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2021: कोविड महामारी के बावजूद, मलेरिया संक्रमण व मौतों की संख्या रही 'स्थिर'

दक्षिण सूडान के जोंगलेई प्रान्त में एक महिला मलेरिया से पीड़ित अपनी चार वर्षीय बेटी के उपचार के लिये दवा ले रही है.
© UNICEF/Mark Naftalin
दक्षिण सूडान के जोंगलेई प्रान्त में एक महिला मलेरिया से पीड़ित अपनी चार वर्षीय बेटी के उपचार के लिये दवा ले रही है.

2021: कोविड महामारी के बावजूद, मलेरिया संक्रमण व मौतों की संख्या रही 'स्थिर'

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गुरूवार को प्रकाशित अपने एक नए विश्लेषण में जानकारी दी है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के प्रभाव जारी रहने के बावजूद, मलेरिया के मामलों और उसके कारण होने वाली मौतों की संख्या पिछले वर्ष स्थिर रही है.

'विश्व मलेरिया रिपोर्ट' के अनुसार, दुनिया भर में देशों ने वर्ष 2021 के दौरान बहुत हद तक मलेरिया की रोकथाम, परीक्षण और उपचार सेवाओं को और धक्का लगने से रोका है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि कोविड-19 महामारी के पहले वर्ष में मलेरिया से संक्रमण के मामलों और मौतों में वृद्धि दर्ज की गई थी.

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“इसके बाद, मलेरिया-प्रभावित देशों ने अपने प्रयास दोगुने किये और वे मलेरिया सेवाओं में कोविड-19 सम्बन्धी व्यवधानों के बदतरीन प्रभावों को कम करने में सक्षम रहे.”

अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2021 के दौरान, विश्व भर में मलेरिया के कारण छह लाख 19 हज़ार मौतें हुईं, जबकि कोविड-19 के पहले वर्ष में मृतक संख्या छह लाख 25 हज़ार थी.

वैश्विक महामारी के पाँव पसारने से पहले, वर्ष 2019 में मलेरिया के कारण पाँच लाख 68 हज़ार मौतें दर्ज की गई थीं.

2020 से 2021 तक मलेरिया मामलों का बढ़ना जारी रहा, मगर इसकी दर 2019 से 2020 की अपेक्षा धीमी थी.

2021 में विश्व भर में मलेरिया संक्रमण के कुल 24 करोड़ 70 लाख मामले सामने आए, जबकि 2020 में 24 करोड़ 50 लाख और 2019 में 23 करोड़ 20 लाख मामले दर्ज किये गए थे.

महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा, “हमारे सामने अनेक चुनौतियाँ हैं, मगर आशा के अनेक कारण भी मौजूद हैं.”

“जवाबी उपायों को मज़बूती प्रदान करके, जोखिमों को समझ करके, उनमें कमी लाकर, सहनक्षमता निर्माण और शोध में तेज़ी लाने के जरिये, मलेरिया-मुक्त भविष्य का सपना देखने की हर वजह है.”

जीवनरक्षक उपाय

वर्ष 2020 में, विश्व भर में रिकॉर्ड स्तर पर कीटनाशक बचाव वाली मच्छरदानियाँ वितरित की गईं, जोकि मलेरिया से प्रभावित अधिकाँश देशों में प्राथमिक रक्षा उपाय है.

वर्ष 2021 में भी मच्छरदानी वितरण में मज़बूती बनी रही है, और यह वैश्विक महामारी से पूर्व के स्तर के समान थी.

मगर, बेनिन, ऐरीट्रिया, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, सोलोमन आइसलैंड्स, थाईलैंड, युगांडा और वानुआतु में केवल 60 प्रतिशत मच्छरदानियाँ ही वितरित की गईं.

वहीं, बोत्सवाना, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, चाड, हेती, भारत, पाकिस्तान और सिएरा लियोन में मच्छरदानियाँ मुहैया नहीं कराई गईं.

इसके अलावा, वर्ष 2021 में बीमारी फैलने के मौसम के दौरान, 15 अफ़्रीकी देशों में सामुदायिक स्तर पर बचाव के लिये, साढ़े चार करोड़ बच्चों को मलेरिया निरोधक दवाएँ दी गईं.

इस रोकथाम उपाय के ज़रिये, वर्ष 2020 में तीन करोड़ 34 लाख और 2019 में दो करोड़ 21 लाख बच्चों तक पहुँच बनाई गई.

