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ईरान: प्रदर्शनों में मृतकों की बढ़ती संख्या, सुरक्षा बलों की दमनात्मक कार्रवाई पर गहरी चिन्ता

 स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में जुटे प्रदर्शनकारी, 22 वर्षीय महिला महसा अमीनी की मौत का विरोध कर रहे हैं.
© Unsplash/Artin Bakhan
स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में जुटे प्रदर्शनकारी, 22 वर्षीय महिला महसा अमीनी की मौत का विरोध कर रहे हैं.

ईरान: प्रदर्शनों में मृतकों की बढ़ती संख्या, सुरक्षा बलों की दमनात्मक कार्रवाई पर गहरी चिन्ता

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) के प्रमुख वोल्कर टर्क ने चिन्ता जताई है कि ईरान में विरोध-प्रदर्शनों में मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है और सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई और अधिक कठोर रूप धारण करती जा रही है. देश में पिछले सप्ताह विरोध-प्रदर्शनों में 40 से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत हुई, जिससे गम्भीर होती जा रही परिस्थितियाँ झलकती हैं. सितम्बर में 22 वर्षीय महिला महसा अमीनी की मौत के बाद से ही देश में व्यापक पैमाने पर प्रदर्शन भड़के हैं, जिनमें अब तक 300 से अधिक लोगों की मौत हुई है. इनमें 40 से ज़्यादा बच्चे हैं.

मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने ईरान सरकार से आग्रह किया है कि विरोध-प्रदर्शन का अनावश्यक या ग़ैर-आनुपातिक बल प्रयोग के ज़रिये दमन करने के बजाय समानता, गरिमा और अधिकारों के लिये आम लोगों की मांग को सुना जाना होगा.

वोल्कर टूर्क ने क्षोभ प्रकट किया कि ईरान में मानवाधिकार हनन के गम्भीर मामलों के लिए जवाबदेही का अभाव है, और इससे पीड़ा बढ़ती है और लोगों का कष्ट निवारण नहीं हो पा रहा है.

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ख़बरों के अनुसार महसा अमीनी को ईरान की ‘नैतिकता पुलिस’ ने 13 सितम्बर को कथित तौर पर सही तरीक़े से हिजाब नहीं पहनने के आरोप में गिरफ़्तार किया था. आरोप है कि उन्हें हिरासत में लेते समय बुरी तरह मारा-पीटा गया था, जिसका ईरानी अधिकारियों ने खंडन किया है.

महसा अमीनी वोज़ारा बन्दी केन्द्र में कथित तौर पर बेहोश हो गई थीं और शुक्रवार, 16 सितम्बर को अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई.

ईरानी अधिकारियों का दावा है कि महसा अमीनी की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई, मगर उसके बाद से, देश भर में हज़ारों लोग, युवा महिला महसा अमीनी की मौत के लिये जवाबदेही निर्धारित किये जाने की मांग के साथ, देश के अनेक शहरों में सड़कों पर उतर पड़े.

सुरक्षा बलों की कार्रवाई में अब तक 40 बच्चों समेत 300 लोगों की मौत हो चुकी है. पिछले सप्ताहांत, छह लोगों की मौत हुई जिनमें दो 16-वर्षीय लड़के भी थे.

बताया गया है कि ईरान के 31 प्रान्तों में से 25 में प्रदर्शनकारियों की मौत हुई है. सिस्तान और बलूचिस्तान में 100 से अधिक प्रदर्शनकारी मारे गए हैं.

ईरान के आधिकारिक स्रोतों के अनुसार, विरोध-प्रदर्शनों के शुरू होने के बाद से अब तक बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई है.

अनेक शहरों में विरोध प्रदर्शन

यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने स्रोतों के हवाले से बताया कि पिछले सप्ताह, मुख्यत: कुर्द समुदाय बहुल शहरों में 40 से अधिक लोगों की मौत हुई है.

बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की भी तैनाती की गई है, जहाँ उन्होंने कुर्दिश शहरों, जवानरुद और साक़्क़ेज़ में प्रदर्शनों पर नियंत्रण के लिये भारी बल प्रयोग किया है.  

वोल्कर टर्क ने उन रिपोर्टों पर क्षोभ प्रकट किया जिनके अनुसार, मृतकों के शव उनके परिजनों को सौंपे जाने से मना किया गया है, या फिर इस शर्त पर सौंपा गया है कि वे परिवार मीडिया से बात नहीं करेंगे.

देश भर में हज़ारों लोगों को शान्तिपूर्ण प्रदर्शनों में शामिल होने की वजह से हिरासत में लिया गया है. बताया गया है कि कम से कम छह लोगों को ईश्वर के विरुद्ध युद्ध छेड़ने, या पृथ्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई गई है.

इस बीच, विरोध-प्रदर्शनों के लिये अपना समर्थन व्यक्त करने वाली ईरान की अनेक बड़ी हस्तियों और खिलाड़ियों को गिरफ़्तार किया गया है या फिर उन्हें पूछताछ के लिये बुलाया गया है.

अन्तरराष्ट्रीय दायित्वों के निर्वहन पर बल

यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने ईरान सरकार को ध्यान दिलाया है कि अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के अन्तर्गत, उनका दायित्व शान्तिपूर्ण सभा के अधिकार का सम्मान करना, और अभिव्यक्ति की आज़ादी को सुनिश्चित करना है.

यूएन एजेंसी प्रमुख ने ईरान के प्रशासन से हिरासत में रखे गए उन सभी लोगों को रिहा करने का आग्रह किया है, जोकि शान्तिपूर्ण ढंग से एकत्र होने के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर रहे थे.

इसके समानान्तर, मृत्यु दंड दिये जाने पर तत्काल रोक लगाए जाने और उन अपराधों के लिये मौत की सज़ा वापिस लेने की अपील की है, जोकि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत बहुत गम्भीर नहीं है.