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यूनीसेफ़ - बच्चों के विरुद्ध नस्लभेद और भेदभाव सर्वत्र व्याप्त

रोमानिया में एक रोमा परिवार
© UN Photo/Patric Pavel
रोमानिया में एक रोमा परिवार

यूनीसेफ़ - बच्चों के विरुद्ध नस्लभेद और भेदभाव सर्वत्र व्याप्त

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने रविवार, 20 नवम्बर को मनाए जाने वाले 'विश्व बाल दिवस' के अवसर पर जारी की गई एक नई रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया भर के देशों में जातीयता, भाषा और धर्म के आधार पर बच्चों के ख़िलाफ़ नस्लभेद और भेदभाव व्याप्त है.

रिपोर्ट में बच्चों पर भेदभाव के प्रभाव का आकलन प्रस्तुत किया गया है और दिखाया गया है कि नस्लभेद और भेदभाव से उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, जन्म पंजीकरण तक उनकी पहुँच एवं निष्पक्ष व समान न्याय प्रणाली पर किस हद तक असर पड़ता है.

रिपोर्ट में, अल्पसंख्यक और जातीय समूहों के बीच व्याप्त असमानताओं पर प्रकाश डाला गया है.

जीवन भर का दर्द

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने कहा, "व्यवस्थागत नस्लभेद और भेदभाव ने बच्चों को अभाव व बहिष्करण के जोखिम में डाल दिया है, जो जीवन भर का दर्द बन सकता है.”

“इससे हम सभी को पीड़ा पहुँचती है. चाहे बच्चे कोई भी हों, कहीं भी रहते हों, हर बच्चे के अधिकारों की रक्षा करना ही, सर्वजन के लिये एक अधिक शान्तिपूर्ण, समृद्ध एवं न्यायपूर्ण दुनिया बनाने का निश्चित तरीक़ा है."

रिपोर्ट से पता चलता है कि जिन 22 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हाशिए पर धकेले हुए जातीय, भाषा और धार्मिक समूहों के बच्चों का विश्लेषण किया गया था, वे पढ़ाई के कौशल में अपने साथियों से बहुत पीछे हैं.

पीछे छूट रहे हैं

औसतन, सात से 14 वर्ष की आयु के छात्रों में, कम सुविधा प्राप्त समूह के छात्रों की तुलना में, अधिक सुविधा प्राप्त समूह के बच्चों में मूलभूत पाठन कौशल होने की सम्भावना दोगुनी से अधिक होती है.

बुनियादी अधिकारों तक पहुँच के लिये ज़रूरी, जन्म पंजीकरण के आँकड़ों का विश्लेषण करने पर, विभिन्न धार्मिक और जातीय समूहों के बच्चों के बीच महत्वपूर्ण असमानताएँ पाई गईं.

भेदभाव और बहिष्करण से, पीढ़ीगत अभाव व निर्धनता की खाई बढ़ती है, जिसके परिणामस्वरूप बच्चे, ख़राब स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा, किशोरियों के बीच गर्भावस्था की उच्च दर, एवं वयस्क होने पर कम रोज़गार दर एवं आय का शिकार होते हैं.

दीर्घकालिक रुझान

कोविड-19 ने दुनिया भर में गहराते अन्याय और भेदभाव को उजागर किया है, और जलवायु परिवर्तन व संघर्ष के प्रभाव, कई देशों में असमानताओं को उजागर कर रहे हैं.

ऐसे में, यह रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि किस तरह जातीय एवं अल्पसंख्यक समूहों के लाखों बच्चे, भेदभाव तथा बहिष्कार का लम्बे समय से शिकार हैं, जिनमें टीकाकरण, पानी एवं स्वच्छता सेवाओं और एक निष्पक्ष न्याय प्रणाली तक पहुँच पर प्रभाव भी शामिल हैं.

कैथरीन रसैल ने कहा, "विश्व बाल दिवस पर और हर दिन, प्रत्येक बच्चे को समावेशन, संरक्षण और अपनी पूरी क्षमता तक पहुँचने का समान अवसर प्राप्त करने का अधिकार है.”

“हम सभी के पास बच्चों के ख़िलाफ़ भेदभाव से लड़ने की शक्ति है - हमारे देशों में, हमारे समुदायों में, हमारे स्कूलों में, हमारे घरों में, और हमारे दिल में. हमें उस शक्ति का उपयोग करने की आवश्यकता है."