यूनीसेफ़: यूक्रेन युद्ध के कारण, पचास लाख से अधिक बच्चों की शिक्षा बाधित
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) ने मंगलवार को कहा है कि यूक्रेन में 11 महीने के युद्ध के कारण, 50 लाख से अधिक लड़कों और लड़कियों की शिक्षा बाधित हुई है. यूएन एजेंसी ने बच्चों के लिये सीखने के अवसर जारी रखने के लिये, अन्तरारष्ट्रीय समुदाय से अधिक समर्थन की अपील की है.
कोविड-19 महामारी के कारण दो साल शिक्षा की हानि और आठ साल से चल रहा युद्ध – ऐसे में देश के पूर्वी हिस्से में इस अतिरिक्त संघर्ष से बच्चों पर पहले से पड़ रहे असर में और वृद्धि हो गई है.
प्रतिवर्ष 24 जनवरी को मनाए जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर, यूनीसेफ़ ने ये अपील जारी की.
'रोकने का कोई बटन' नहीं
योरोप और मध्य एशिया के लिए एजेंसी के क्षेत्रीय निदेशक, अफ़शाँ खान ने कहा कि विद्यालय से बच्चों में संरचना और सुरक्षा की महत्वपूर्ण समझ विकसित होती है. उन्होंने चेतावनी दी कि सीखने के अवसर गँवाने के परिणाम आजीवन भुगतने पड़ सकते हैं.
उन्होंने कहा, "इस पर लगाम लगाने का कोई बटन नहीं है. पूरी पीढ़ी के भविष्य को जोखिम में डाले बिना, ऐसा कोई विकल्प नहीं है कि बच्चों की शिक्षा को टालते रहें और अन्य प्राथमिकताओं पर ध्यान देने के बाद उस पर वापस लौंटे.”
हमलों से शिक्षा पर प्रभाव
युद्ध में विस्फोटक हथियारों के इस्तेमाल के कारण, यूक्रेन में आबादी वाले क्षेत्रों समेत, हज़ारों स्कूल, प्री-स्कूल और अन्य शिक्षा सुविधाएँ क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गई हैं.
वहीं, बहुत से माता-पिता और देखभाल कर्मी, अपनी सुरक्षा के डर से, बच्चों को स्कूल भेजने से हिचक रहे हैं.
यूनीसेफ़, बच्चों की शिक्षा में वापसी में मदद करने के लिए, सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है - चाहे यह शिक्षा दोबारा सुरक्षित होने पर कक्षाओं में हो, ऑनलाइन या समुदाय-आधारित विकल्पों के माध्यम से.
हालाँकि लगभग 20 लाख बच्चे ऑनलाइन माध्यमों से शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, और 13 लाख बच्चों ने व्यक्तिगत या ऑनलाइन शिक्षा के संयोजन में नामांकन किया था, लेकिन हाल ही में बिजली व अन्य बुनियादी ऊर्जा ढाँचों पर हुए हमलों से ब्लैकआउट होने के कारण शिक्षा भी प्रभावित हुई.
नतीजतन, यूक्रेन में लगभग हर बच्चे को निर्बाध बिजली आपूर्ति का अभाव है, जिसका अर्थ है कि वर्चुअल कक्षाओं में भाग लेना भी एक निरन्तर चुनौती बन गई है.
बाल शरणार्थियों की चिन्ता
देश छोड़कर भागे बच्चों की स्थिति भी चिन्ताजनक है. यूनीसेफ़ के अनुसार वर्तमान में अनुमानत: तीन यूक्रेनी शरणार्थी बच्चों में से एक का, मेज़बान देश की शिक्षा प्रणाली में दाख़िला नहीं हुआ है.
शिक्षा क्षमताओं पर बोझ को इसका बड़ा कारक माना जा सकता है, वहीं बहुत से शरणार्थी परिवारों ने, जल्दी घर लौटने की उम्मीद पर, स्थानीय स्कूलों में भाग लेने के बजाय ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प चुना है.
अफ़शाँ ख़ान ने कहा, "यूनीसेफ़, यूक्रेन सरकार और मेज़बान देशों की सरकारों के साथ काम करना जारी रखेगा ताकि संघर्ष वाले क्षेत्रों में बच्चों व विस्थापितों की मदद के लिये समाधान तलाश किए जा सकें. "
यूक्रेन के भीतर व बाहर से समर्थन
यूनीसेफ़, यूक्रेन में शिक्षा सुविधाओं और अन्य नागरिक बुनियादी ढाँचे पर हमलों को समाप्त करने तथा ऑफ़लाइन शिक्षण सामग्री व आपूर्ति तक बच्चों की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए, समर्थन बढ़ाने का आहवान कर रहा है. इससे छात्र अपनी शिक्षा जारी रख सकेंगे और अपने साथियों एवं शिक्षकों से जुड़े रहेंगे.
यूक्रेन की पुनर्बहाली योजना के लिये समर्थन, और स्कूलों और प्री-स्कूलों के पुनर्निर्माण व पुनर्वास के लिए भी प्रयासों की आवश्यकता है.
शरणार्थियों को आश्रय देने वाले देशों में, यूनीसेफ़, विशेष रूप से प्रारम्भिक व प्राथमिक शिक्षा के लिये, यूक्रेनी शरणार्थी बच्चों को राष्ट्रीय शिक्षा प्रणालियों से जोड़ने को प्राथमिकता देने का आहवान कर रहा है.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि सम्बन्धित अधिकारी, उन विनियामक और प्रशासनिक बाधाओं की पहचान करके, उनका समाधान निकालें, जो विभिन्न स्तरों पर औपचारिक शिक्षा तक बच्चों की पहुँच को बाधित करती है और शरणार्थी परिवारों को इस बारे में स्पष्ट एवं सुलभ जानकारी प्रदान करें."
यूनीसेफ़ का मानना है कि जहाँ शिक्षा प्रणाली तक पहुँच तुरन्त सुनिश्चित नहीं की जा सकती है, वहाँ मेज़बान देशों को "शिक्षा के विभिन्न तरीक़े" प्रदान करने चाहिए, ख़ासतौर पर, माध्यमिक विद्यालय के बच्चों के लिये.
शान्ति और विकास
शान्ति एवं विकास को आगे बढ़ाने में शिक्षा की भूमिका का जश्न मनाने के लिये, अन्तरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2018 में आरम्भ किया गया था.
इस दिवस के लिए प्रमुख एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को), ने इस वर्ष के संस्करण को अफ़ग़ानिस्तान की उन महिलाओं व लड़कियों को समर्पित किया है, जिन्हें अगस्त 2021 में अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान के अधिग्रहण के बाद, शिक्षा के अपने मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया गया है.
अफ़ग़ान लड़कियों को माध्यमिक विद्यालय जाने से प्रतिबन्धित कर दिया गया है, जबकि पिछले महीने घोषित एक शासनादेश ने, युवतियों के विश्वविद्यालय में दाख़िला लेने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है.