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ज़रूरतमन्दों के लिये ढाई लाख मीट्रिक टन उर्वरक की खेप रवाना, यूएन ने किया स्वागत

काला सागर अनाज निर्यात समझौते के तहत रवाना हुए प्रथम जहाज़ रज़ोनी, जेसीसी टीम के निरीक्षण के बाद, लेबनान में अपनी मंज़िल की तरफ़ बढ़ते हुए.
© UNOCHA/Levent Kulu
काला सागर अनाज निर्यात समझौते के तहत रवाना हुए प्रथम जहाज़ रज़ोनी, जेसीसी टीम के निरीक्षण के बाद, लेबनान में अपनी मंज़िल की तरफ़ बढ़ते हुए.

ज़रूरतमन्दों के लिये ढाई लाख मीट्रिक टन उर्वरक की खेप रवाना, यूएन ने किया स्वागत

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता ने मंगलवार को एक वक्तव्य जारी करके बताया कि रुसी उत्पादकों द्वारा दान किए गए उर्वरक की पहली खेप, नैदरलैंड्स से मलावी के लिये रवाना कर दी गई है, जिसका यूएन ने स्वागत किया है. यूक्रेन में जारी युद्ध की पृष्ठभूमि में वैश्विक खाद्य संकट से निपटने के लिये उर्वरक की आपूर्ति बेहद अहम है, जिसे सुनिश्चित करने के इरादे से संयुक्त राष्ट्र ने गहन कूटनैतिक प्रयास जारी रखे हैं.

संयुक्त राष्ट्र ने रूस के उत्पादकों द्वारा दो लाख 60 हज़ार मीट्रिक टन उर्वरक दान में दिए जाने का स्वागत किया है, जिसे योरोपीय बन्दरगाहों और भंडारण केन्द्रों पर रखा गया है.  

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने भरोसा जताया कि उर्वरक आपूर्ति से मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने और अफ़्रीका में विनाशकारी स्तर पर फ़सलों की बर्बादी की रोकथाम करने में मदद मिलेगी, जहाँ फ़िलहाल बुआई का मौसम चल रहा है.

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विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा अनुबन्धित एक जहाज़ पर लदे 20 हज़ार टन उर्वरक की खेप, मंगलवार को रवाना हुई और इसके जल्द ही मोज़ाम्बीक़ पहुँचने की आशा है.

इसके बाद, उर्वरक को वहाँ से भूमिबद्ध (landlocked) देश मलावी के लिये रवाना किया जाएगा.

स्तेफ़ान दुजैरिक ने बताया कि उर्वरक की खेप आगामी महीनों में सिलसिलेवार ढंग से अफ़्रीकी महाद्वीप के अन्य देशों के लिये भी रवाना की जाएगी.

इससे पहले, विश्व खाद्य कार्यक्रम ने अपने एक वक्तव्य में सचेत किया था कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद. वैश्विक खाद्य आपूर्ति की क़िल्लत ने गम्भीर रूप धारण किया है, जिसका हल ढूंढने के लिये समन्वित प्रयासों की आवश्यकता होगी.  

इन्हीं प्रयासों के तहत जलाई 2022 में ‘काला सागर अनाज निर्यात पहल’ समझौते के ज़रिये, ज़रूरतमन्द विकासशील देशों तक महत्वपूर्ण खाद्य वस्तुएँ पहुँचाने में सफलता मिली है.

यूक्रेन और रूसी महासंघ, इन दोनों देशों से विकासशील जगत के बाज़ारों के लिये खाद्य वस्तुओं और उर्वरकों का निर्यात किया जाना बहुत अहम है.

वैश्विक खाद्य सुरक्षा

यूएन एजेंसी ने कहा कि लघु स्तर के किसानों पर बढ़ती क़ीमतों, मुद्रास्फीति, और आपूर्ति श्रृंखला में आने वाली रुकावटों का भीषण असर हुआ है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने कहा कि वैश्विक उर्वरक की सुलभता में पेश आ रही समस्याओं को वैश्विक खाद्य क़िल्लत में तब्दील नहीं होने दिया जा सकता है.

“उर्वरकों के लिये बाज़ारों को आपस में जोड़ा जाना बहुत महत्वपूर्ण है.”

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने अपने वक्तव्य में, रूस, मलावी और नैदरलैंड्स का आभार प्रकट किया है, जिनके प्रयासों व समर्थन के फलस्वरूप, उर्वरक की पहली खेप सम्भव हो पाई है.

यूएन प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने यूक्रेन और रूसी महासंघ से महत्वपूर्ण खाद्य वस्तुओं व उर्वरकों का विश्व बाज़ारों के लिये निर्बाध निर्यात सुनिश्चित करने के इरादे से अपने गहन कूटनैतिक प्रयास जारी रखे हैं.

इसके लिये, इन खाद्य वस्तुओं और उर्वरकों को प्रतिबन्धों के दायरे में आने से छूट भी दी जानी होगी.

क़िल्लत से उपजी चिन्ता

बताया गया है कि 50 प्रतिशत से अधिक विश्व आबादी कृषि उत्पादों पर निर्भर है, जिनके उत्पादन के लिये उर्वरकों की आवश्यकता होती है.

वर्ष 2019 के बाद से अब तक, इनकी क़ीमतों में 250 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और अनेक किसानों को उत्पादन से बाहर होने के लिये मजबूर होना पड़ा है.

यूएन प्रवक्ता दुजैरिक ने नाइट्रोजन-आधारित उर्वरकों का उदाहरण दिया, जिनकी इस वर्ष क़िल्लत होने की वजह से अगले साल साढ़े छह करोड़ टन से अधिक मक्का, चावल व गेहूँ समेत अन्य फ़सलों के उत्पादन में हानि होने की आशंका है.

उन्होंने कहा कि इतनी अधिक मात्रा से एक महीने में क़रीब आधी मानव आबादी, तीन अरब 60 करोड़ लोगों को भोजन मुहैया कराया जा सकता है.

स्तेफ़ान दुजैरिक के अनुसार उर्वरक बाज़ारों को फिर से आपस में जोड़ना, वर्ष 2023 के दौरान वैश्विक खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम होगा.

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सभी पक्षों के साथ मिलकर इस लक्ष्य को पाने के लिए हरसम्भव प्रयास जारी रखेगा.