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यूएन प्रवासन एजेंसी के जोहानेस फ़्रामहॉल्ट कुरकहोव के लिए राहत सामग्री उतार रहे हैं.

आपबीती: यूक्रेन के वो शहर, जो बस अब स्मृति में शेष हैं

© Johannes Fromholt
यूएन प्रवासन एजेंसी के जोहानेस फ़्रामहॉल्ट कुरकहोव के लिए राहत सामग्री उतार रहे हैं.

आपबीती: यूक्रेन के वो शहर, जो बस अब स्मृति में शेष हैं

मानवीय सहायता

यूक्रेन में युद्ध शुरू हुए लगभग एक वर्ष बीत चुका है, और कुछ समुदायों ने इस अवधि में अपने शहरों, घरों और सामान्य जीवन को पूरी तरह ध्वस्त होते देखा है. अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) में कार्यरत मानवीय राहतकर्मी जोहानेस फ़्रामहॉल्ट ने यूएन न्यूज़ के साथ अपने ऐसे ही कुछ अनुभव साझा किए हैं.

जोहानेस फ़्रामहॉल्ट फ़िलहाल दोनेत्स्क ओब्लास्ट में अग्रिम मोर्चे के नज़दीक हैं और उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र किस प्रकार से समर्थन प्रदान कर रहा है.

“मैं फ़िलहाल कुरकहोव में हूँ, जोकि अग्रिम मोर्चे के नज़दीक है. हम भीषण लड़ाई देखते हैं, जोकि पिछले सप्ताह और अधिक गहन हुई है.

“हम यहाँ यूएन के अन्तर-एजेंसी मानवीय राहत क़ाफ़िले के हिस्से के तौर पर आए थे, ताकि समुदायों को मानवीय सहायता प्रदान किया जा सके.

निसन्देह, यहाँ भारी तबाही हुई है; इस क्षेत्र में कुछ नगर 80 से 90 प्रतिशत तक बर्बाद हो गए हैं, कुछ शहरों में और अधिक तबाही हुई है.

इसलिए, वास्तव में, आप कह सकते हैं कि वे अब अस्तित्व में ही नहीं हैं.

यहाँ तक कि कुरकहोव के रास्ते में, पास के एक शहर में मिसाइल हमला हुआ, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई और 12 घायल हो गए.

यह अहम है कि हम जहाँ तक सम्भव हो सके, अग्रिम मोर्चे की जगहों पर मानवीय राहत समर्थन प्रदान करना जारी रखें.

मैं कुरकहोव में जहाँ हूँ, वहाँ लगभग 12 हज़ार ज़रूरतमन्द लोग मौजूद हैं. यह 12 में से पहला मानवीय राहत क़ाफ़िला है, जोकि अगले पाँच दिनों में अग्रिम मोर्चे के नज़दीकी इलाक़ों तक जाएगा.

यूक्रेन के बोरोडियान्का में एक रिहायशी इमारत मिसाइल में क्षतिग्रस्त हुई है.
© UNICEF/Aleksey Filippov

देश भर में क़रीब एक करोड़ 80 लाख लोगों, यानि यूक्रेनी आबादी के 40 फ़ीसदी हिस्से को, मानवीय सहायता की आवश्यकता है.

इनमें यूक्रेन के पश्चिमी, मध्य और उत्तरी हिस्से में रहने वाले लोग भी हैं, मगर मुख्यत: दक्षिणी और पूर्वी इलाक़ों में बड़ी संख्या में ज़रूरतमन्द हैं.

देश में 53 लाख लोग देश के भीतर ही विस्थापित हुए हैं, और हम जानते हैं कि लगभग 80 लाख लोगों ने पड़ोसी देशों में शरण ली है.

हल्की सर्दी

भाग्यवश, यह यूक्रेनी मानकों की तुलना में अपेक्षाकृत हल्की सर्दी का मौसम साबित हुआ है, लेकिन लोगों को फिर भी सर्दी से बचने के लिए गर्माहट की आवश्यकता है.

उन्हें बुनियादी मानवीय सहायता जैसेकि भोजन, स्वच्छता सामग्री, सर्दी के मौसम के लिए कपड़े, सौर लैम्प समेत अन्य सामान प्रदान किए गए हैं, चूँकि रोज़मर्रा बमबारी की चपेट में आने वाले इलाक़ों में लोगों को बंकर में दिन गुज़ारने पड़ रहे हैं.

इन बंकरों और भूमिगत स्थलों पर अत्यधिक सर्दी है, चूँकि लड़ाई के अग्रिम मोर्चे वाले इलाक़ों में बिजली आपूर्ति ठप है.

जब से रूस ने बुनियादी ढाँचे को निशाना बनाना और उसे क्षति पहुँचाना शुरू किया है, उसके बाद से पिछले दो-तीन महीनों में जैनरेटर, जल पम्प और जल प्रणालियों की मांग में भारी उछाल आया है.

रूस के नियंत्रण वाले इलाक़ों में, अग्रिम मोर्चे के दूसरी ओर, बड़ी संख्या में लोगों को मानवीय राहत की आवश्यकता है.

संयुक्त राष्ट्र फ़िलहाल इन इलाक़ों तक पहुँचने में सफल नहीं हो पाया है.

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन युद्ध प्रभावित समुदायों और पीछे रुके लोगों को समर्थन मुहैया करा रहा है. लेकिन हम उन इलाक़ों में भी घरेलू विस्थापितों को समर्थन प्रदान कर रहे हैं, जोकि अग्रिम मोर्चे से दूर हैं.

यूक्रेन के विभिन्न इलाक़ों में मानवीय जल व चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति.
© UNOCHA

अब तक, हमने में 102 सामूहिक केन्द्रों को समर्थन प्रदान किया है और इन केन्द्रों पर परिस्थितियों को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की राहत सुनिश्चित की है.

हमने क्षतिग्रस्त अपार्टमेंट या घरों में रह रहे लोगों को आपात शरण किटें प्रदान की हैं, और हम 70 हज़ार से अधिक लोगों के लिए नक़दी वितरित कर रहे हैं, जोकि लड़ाई के अग्रिम मोर्चे के बहुत पास हैं.

मनोसामाजिक समर्थन

एक अन्य चिन्ता, मानसिक स्वास्थ्य सेवा व मनोसामाजिक समर्थन प्रदान करना है, विशेष रूप से अग्रिम मोर्चे पर रह रहे लोगों के लिए. मगर, उन लोगों के लिए भी जोकि युद्ध शुरू होने के बाद से ही एक स्थान से दूसरे स्थान जा रहे हैं.

लोग सहनसक्षम हैं और स्वयं को ढालने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कुछ समय बाद, निश्चित रूप से उन्हें अपनी भावनाओं व मनोभावों के बारे में बात करने के लिए समर्थन की आवश्यकता होगी.   

और इनमें, केवल देश के भीतर विस्थापित हुए लोग नहीं है बल्कि युद्ध में हिस्सा लेकर वापिस लौटने वाले सैन्यकर्मी और परिवार भी हैं.

युद्ध आरम्भ होने के एक साल बाद, इस युद्ध पर जल्द से जल्द विराम लगाना महत्वपूर्ण है.”