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2023 में खाद्य तबाही की आशंका, 'रोकथाम के लिए एकजुट कार्रवाई अभी'

दक्षिण सूडान के यूनिटी प्रान्त में एक महिला, विश्व खाद्य कार्यक्रम से प्राप्त सामग्री से खाना पका रही है.
© WFP/Gabriela Vivacqua
दक्षिण सूडान के यूनिटी प्रान्त में एक महिला, विश्व खाद्य कार्यक्रम से प्राप्त सामग्री से खाना पका रही है.

2023 में खाद्य तबाही की आशंका, 'रोकथाम के लिए एकजुट कार्रवाई अभी'

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इंडोनेशिया में जी20 समूह की शिखर बैठक को सम्बोधित करते हुए आगाह किया है कि समन्वित कार्रवाई के अभाव में, इस वर्ष ‘वहन क्षमता का संकट’ (crisis of affordability), वर्ष 2023 में वैश्विक खाद्य क़िल्लत का गम्भीर रूप धारण कर सकता है.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को बाली में विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं को अपने सम्बोधन में कहा कि दुनिया खाद्य विनाश की दिशा में आगे बढ़ रही है.

उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए बताया कि पाँच अलग-अलग स्थानों पर लोगों को अकाल का सामना करना पड़ रहा है.

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“इसी के साथ, हम वैश्विक उर्वरक बाज़ार में भी क़िल्लत देख रहे हैं.” इस क्रम में, उन्होंने काला सागर अनाज निर्यात पहल का भी उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य युद्धग्रस्त यूक्रेन से महत्वपूर्ण खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करना है.

शीर्षतम यूएन अधिकारी ने खाद्य और ऊर्जा संकट के विषय पर आयोजित एक विशेष सत्र को सम्बोधित किया.  

उन्होंने योरोपीय संघ, अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग किए जाने की सराहना की, जिसके ज़रिए वैश्विक बाज़ारों में रूसी खाद्य वस्तुओं और उर्वरक के मुक्त प्रवाह के रास्ते में अवरोधों को दूर करने के प्रयास किए गए.

एंतोनियो गुटेरेश ने बताया कि रूसी उर्वरक की पहली खेप को मंगलवार को नैदरलैंड्स में लादी जाएगी, जिसे निर्माता कम्पनी उरलकेम ने दान दिया है और यह विश्व खाद्य कार्यक्रम की देखरेख में होगा.  

वित्तीय सहायता पर बल

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि वैश्विक दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित अनेक देशों की सरकारों को विकट चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

उन्हें कोविड-19 महामारी से पुनर्बहाली के लिए असमान संसाधनों, जलवायु संकट, गम्भीर आर्थिक हालात और यूक्रेन में युद्ध के कारण खाद्य व उर्वरक क़ीमतों में आए उछाल जैसी समस्याओं से एक साथ जूझना पड़ रहा है.

महासचिव के अनुसार, टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रोत्साहन पैकेज की उनकी अपील का उद्देश्य, ऐसे देशों में पर्याप्त नक़दी मुहैया कराना, दबाव झेल रहे मध्य-आय वाले देशों को सस्ती दरों पर वित्तीय सहायता देना और क़र्ज़ राहत के लिए कारगर व्यवस्था सुनिश्चित करना है.

पर्यावरणीय संकट

यूएन प्रमुख ने कहा कि जलवायु संकट एक और बड़ा कारण है, जोकि लोगों को भुखमरी की ओर धकेल रहा है.

“बदलते मौसमी रुझानों, सूखों और तूफ़ानों से फ़सल चक्र व मत्स्य पालन में व्यवधान आया है.” उन्होंने कहा कि कुल वैश्विक उत्सर्जन की 80 फ़ीसदी मात्रा के लिए जी20 समूह की अर्थव्यवस्थाएँ ही ज़िम्मेदार हैं.  

इस क्रम में, उन्होंने विकसित देशों और बड़ी, उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक जलवायु समझौते का सुझाव दिया है, जोकि उनके अनुसार, जलवायु परिवर्तन को परास्त करने का एकमात्र रास्ता है.

“विकसित देशों को उत्सर्जनों में कमी लाने की अगुवाई करनी होगी.”

साथ ही, उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों, प्रौद्योगिकी कम्पनियों के साथ मिलकर लामबंदी का आहवान किया, ताकि नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में बढ़ने के लिए विकासशील देशों को समर्थन मुहैया कराया जा सके.

एकता व एकजुटता

यूएन प्रमुख ने अपनी समापन टिप्पणी में ज़ोर देकर कहा कि खाद्य और ऊर्जा संकटों पर पार पाने के लिए एकता, एकजुटता और बहुपक्षीय समाधानों की आवश्यकता होगी.

वैश्विक कार्रवाई को कमज़ोर बनाने के लिए आपसी भरोसे की कमी एक बड़ी वजह है, और आपसी एकजुटता से इस कमज़ोरी को जड़ से उखाड़ कर फेंका जा सकता है.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि निष्पक्षता और न्याय की बुनियाद पर ही बहुपक्षीय समाधानों का निर्माण किया जा सकता है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने जी20 समूह के नेताओं से निर्णय लेते समय इन सिद्धान्तों को ध्यान में रखने का आहवान किया.