विश्व भर में, साढ़े तीन अरब लोग मौखिक बीमारियों से प्रभावित, WHO रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा शुक्रवार को प्रकाशित एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि विश्व भर में साढ़े तीन अरब लोग मौखिक रोगों (oral diseases) से पीड़ित हैं. हर चार में से तीन पीड़ित निम्न- और मध्य-आय वाले देशों में रहते हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य में मौखिक स्वास्थ्य की लम्बे समय से उपेक्षा की गई है.
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WHO
“मगर, इस रिपोर्ट में उल्लिखित किफ़ायती उपायों के ज़रिए अनेक मौखिक रोगों की रोकथाम और उपचार सम्भव है.”
‘Global Oral Health Status Report’ जिस शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में 194 देशों में इस विषय का व्यापक आकलन किया गया है.
रिपोर्ट बताती है कि पिछले 30 वर्षों से अधिक समय में रोग मामलों की संख्या एक अरब से अधिक बढ़ी है, जिसका मुख्य कारण रोकथाम व उपचार उपायों तक लोगों की पहुँच ना होना है.
अध्ययन के अनुसार सबसे आम मौखिक रोग, दाँतों में छेद या कीड़े होने से पनपते हैं. मसूड़ों में रोग होने, दाँत टूटने और मौखिक कैंसर ऐसी बीमारियाँ हैं, जिनकी रोकथाम सम्भव है.
वहीं दाँतों का सड़ना, विश्व भर में सबसे आम अवस्था है, जिससे ढाई अरब लोगों के प्रभावित होने का अनुमान है.
मसूड़ों में गम्भीर रोग होना, दाँत खोने का एक बड़ा कारण है, जिससे विश्व भर में एक अरब लोग पीड़ित हैं. हर साल मौखिक कैंसर के तीन लाख 80 हज़ार से अधिक मामले दर्ज किए जाते हैं.
विषमतापूर्ण स्थिति
रिपोर्ट में मौखिक स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता में पसरी गहरी विषमता को भी रेखांकित किया गया है, और निर्बल व वंचित आबादी इससे सबसे अधिक प्रभावित होती है.
निम्न-आय पर या विकलांगता की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे लोग, अकेले रह रहे बुज़ुर्ग, दूर-दराज़ के इलाक़ों और ग्रामीण समुदायों में, और अल्पसंख्यक समूहों को मौखिक रोग का अधिक बोझ झेलना पड़ता है.
हृदयवाहिनी रोगों से लेकर डायबिटीज़ और मानसिक व्याधियों तक, विषमता का यह रुझान अन्य ग़ैर-संचारी रोगों के अनुरूप ही है.
अन्य जोखिम कारकों में बहुत अधिक मात्रा में मीठे, तम्बाकू और ऐल्कॉहॉल का सेवन करना है, जिससे वैश्विक मौखिक स्वास्थ्य संकट बढ़ रहा है.
स्वास्थ्य सेवा में अवरोध
वैश्विक आबादी का केवल एक छोटे हिस्से के पास ही अति-आवश्यक मौखिस स्वास्थ्य सेवाओं की कवरेज है, और सर्वाधिक ज़रूरतमंदों के पास इसकी सबसे कम सुलभता है.
रिपोर्ट बताती है कि मौखिक स्वास्थ्य सेवाओं में पेश आने वाले मुख्य अवरोधों में, स्वास्थ्य सेवा के लिए बहुत अधिक ख़र्चा भी है, जिसके कारण परिवारों और समुदायों पर बोझ बढ़ जाता है.
साथ ही, विशेषीकृत सेवा प्रदाता अक्सर महंगे उच्च-तकनीक वाले उपकरण इस्तेमाल करते हैं और ये सेवाएं प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल मॉडल में एकीकृत नहीं की गई हैं.
कम जानकारी और कमज़ोर निगरानी प्रणालियों के अलावा मौखिक स्वास्थ्य पर शोध भी प्राथमिकता में नीचे है, जिससे कहीं अधिक कारगर हस्तक्षेप और नीतियाँ विकसित करने में कठिनाई पेश आती हैं.
बेहतरी की ओर
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार आम जोखिम कारकों पर ध्यान देकर, सार्वजनिक स्वास्थ्य पर आधारित एक रणनीति के ज़रिये वैश्विक मौखिक स्वास्थ्य में बेहतरी लाने के अवसर मौजूद हैं.
इसके तहत, सेहतमंद आहार और मीठे के कम सेवन को बढ़ावा देना होगा, तम्बाकू के इस्तेमाल को रोकना होगा, ऐल्कॉहॉल के सेवन को घटाना होगा और फ़्लोराइड टूथपेस्ट की सुलभता को बेहतर बनाना होगा.
अन्य समाधानों में मौखिक स्वास्थ्य को राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं का हिस्सा बनाने, मौखिक स्वास्थ्य कार्यबल को पुनर्गठित करके आबादी की आवश्यकताओं पर ध्यान देने का उल्लेख किया गया है.
साथ ही, मौखिक स्वास्थ्य सेवाओं की कवरेज में विस्तार करना होगा, और मौखिक स्वास्थ्य डेटो का राष्ट्रीय स्वास्थ्य निगरानी प्रणालियों में एकीकृत करना होगा.