कोविड-19 के दौरान आपूर्ति चेन और अन्य लॉजिस्टिक सम्बन्धी चुनौतियों के बावजूद, रिकॉर्ड संख्या में मलेरिया के निदान के लिये परीक्षण स्वास्थ्य केन्द्रों में वितरित किये गए.

विशाल चुनौतियाँ

इन सफलताओं के बावजूद, चुनौतियाँ बरक़रार हैं, विशेष रूप से अफ़्रीका में जहाँ वर्ष 2021 के दौरान, मलेरिया के लगभग 95 फ़ीसदी मामले सामने आए और 96 प्रतिशत मौतें हुईं.

वैश्विक महामारी और मानवीय संकटों के कारण उपजे व्यवधान, स्वास्थ्य प्रणालियों की चुनौतियों, वित्त पोषण में आई रुकावट, बढ़ते जैविक ख़तरों और बीमारी के दंश को कम करने वाले उपायों की प्रभावशीलता में गिरावट से वैश्विक कार्रवाई के लिये ख़तरा उत्पन्न हुआ है.  

2021 में मलेरिया के लिये वित्त पोषण साढ़े तीन अरब डॉलर था, जोकि अतीत के दो वर्षों की तुलना में वृद्धि को दर्शाता है,

मगर लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढ़ते रहने के लिये ज़रूरी सात अरब 30 करोड़ डॉलर की धनराशि से कम है.  

मलेरिया पर नियंत्रण पाने के मच्छरदानी के प्रभावी साबित होने जैसे कुछ अहम उपायों में कमी देखी गई है, जिससे मलेरिया के विरुद्ध प्रयासों में प्रगति पर असर पड़ा है.

मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों से बचाव के लिये, मच्छरदानी लगाना, एक महत्वपूर्ण ऐहतियाती उपाय है.
© UNICEF/Frank Dejongh
मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों से बचाव के लिये, मच्छरदानी लगाना, एक महत्वपूर्ण ऐहतियाती उपाय है.

कीटनाशक उपायों के विरुद्ध प्रतिरोध बढ़ रहा है, ये मच्छरदानी आसानी तक लोगों की पहुँच में नहीं है, और दैनिक इस्तेमाल की वजह से उन्हें बदलने का दबाव भी बढ़ रहा है.

अन्य जोखिमों में परजीवियों में होने वाले बदलावों से त्वरित निदान परीक्षण किट पर असर पड़ा है, मलेरिया दवाओं के लिये प्रतिरोध भी बढ़ रहा है और कीटनाशक-प्रतिरोधी मच्छर भी फैल रहे हैं.

आशा की किरण

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने, अफ़्रीकी देशों में मलेरिया के विरुद्ध जवाबी उपायों को मज़बूत करने के लिये, एक नई रणनीति प्रस्तुत की है, जोकि मलेरिया निरोधक दवा के प्रतिरोध को ख़त्म करने पर केन्द्रित है.

साथ ही, एक पहल के तहत ‘anopheles stephensi’ नामक मलेरिया के वाहक और उसके फैलाव पर नियंत्रण पाने का प्रयास किया जाएगा.     

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी और यूएन पर्यावास एजेंसी ने, शहरी इलाक़ो में मलेरिया से निपटने के लिये मिलकर एक वैश्विक फ़्रेमवर्क तैयार किया है, जिसमें शहरी नेतृत्व और मलेरिया के विरुद्ध लड़ाई में अन्य हितधारकों के लिये दिशा-निर्देश प्रस्तुत किये हैं.

इस बीच, शोध एवं विकास पर भी ध्यान केन्द्रित किया जाएगा, ताकि मलेरिया पर नियंत्रण के लिये नई पीढ़ी के उपाय विकसित किया जा सके, और वैश्विक लक्ष्यों की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ा जा सके.

इन उपायों में लम्बे समय तक चलने वाली मच्छरदानियाँ, उनमें नए प्रकार के कीटनाशक उपायों का इस्तेमाल, मच्छरों को दूर भगाने वाले उपकरण और मच्छरों में आनुवंशिकी बदलाव लाना शामिल है.

साथ ही नए रोग निदान परीक्षणों, और अगली पीढ़ी की दवाएँ भी विकसित किया जाएगा, ताकि मलेरिया की दवाओं के लिये बढ़ते प्रतिरोध को रोका जा सके.