वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

कामगारों को कम गुणवत्ता रोज़गारों की ओर धकेल सकती है आर्थिक मन्दी

मेडागास्कर में एक महिला विक्रेता अंडे बेच रही है.
© ILO/Marcel Crozet
मेडागास्कर में एक महिला विक्रेता अंडे बेच रही है.

कामगारों को कम गुणवत्ता रोज़गारों की ओर धकेल सकती है आर्थिक मन्दी

आर्थिक विकास

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक सुस्ती के कारण, अधिक संख्या में कामगारों को ऐसे रोज़गार स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है, जिनकी गुणवत्ता व आय कम होगी और रोज़गार सुरक्षा व सामाजिक संरक्षा का अभाव होगा. इसके मद्देनज़र, यूएन श्रम एजेंसी ने वैश्विक महामारी कोविड-19 से उपजी विषमताओं के और अधिक गहराने की आशंका व्यक्त की है.    

World Employment and Social Outlook: Trends 2023’ शीर्षक वाली रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक रोज़गार में प्रगति लड़खड़ा रही है और शिष्ट व उपयुक्त कामकाजी परिस्थितियों पर दबाव है, जिससे सामाजिक न्याय के कमज़ोर होने का जोखिम है.

श्रम संगठन ने श्रम बाज़ार में बिगड़ रहे हालात के लिए यूक्रेन युद्ध व अन्य भूराजनैतिक तनावों, महामारी से विषमतापूर्ण पुनर्बहाली, और वैश्विक सप्लाई चेन में जारी व्यवधान को बताया है.

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इन चुनौतियों के कारण, 1970 के दशक के बाद पहली बार, मुद्रास्फीति-जनित मन्दी (stagflation) के हालात बने हैं, यानि मुद्रास्फीति ऊँचे स्तर पर पहुँच गई है जबकि आर्थिक वृद्धि कम है.

रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक रोज़गार के क्षेत्र में वृद्धि की दर वर्ष 2023 में केवल एक प्रतिशत रहने की सम्भावना है, जोकि 2022 के स्तर की तुलना में आधे से भी कम है.

साथ ही, इस वर्ष वैश्विक बेरोज़गारी का आँकड़ा भी लगभग 30 लाख तक बढ़ कर 20 करोड़ 80 लाख तक पहुँच सकता है.

वर्ष 2020-2022 के दौरान वैश्विक बेरोज़गारी में गिरावट नज़र आई थी, मगर रिपोर्ट के रुझान बताते हैं कि यह अब पलट सकता है. इसका अर्थ है कि वैश्विक महामारी से पहले, 2019 में बेरोज़गारों के आँकड़े की तुलना में यह अब एक करोड़ 60 लाख अधिक होगा.

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गिलबर्ट हवांगबो ने कहा, “अधिक उपयुक्त व शिष्ट कामकाज व सामाजिक न्याय की स्पष्ट व तत्काल आवश्यकता है.”

“मगर, यदि हमें इन विविध चुनौतियों से निपटना है तो एक साथ मिलकर एक नया वैश्विक सामाजिक अनुबन्ध सृजित करना होगा.”

कम गुणवत्ता, ख़राब आय

रिपोर्ट में शिष्ट व उपयुक्त रोज़गार सामाजिक न्याय की बुनियाद क़रार देते हुए, बेरोज़गारी की बढ़ती समस्या के साथ-साथ कामकाजी गुणवत्ता के सम्बन्ध में भी चिन्ता व्यक्त की गई है.

यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोनावायरस संकट के दौरान, निर्धनता के विरुद्ध लड़ाई में पिछले एक दशक में दर्ज की गई प्रगति को धक्का पहुँचा.

2021 में हालात में कुछ सुधार दिखाई दिया, लेकिन रोज़गार के बेहतर अवसरों की क़िल्लत अब भी जारी है, जोकि बद से बदतर हो सकती है.

