वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

कश्मीरी मानवाधिकार पैरोकार ख़ुर्रम परवेज़ की तत्काल रिहाई की मांग

श्रीनगर में तैनात सुरक्षाकर्मी (फ़ाइल).
Nimisha Jaiswal/IRIN
श्रीनगर में तैनात सुरक्षाकर्मी (फ़ाइल).

कश्मीरी मानवाधिकार पैरोकार ख़ुर्रम परवेज़ की तत्काल रिहाई की मांग

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने मंगलवार को कहा है कि भारतीय कश्मीर में मानवाधिकार पैरोकार ख़ुर्रम परवेज़ की गिरफ़्तारी और बन्दीकरण ने क्षेत्र में सिविल सोसायटी, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर भयावह प्रभाव छोड़े हैं. उन्होंने भारत सरकार से ख़ुर्रम परवेज़ की तुरन्त और बिना शर्त रिहाई की अपनी पुकार भी दोहराई है.

इन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ख़ुर्रम परवेज़ की गिरफ़्तारी और बन्दीकरण का एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर कहा है, “हम ख़ुर्रम परवेज़ को लगातार उनकी स्वतंत्रता से वंचित रखे जाने पर निराश हैं, और ये बन्दीकरण, मानवाधिकारों के गम्भीर उल्लंघन के मामलों की रिपोर्टिंग व उनके आलेखन के अथक काम के लिये, एक मानवाधिकार पैरोकार से बदला लेने की कार्रवाई बनता जा रहा है.”

मानवाधिकार विशेषज्ञों के अनुसार इन मामलों में भारत प्रशासित जम्मू कश्मीर में लोगों की गुमशुदगी और अवैध मौतें भी शामिल हैं.

ख़ुर्रम परवेज़ को 22 नवम्बर 2021 को, आतंकवाद और अन्य आरोपों के तहत गिरफ़्तार किया गया था.

उन्हें दिल्ली में एक न्यायालय में 30 नवम्बर और 4 दिसम्बर 2021 को पेश किया गया था, जिसने ख़ुर्रम परवेज़ को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) से न्यायिक हिरासत में भेजे जाने का निर्णय सुनाया.

नई दिल्ली में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी की एक विशेष अदालत ने अवैध गतिविधियों की रोकथाम सम्बन्धित अधिनियम (UAPA) की धारा 43D(2)(b) के तहत ख़ुर्रम परवेज़ का बन्दीकरण पाँच बार बढ़ाया है.

यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है, “हम सम्बन्धित अधिनियम में उस संशोधन पर गम्भीर चिन्ताएँ व्यक्त करते हैं जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को, किसी भी प्रतिबन्धित गुट की सदस्यता या उसके साथ कोई सम्बन्ध साबित करने की ज़रूरत को दरकिनार करके, आतंकवादी क़रार दिया जा सकता है.”

उन्होंने कहा कि इन प्रावधानों को भारत प्रशासित जम्मू कश्मीर में, सिविल सोसायटी, मीडिया, मानवाधिकार पैरोकारों के विरुद्ध प्रताड़ना के साधनों के रूप में लागू किया जा रहा है.

यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने आतंकवाद विरोधी क़ानून के प्रयोग के सम्बन्ध में अन्तरराष्ट्रीय आदर्श तरीक़ों और उपायों का पालन किए जाने की एक स्वतंत्र समीक्षा की प्रक्रिया की एक बार फिर हिमायत की.

उन्होंने साथ ही इस क़ानून को, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत भारत की ज़िम्मेदारियों की कसौटी पर कसने का भी आहवान किया.

भयावह प्रभाव

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा, “ख़ुर्रम परवेज़ की गिरफ़्तारी और UAPA के तहत लम्बे खिंचते बन्दीकरण ने सिविल सोसायटी, मानवाधिकार पैरोकारों और पत्रकारों पर भयावह प्रभाव छोड़े हैं.”

“हम भारत सरकार से ऐसे कार्यकर्ताओं और सिविल सोसायटी संगठनों के ख़िलाफ़ बदले की कार्रवाई बन्द करने का आहवान करते हैं जो मानवाधिकार उल्लंघन सम्बन्धी जानकारी और सबूत, यूएन मानवाधिकार संगठनों और व्यवस्था के साथ साझा करते हैं, और इनमें ख़ुर्रम परवेज़ जैसे कार्यकर्ता भी शामिल हैं.”

ख़ुर्रम परवेज़ को इस समय नई दिल्ली के रोहिणी जेल परिसर में रखा गया है.

अगर उन्हें दोषी क़रार दे दिया जाता है तो उन्हें 14 वर्ष तक की क़ैद या मृत्यु दंड की सज़ा भी सुनाई जा सकती है. उनके मुक़दमे की अगली और पाँचवी सुनवाई 24 नवम्बर 2022 को होनी है.

ये आहवान करने वाले इन मानवाधिकार विशेषज्ञों के नाम यहाँ देखे जा सकते हैं.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, जिनीवा स्थित मानवाधिकार परिषद द्वारा, किसी विशेष मानवाधिकार स्थिति या किसी देश की स्थिति की जाँच-पड़ताल करके, रिपोर्ट सौंपने के लिये की जाती है. ये विशेष रैपोर्टेयर, किसी भी देश या सरकार से स्वतंत्र होकर और अपनी व्यक्तिगत हैसियत में काम करते हैं. इन मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके कामकाज के लिये, सयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.