमी हो रही है, मगर यूएन स्वास्थ्य एजेंसी को, मौजूद बढ़त्तरी पर ख़ास चिन्ता है.

शोधकर्ताओं का अनुमान है कि हैज़ा संक्रमण के हर साल 13 लाख से 40 लाख के बीच मामले होते हैं, और दुनिया भर में इसके संक्रमण से, 21 हज़ार से एक लाख 43 हज़ार के बीच मौतें होती हैं.