रिपोर्ट बताती है कि मौजूदा सुस्ती के कारण अनेक कामगारों को कम गुणवत्ता वाले रोज़गार स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है – कम आय, अपर्याप्त घंटों के साथ.

श्रमिकों की आय की तुलना में क़ीमतों में वृद्धि तेज़ी से हो रही हैं, जिससे जीवन-व्यापन की क़ीमतों का संकट बड़ी संख्या में लोगों को निर्धनता के गर्त में धकेल सकता है.

रिपोर्ट में वैश्विक रोज़गार क्षेत्र में पनपी खाई – रोज़गार आवश्यकताओं का अधूरा रह जाना - की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया है.

बढ़ती चुनौतियाँ

यह बेरोज़गारी का सामना कर रही आबादी के साथ, उन लोगों पर भी केन्द्रित है जोकि रोज़गार तो चाहते हैं, मगर सक्रियता से उसकी तलाश नहीं कर रहे हैं.

इसकी वजह, उनका हतोत्साहित महसूस करना या फिर देखभाल सम्बन्धी काम समेत अन्य दायित्वों का होना भी है. 2022 में यह खाई 47 करोड़ 30 लाख थी, जोकि 2019 के स्तर से तीन करोड़ 30 लाख अधिक है.

महिलाओं और युवजन को विशेष रूप से श्रम बाज़ारों में कठिन स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. वैश्विक श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी की बल 2022 में 47.4 प्रतिशत थी, जबकि पुरुषों के लिए यह 72.3 फ़ीसदी है.

15 से 25 वर्ष आयु वर्ग में युवाओं को भी रोज़गार ढूंढने में गम्भीर मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है, और उनमें बेरोज़गारी की दर, वयस्कों की तुलना में तीन गुना अधिक है.

मौजूदा परिस्थितियों में, अनौपचारिक सैक्टर में कार्यरत विश्व के दो अरब कामगारों को औपचारिक रोज़गार, सामाजिक संरक्षा व प्रशिक्षण अवसरों के दायरे में लाने के प्रयासों को धक्का पहुँच सकता है.  

अलबानिया की एक फ़ैक़्ट्री में कार्यरत महिला.
© ILO/Marcel Crozet
अलबानिया की एक फ़ैक़्ट्री में कार्यरत महिला.

क्षेत्रानुसार भिन्नताएँ

वर्ष 2023 में अफ़्रीका और अरब देशों में रोज़गार वृद्धि की दर तीन फ़ीसदी दर्ज किए जाने की सम्भावना है. लेकिन यहाँ स्थित देशों में कामकाजी आबादी का आकार बढ़ने के कारण, बेरोज़गारी दर में मामूली गिरावट आने की ही अपेक्षा है.  

वहीं, एशिया व प्रशान्त क्षेत्र और लातिन अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र में वार्षिक रोज़गार वृद्धि के लगभग एक प्रतिशत रहने का अनुमान है.

उत्तरी अमेरिका में वर्ष 2023 में रोज़गार के क्षेत्र में कोई अधिक प्रगति होने की सम्भावना नहीं है, बल्कि बेरोज़गारी बढ़ने की आशंका है.

योरोप व मध्य एशिया में यूक्रेन युद्ध और उससे उपजे आर्थिक व्यवधान से बड़ा असर हुआ है. इस क्षेत्र में 2023 में रोज़गार अवसरों में गिरावट आने का अनुमान है, लेकिन बेरोज़गारी दर में भी मामूली बढ़ोत्तरी ही होगी, चूँकि कामकाजी आबादी में सीमित वृद्धि हुई है.  

श्रम संगठन ने सामाजिक न्याय के लिए एक वैश्विक गठबन्धन पर लक्षित एक मुहिम चलाने की भी बात कही है, ताकि समर्थन उपाय व आवश्यक नीतियाँ सृजित किये जाएँ और कामकाज के भविष्य अनुरूप तैयारी की जा सके.